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बनना चाहते थे डॉक्टर या आइएएस, बन गये एक्टर

प्रभात खबर के साथ बातचीत में उन्होंने बताया कि मनोरंजन से भरपूर और मैसेज के साथ बहुत जल्द बिहार में फिल्म शूट करने वाले हैं.

साक्षात्कार बॉलीवुड अभिनेता और डायलॉग कोच विकास कुमार रीजेंट सिनेमा में आयोजित फिल्म फेस्टिवल में शामिल होने पहुंचे हैं. विकास कुमार बिहारशरीफ के रहने वाले हैं और गया में उनका जन्म हुआ है. प्रभात खबर के साथ बातचीत में उन्होंने बताया कि मनोरंजन से भरपूर और मैसेज के साथ बहुत जल्द बिहार में फिल्म शूट करने वाले हैं. इसमें उनका फोकस गानों पर भी रहेगा. साल 1980 व 1990 के दशक के गानों की तरह फिल्म में प्रयोग करेंगे. क्योंकि, उन दिनों के गाने आज भी बजते हैं. मालूम हो कि विकास ने काला पानी सीरीज में मगही भाषा का इस्तेमाल कर संतोष सांवला का रोल प्ले किया है. उन्होंने कैटरीना जैसे कलाकारों को ट्रेनिंग भी दी है. वह परमाणु, धमाका, पाउडर, खोटे सिक्के, आर्या, काला पानी, सीआइडी जैसी सीरीज और फिल्म में काम कर चुके हैं. पेश है हिमांशु देव के साथ बातचीत के अंश… कैसे खुद को फिट रख पाते हैं? – काम कर रहे हैं. मेहनत करते हैं. खाते हैं, फिजिकली एक्टिव रहते हैं. सीरियल ‘सीआइडी’ की क्या कहानी रही है? – मैं लकी हूं कि मुझे ‘सीआइडी’शो में काम मिला. हिन्दुस्तानी टीवी का सबसे पॉपुलर शो है. कितनों से मिलते हैं जो बताते हैं कि वह बचपन से ही देखते आ रहे हैं. मैं तो एक-डेढ़ साल ही काम किया है. किस्मत अच्छी थी कि अच्छा काम करने का मौका मिला. अभी भी लोग रिपीट शो देखते हैं. काम करने में भी कभी कोई दिक्कत नहीं हुई. हर दिन कुछ न कुछ अच्छा होता था. गाड़ी दौड़ा रहे हैं, गोली चला रहे हैं, आदि. बचपन से ही आप एक्टर बनना चाहते थे? – नहीं. बचपन में हम डॉक्टर और आइएएस बनना चाहते थे. लेकिन, जब वह मौका आया कि पढ़ाई पर ध्यान दें. लेकिन, 12वीं के बाद थिएटर की ओर रुझान आ गया. उन दिनों अमिताभ बच्चन को खूब देखता था. तब प्रशिक्षण लिया और आगे बढ़ता गया. मुंबई जाने के बाद ठीक-ठाक रोल करना चाहता था. इंडस्ट्री में बने रहने के लिए डायलॉग कोच भी करने लगा. बाद में अपनी कंपनी बना लिया. हर साल 10 से 12 प्रोजेक्ट करता हूं. आप मंझे हुए कलाकार हैं, लेकिन आपने अप एंड डाउन का सामना कैसे किया? – अप एंड डाउन तो किसी भी चीज का हिस्सा है. लेकिन खासकर फिल्म इंडस्ट्री में लक डिपेंडेंट बहुत है. आप कितना भी सक्सेसफुल हो जाओ. उतार-चढ़ाव तो लगा ही रहेगा. कई बार तो ऐसा होता है कि फिल्म हिट हो गयी, ठीक-ठाक पैसा भी मिल रहा है, अवार्ड भी जीत गये. कई बार ऐसा भी होता है कि फिल्ममेकर आपके लिए अच्छे रोल तय कर देता है, अचानक पता चलता है कि फिल्म ही बंद हो गयी. अभी मेरी एक फिल्म ‘उलझन’ रिलीज हो रही है. इसे पांच साल पहले शूट किया था. मैं उसमें लीड हूं. इसके लिए टिकना पड़ता है. कभी खाली नहीं बैठता नहीं हूं. इससे मानसिक संतुलन बना रहता है. मुंबई में कौन सा काम मिला, जिसके बाद लगा कि अब टिक जायेंगे? – मैं टिकने के लिए ही गया था. कभी सोचा ही नहीं था कि वापस आना पड़ेगा. साथ ही अपने एजुकेशन व बैंकग्राउंड पर भी भरोसा था. साल 2010 में ‘पाउडर’ नामक सीरियल मैंने किया. सह अभिनेता के रूप में मैंने काम किया है. इसके बाद तो अब सब सही होगा. हुआ भी, इसी का अगला शो ‘खोटे सिक्के’ में लीड रोल मिल गया. शो चल भी गयी. अगले सीजन में भी काम मिलना था, लेकिन रातों-रात प्रोडक्शन हाउस ही बंद हो गया. आप प्रोड्यूशर भी बन गये हैं, तो बिहार में फिल्में कब शूट करने वाले हैं? – पूरी कोशिश है. हमारे पास दो-तीन आइडिया है. पंचायत की तरह किसी छोटे शहरों की छोटी कहानियां. लेकिन, मनोरंजन से भरपूर और मैसेज भी हो. साथ ही हमारा फोकस गानों पर भी रहेगा. साल 1980 व 1990 के दशक के गानों की तरह बनायेंगे. उन दिनों के गाने आज भी बजते हैं. आपके अपकमिंग प्रोजेक्ट्स कौन-कौन से हैं? – मेरे आने वाले प्रोजेक्ट में ‘काला पानी सीजन 2’ है. इसमें मैंने अपने किरदार संतोष सांवला के लिए अपनी मातृभाषा मगही इस्तेमाल की है. इसके अलावा एक शॉर्ट फिल्म भी आने वाली है. इसकी कहानी लव स्टोरी पर आधारित है. इसमें एक बड़ी एक्ट्रेस ने काम भी किया है. साथ ही, अब मैं एक ऑडियो प्लेटफॉर्म ‘वेल्वेट’ पर काम कर रहा हूं.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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