वन अधिकार अधिनियम, 2006 के अन्तर्गत हमर जंगल हमर अधिकार की दी गयी जानकारी
गिरिडीह.
अबुआ वीर अबुआ दिशोम अभियान के तहत पूर्व में प्राप्त आवेदनों के निष्पादन के लिये सभी प्रखंड कार्यालयों में विशेष कैंप का आयोजन इस सप्ताह बुधवार व गुरुवार को किया जाना है. उपायुक्त नमन प्रियेश लकड़ा ने वनाधिकार अधिनियम 2006 व अबुआ बीर अबुआ दिशोम अभियान की जानकारी दी. कहा कि वन अधिकार अधिनियम- 2006 के अनुसार वन भूमि पर आश्रित उन समुदायों व गांवों के दावों के अनुरूप व्यक्तिगत, सामुदायिक और सामुदायिक वन संसाधन पर वनाधिकार पट्टा मुहैया दिलाने का अभियान है. इसके साथ ही डीसी ने कहा कि यह केवल अधिकार ही नहीं, वन पट्टा धारकों की आजीविका और खुशहाली के लिए वन क्षेत्र के संसाधनों और अन्य योजनाओं के समन्वय के लिए भी यह अभियान संकल्पित है.उन्होंने वन अधिकार के प्रकार पर चर्चा करते हुए कहा कि व्यक्तिगत वन अधिकार, इसके तहत एक परिवार के वन पर स्थित घरबरी और खेती की वन भूमि शामिल है, जो 10 एकड़ तक सीमित है. सामुदायिक वन अधिकार, जिस पर गांव के सभी परिवारों के समान अधिकार होंगे. जैसे जंगल से वन उपज संग्रह करने का अधिकार, वनों में मवेशी चराने का अधिकार, वनों में स्थित जलाशय का उपयोग करने का अधिकार होगा. कहा कि वन अधिकार निहित करने वाले प्राधिकार वन अधिकार को मान्य करने के लिये अधिनियम के तहत तीन स्तर पर प्राधिकार होते हैं. जैसे ग्राम स्तर पर ग्राम अधिकार समिति, अनुमंडल स्तर पर अनुमंडल स्तर वन अधिकार समिति, जिला स्तर पर जिला स्तरीय वन अधिकार समिति, इसके अलावा राज्य स्तर पर राज्य स्तरीय निगरानी समिति है. कहा कि अबुआ बीर दिशोम आभियान के सफल क्रियान्वयन के लिए विभिन्न जनजातीय/क्षेत्रीय भाषाओं में ट्रेनिंग के साथ-साथ संचालन व मॉनिटरिंग के लिये वेबसाइट व मोबाइल एप्लीकेशन भी तैयार किया गया है. कहा कि इस अभियान का उद्देश्य इसके तहत राज्य में पहली बार व्यापक स्तर पर आदिवासी और वनों पर निर्भर रहने वाले लोगों को उनके दावों के अनुरूप व्यक्तिगत, सामुदायिक और सामुदायिक वन संसाधन पर वनाधिकार पट्टा मुहैया कराया जाएगा.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है