अंबा. छत्तीसगढ़ के कांकेर जिला अंतर्गत पंखाजूर थाना क्षेत्र के मारवाड़ी कैंप इलाके में शहीद हुए बीएसएफ जवान मदन सिंह का पार्थिव शरीर शनिवार की शाम उनके पैतृक गांव रिसियप थाना क्षेत्र के सडसा गांव लाया गया. वीर जवान के पार्थिव शरीर के अंतिम दर्शन के लिए शनिवार के पहले सुबह से ही सैकड़ों की संख्या में लोग उनके गांव पहुंच गये और पूरे दिन पार्थिव शरीर आने का इंतजार करते रहे. जैसे ही शहीद मदन सिंह का पार्थिव शरीर झारखंड के गढ़वा में पहुंचने की सूचना मिली, वैसे ही परिजनों के साथ सैकड़ों वाहन से लोग शहीद मदन सिंह अमर रहे का नारा लगाते हुए बिहार झारखंड के बॉर्डर एरिया संडा पहुंच गये. संध्या काल में जैसे ही पार्थिव शरीर संडा पहुंची अंतिम दर्शन के लिए लोग उमड़ पडे. इस दौरान शहीद मदन सिंह अमर रहे एवं वंदे मातरम् से पूरा वातावरण गूंज उठा. प्रखंड प्रमुख धर्मेंद्र कुमार, जिला पार्षद प्रतिनिधि इंजीनियर सुबोध कुमार सिंह, लोजपा नेता चंद्रभूषण सिंह सोनू सहित प्रखंड के विभिन्न पंचायतों के मुखिया व दर्जनों जनप्रतिनिधी शव यात्रा में शामिल हुए. बीडीओ मनोज कुमार, सीओ चंद्रप्रकाश, थाना अध्यक्ष राहुल राज विधि व्यवस्था बनाए रखने में जुटे रहे. बॉर्डर एरिया संडा से दोमुहान सडसा तक जाने में जगह-जगह पर लोगों ने श्रद्धांजलि अर्पित की. बिराज बिगहा, धनीबार, अंबा बाजार, सतबहिनी मंदिर के समीप लोगो ने फुलो की बारिश कर श्रद्धांजलि अर्पित की. विदित है कि 45 वर्षीय बीएसएफ के जवान मदन सिंह छत्तीसगढ के कांकेर में गुरुवार की शाम नक्सली मुठभेड़ में शहीद हो गए. शनिवार की शाम उनका शव पहचे हीं जहां अंतिम दर्शन के लिए लोगों की हुजुम उमड पड़ी. वहीं सडसा गांव उनके परिजनों के चित्कार से गूंज उठा. हालांकि दुख की इस घड़ी में हर लोगो की आंखें नम थी. कुछ खुलकर कहने को तैयार नहीं था, परंतु उनके घर तक पहुंचने वाले हर लोग दबी जुबान स्वर्गीय मदन सिंह के साथ बिताए गए पल एवं उनके व्यवहार कुशल होने की चर्चा कर रहे थे. शहीद के पार्थिव शरीर आने के इंतजार में उनके आवास पर पहुंचे सैकड़ों लोगों के नम आंखें यह बयां कर रहा था कि वतन के लिए शहादत दुनियां का सबसे हसीन तोहफा है, जो बिरले को नसीब होता है. संड़सा गांव के लोग आज अपनी मिट्टी के लाल मदन सिंह की शहादत पर उदासी में डूबे थे. आंखों से अश्रु धारा बह रही है पर नाज है उस मिट्टी के शेर पर जिसने तिरंगे में लिपटकर गांव की मिट्टी को तीर्थस्थल बना दिया. शहीद मदन की मां एवं पत्नी संजू सिंह की चित्कार से हर किसी का कलेजा दहल रहा था.. पुत्री सिया कुमारी एवं पुत्र शिवम कुमार को तो मानो दुनिया ही खत्म हो गयी थी. अपने परिवार व गांव के मान-सम्मान थे मदन बीएसएफ जवान मदन सिंह के बारे में गांव के लोगों ने बताया कि बीएसएफ जवान मदन अपने परिवार के ही नहीं बल्कि हम सभी ग्रामीणों के लिए भी मान सम्मान थे. जानकारी अनुसार शहीद सिंह मदन सिंह के पिता मानदेव सिंह किशोरी सिन्हा महिला कॉलेज औरंगाबाद में लाइब्रेरियन की पद पर कार्यरत थे, जहां से सेवानिवृत्ति के बाद के घर पर रहते हैं. वे अपने पिता के तीसरे संतान थे. उनके बड़े भाई अमरेंद्र सिंह, धर्मेंद्र सिंह व सबसे छोटे भाई मुकेश सिंह प्राइवेट जॉब करते हैं. तकरीबन 26 वर्षों तक दी बीएसएफ में सेवा परिजनों से प्राप्त जानकारी के अनुसार बीएसएफ में मदन की ज्वाइनिंग वर्ष 1998 में हुई थी. उन्होंने तकरीबन 26 वर्षों तक राष्ट्र के लिए अपनी सेवा देने के बाद जान गवा दी. छोटे भाई मुकेश सिंह ने बताया कि 1998 में ज्वाइनिंग के बाद जम्मू कश्मीर में उनका ट्रेनिंग हुआ. इसके बाद तकरीबन 6 वर्षों तक अगरतला में ड्यूटी लगी. फिर रांची एयरपोर्ट पर तथा बिहार के किशनगंज में भी लंबे समय तक ड्यूटी पर रहे. तकरीबन चार – पांच माह पूर्व मदन का स्थानांतरण रांची से छत्तीसगढ़ में हुआ था. उनके छोटे भाई ने बताया कि होली में घर आने पर उन्होंने एक दो वर्ष में ड्यूटी छोड़कर घर पर परिजनों के साथ रहने की इच्छा जताई थी . इधर पता चला कि गुरुवार की शाम ड्यूटी वाले स्थान से थोड़ी दूर पर शौच के लिए गये थे. जहां नक्सलियों से उनकी मुठभेड़ हो गयी. हालांकि, इस संबंध में किसी तरह की प्रशासनिक पुष्टि नहीं हुई है. अर्धसैनिक बलों को भी मिले शहीद का दर्जा : सुबोध स्थानीय जिला पार्षद किरण सिंह के प्रतिनिधि इं सुबोध कुमार सिंह ने शहीद की शहादत को सलाम करते हुए कहां की सीआरपीएफ, बीएसएफ सहित अर्ध सैनिक बलों को भी केंद्र सरकार द्वारा शहीद का दर्जा दिया जाना चाहिए. उन्होंने केंद्र सरकार से मांग करते हुए कहा कि जिनकी शहादत को दुनिया सलाम करती है उन्हें शहीद का दर्जा दिया जाए. उन्हें तमाम जरूरी सुविधाएं भी मिले दोमुहान घाट पर किया गया अंतिम संस्कार बीएसएफ जवान मदन सिंह का अंतिम संस्कार बतरे-बटाने के संगम स्थल दोमुहान घाट पर किया गया. शहीद जवान के 18 वर्षीय पुत्र शिवम कुमार ने अपने पिता को मुखाग्नि दी. इस दरम्यान स्थानीय गांव एवं आसपास के हजारों लोग जुटे रहे. सांसद सुशील कुमार सिंह ने भी उनके घर पर पहुंच कर परिजनों से मिलकर संवेदना व्यक्त करते हुए दुख के इस घड़ी में घैर्य से काम लेने की बात कही. उन्होंने हर संभव मदद करने का भी आश्वासन दिया. अंतिम संस्कार के दौरान बीडीओ मनोज कुमार, सीओ चंद्र प्रकाश, थानाध्यक्ष सुनील कुमार आदि मौजूद रहे.
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