आरा.
यात्रियों की सुविधा के लिए बिहार राज्य पथ परिवहन निगम द्वारा संचालित सरकारी बस स्टैंड असुविधा व उपेक्षा से कराह रहा है. सरकार द्वारा निर्धारित सुविधाएं भी यात्रियों को नहीं मिल पा रही है. इससे यात्रियों को काफी परेशानी हो रही है. आरा का सरकारी बस डिपो बिहार के सबसे पुराने सरकारी बस डिपो में से एक है. पर वर्षों से प्रशासनिक व सरकारी उपेक्षा का शिकार बना हुआ है. इस कारण जिलेवासियों को परिवहन की समुचित सुविधाएं नहीं मिल पा रही है. जिलावासी इससे खासे परेशान हैं.शौचालय की स्थिति है काफी दयनीय :
एक तरफ केंद्र सरकार द्वारा स्वच्छ भारत मिशन चलाया जा रहा है. दूसरी तरफ बिहार सरकार द्वारा लोहिया स्वच्छ अभियान चलाया जा रहा है. पर सरकारी महकमों में भी इसका असर नहीं दिख रहा है. सरकारी बस स्टैंड से प्रतिदिन सैकड़ों यात्री यात्रा करते हैं. पर उनकी सुविधा के लिए बनाए गए शौचालय की स्थिति काफी दयनीय है. इस कारण यात्रियों द्वारा इसका उपयोग नहीं किया जाता है. इससे यात्रियों को काफी परेशानी होती है. वहीं कर्मियों के लिए भी अलग से शौचालय की व्यवस्था नहीं की गई है. यात्रियों के लिए कहने को तो प्रतिक्षालय है. पर उसकी स्थिति इतनी खराब है कि इसमें कोई यात्री बसों के लिए इंतजार नहीं करता है. बाहर खड़ा होकर ही यात्री बसों के आने का इंतजार करते हैं. परिसर में भी काफी गंदगी पसरी रहती है. इसकी सफाई नहीं की जाती है. गंदगी से यात्रियों को काफी परेशानी होती है.छपरा, भभुआ, सासाराम, बक्सर व पटना के लिए संचालित होती हैं बसें :
बिहार राज्य पथ परिवहन निगम की आरा डिपो से छपरा, भभुआ, बक्सर ,सासाराम व पटना के लिए बसों का संचालन किया जाता है. ताकि जिले वासियों को परिवहन में सुविधा हो सके.पुरानी बसों का होता है संचालन :
निगम की आरा डिपो से पांच पुरानी बसों का संचालन किया जाता है. सरकारी उपेक्षा का आलम यह है कि बसें 15 से 20 वर्ष पुरानी हो चुकी हैं. इनकी हालत काफी जर्जर है. इनका मरम्मत सही ढंग से नहीं किया जाता है. यात्री किसी तरह इन बसों में यात्रा करने को मजबूर हैं. इसके साथ ही पिछले 8 वर्ष से नई बसें चलाई गयी थी. वह भी अब पुरानी हो चुकी हैं. वहीं अनुबंध के आधार पर तीन बसें चलाई जाती है. पहले की पुरानी बसों को आरा से पीरो होते हुए सासाराम तक संचालित किया जाता है. जबकि आठ वर्ष पहले लायी गयी नयी बसों में तीन बस आरा से छपरा, एक बस आरा से बक्सर, एक बस भभुआ से अधौरा तक चलाई जाती है. अनुबंध वाली बसों को पटना से आरा होते हुए सासाराम तक चलाया जाता है. पर पुरानी बसों की हालत दयनीय होने के कारण यात्रियों को गंतव्य तक पहुंचने में भय बना रहता है कि कहीं रास्ते में ही गाड़ी खराब नहीं हो जाये. कई बार ऐसा हो भी जाता है.कार्यरत हैं कुल 17 ड्राइवर व 15 कंडक्टर :
परिवहन निगम के आरा डिपो में कुल 17 ड्राइवर व 15 कंडक्टर कार्यरत हैं. इनका वेतन समय पर नहीं मिल पाता है. इस कारण कर्मियों को काफी परेशानी होती है. दूसरी तरफ निगम की बसों में काफी गड़बड़ी की जाती है. कई लोग बिना टिकट के यात्रा करते हैं.
नयी गाड़ियों से 17 हजार व पुरानी गाड़ियों से 15 हजार होती है राजस्व की प्राप्ति :
बस स्टैंड से संचालित होने वाली नई गाड़ियों से प्रतिदिन 17 हजार रुपए राजस्व की प्राप्ति होती है. जबकि पुरानी गाड़ियों से प्रतिदिन 15 हजार रुपए राजस्व की प्राप्ति होती है. यात्रियों द्वारा कटाये गये टिकट के माध्यम से बस स्टैंड को राजस्व की प्राप्ति होती है.प्रदेश में बस डिपो की होती थी गिनती :
कभी आरा के इस सरकारी बस डिपो की गिनती प्रदेश में सबसे आगे होती थी. स्थिति ऐसी थी कि सरकारी बसों को दूसरे पेट्रोल पंपों से तेल लेने की आवश्यकता नहीं पड़े , इस कारण इस बस डिपो में ही डिपो का अपना पेट्रोल पंप था. अपना सर्विसिंग सेंटर एवं रिपेयरिंग सेंटर था. पर सरकारी उपेक्षा के कारण धीरे-धीरे सब बंद हो गया. पेट्रोल पंप कभी का बंद हो गया. रिपेयरिंग सेंटर एवं सर्विस सेंटर भी बंदी के कगार पर है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है