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बाढ़ व कटाव से बचाव को लेकर जिला प्रशासन अलर्ट

मॉनसून की पहली बारिश भी हो चुकी है. हालाकि अभी मॉनसून ने अपना रुख नही अख्तियार किया है.

बेतिया . मॉनसून का आगमन जिले में प्रवेश कर चुका है. मॉनसून की पहली बारिश भी हो चुकी है. हालाकि अभी मॉनसून ने अपना रुख नही अख्तियार किया है. लेकिन संभावित बाढ़ एवं कटाव के खतरे को देखते हुए जिला प्रशासन बाढ़ और कटाव से बचाव को ले कर पूरी तरह सतर्क है. कटाव और बाढ़ से बचाव में तटबंधों की भूमिका अहम होती है, इसलिए जिले के सभी तटबंधों की सुरक्षा की जिम्मेवारी विभिन्न विभागों को सौंपी गई है. डीएम दिनेश कुमार राय ने संबंधित विभागीय अधिकारियों को चेतावनी दी है कि तटबंधों की सुरक्षा के लिए करोड़ों रुपये खर्च हुए हैं. कटावरोधी कार्य भी कराये गये हैं, लेकिन यदि तटबंधों पर आये रैटहोल एवं रेनकट की मरम्मती नहीं हुयी और कहीं भी तटबंध में रिसाव या तटबंध ध्वस्त होने की जानकारी मिलेगी तो संबंधित दोषियों के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई के साथ हीं साथ उनके विरुद्ध विधिसम्मत कार्रवाई भी की जायेगी. डीएम ने बताया कि जिले के तटबंधों की सुरक्षा के लिए जल निस्सरण, अवर प्रमंडल बेतिया के अधीक्षण अभियंता, गंडक बराज के अधीक्षण अभियंता, बाढ़ नियंत्रण प्रमंडल बगहा के अधीक्षण अभियंता, बाढ़ नियंत्रण प्रमंडल बगहा संख्या दो के अधीक्षण अभियंता, शीर्ष कार्य प्रमंडल वाल्मीकि नगर के अधीक्षण अभियंता, बाढ़ नियंत्रण प्रमंडल पडरौना एक के अधीक्षण अभियंता, बाढ़ नियंत्रण प्रमंडल पडरौना दो के अधीक्षण अभियंता, दोन नहर प्रमंडल रामनगर के अधीक्षण अभियंता और चंपारण तटबंध मोतिहारी के अधीक्षण अभियंता को जिम्मेवारी दी गई है. इन सभी ने अपने कार्यपालक अभियंता और सहायक अभियंताओं को अपने अंतर्गत आने वाले तटबंधों की सुरक्षा के लिए प्रतिनियुक्त कर दिया है. डीएम ने यह भी बताया कि तटबंधों की सुरक्षा के लिए कई स्थानों पर एंटी रोजन कार्य किए जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि तटबंधों की सुरक्षा और वहां किए जा रहे सुरक्षात्मक कार्यों की सतत मॉनिटरिंग के लिए जिले के तीनों एसडीएम और डीसीएलआर को निर्देश दिए गए हैं. अगर सुरक्षा कार्यों में किसी की लापरवाही सामने आई तो उसके विरुद्ध कड़ी कार्रवाई होगी. बाढ़ की स्थिति में अगर सड़क मार्ग बाधित हो जाए, तब भी पीड़ितों तक पहुंचने के लिए प्लान तैयार कर लिया गया है. ताकि उस हालात में उन क्षेत्रों में फंसे लोगों को बाहर निकाला जा सके या फिर वहां मेडिकल सहायता और राशन आदि पहुंचाया जा सके. इसके अलावा जिला में नियंत्रण कक्ष भी बना दिया गया है.

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