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नामकुम-अनगड़ा सड़क चौड़ीकरण में नहीं कटेंगे 300 पेड़, किया जायेगा प्रत्यारोपण

सड़क निर्माण विभाग ने एसजीपीएल नामक एजेंसी को सर्वे का काम दिया. दुर्गा सोरेन चौक से अनगड़ा के बीच चिरौंजी, आम, पीपल, शीशम आदि के पेड़ हैं

रांची. वन विभाग ने रांची से मुरी तक सड़क चौड़ीकरण के दौरान पेड़ों को नहीं काटने की योजना बनायी है. इस रास्ते में आने वाले पेड़ों का प्रत्यारोपण किया जायेगा. इसके लिए सड़क निर्माण विभाग ने एसजीपीएल नामक एजेंसी को सर्वे का काम दिया है. एजेंसी ने इस दिशा में काम करना शुरू कर दिया है. अभी राजधानी के दुर्गा सोरेन चौक (नामकुम) से अनगड़ा तक 300 वैसे पेड़ों को चिह्नित किया गया है, जो प्रत्यारोपण के योग्य हैं.

दुर्गा सोरेन चौक से अनगड़ा के बीच सड़क किनारे चिरौंजी, आम, पीपल, शीशम आदि के पेड़ हैं. इनमें से कई पेड़ 100 साल पुराने हैं. पेड़ों का प्रत्यारोपण करने के लिए एसजीपीएल ने यूके से हाइटेक मशीन (ट्री ट्रांसप्लांटर, स्पैड) मंगायी है. इसकी कीमत 33 लाख है. इस संबंध में रांची के वन प्रमंडल पदाधिकारी श्रीकांत वर्मा ने बताया कि पहले चरण में करीब 850 पेड़ों को काटने के लिए चिह्नित किया गया है. इनमें से करीब 300 पेड़ों का प्रत्यारोपण संभव है. एजेंसी का कहना है कि प्रत्यारोपण में करीब 80 से 85 फीसदी पेड़ बच जाते हैं.

क्या है प्रत्यारोपण की प्रक्रिया

एसजीपीएल के निदेशक स्वर्ण विष्णु और ओसामुल हक ने बताया कि पहले पेड़ की डालियों की छंटाई की जाती है. इससे एक जगह से दूसरी जगह ले जाने में कम परेशानी होती है. ट्रांसप्लांट करने के लिए चार गुना चार फीट का गड्ढा किया जाता है. उसमें खाद, जैविक खाद, जड़ उत्तेजक, कवकनाशी आदि डाले जाते हैं. इसके बाद मशीन द्वारा पेड़ को एक जगह से दूसरी जगह ले जाकर लगाया जाता है. 45 दिनों तक इसकी निगरानी की जाती है.

सात लाख पेड़ों के प्रत्यारोपण का लक्ष्य

यह एजेंसी झारखंड में पहले भी पेड़ों के प्रत्यारोपण का काम कर चुकी है. एजेंसी का कहना है कि अब तक लगभग 26000 पेड़ों का प्रत्यारोपण कर चुकी है. धनबाद के गोविंदपुर से पोखड़ी मोड़ में 5500, सांडी (रजरप्पा, रामगढ़) में 231, घाटोटांड़ (वेस्ट बोकारो) में 4500 व लातेहार रेलवे एक्सटेंशन में 2000 से अधिक पेड़ों का प्रत्यारोपण किया गया. इस वर्ष एजेंसी का लक्ष्य झारखंड में लगभग सात लाख पेड़ों का प्रत्यारोपण करने का है.

कल्पतरु का भी होगा प्रत्यारोपण

पिस्का-नगड़ी रेलवे फाटक के पास एक कल्पतरू का पेड़ है. यहां रेलवे ओवरब्रिज का निर्माण किया जा रहा है. इस कारण इसका भी प्रत्यारोपण किया जायेगा. कल्पतरु एक लुप्तप्राय प्रजाति का पेड़ है. झारखंड में बहुत कम जगहों पर कल्पतरु बचे हैं.

प्रस्तुति:अदिति राज (इंटर्न)B

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