केसठ. प्रखंड मुख्यालय की महिलाएं आर्थिक रूप से समृद्ध हो रही है. उनकी आर्थिक समृद्धि का राज खेती-किसानी है. महिलाएं मशरूम की खेती को आर्थिक उपार्जन का माध्यम बनाया है. इन महिलाओं में एक केसठ गांव निवासी सावित्री देवी अब किसी परिचय का मोहताज नहीं रही है. आधुनिक तरीके से मशरूम की खेती कर मिशाल कायम की है. इनके कार्यकुशलता से कई महिलाएं प्रेरित भी हो रही है. उन्होंने बताया कि मशरूम की खेती कम लागत में अधिक उत्पादन के लिए उपयुक्त होती है. केसठ की प्रगतिशील महिला किसान सावित्री देवी किसान सहायता समूह अरूनया पूसा मशरूम फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी से जुड़कर मशरूम का उत्पादन कर रही हैं. डॉ राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि ””””””””विश्वविद्यालय, पूसा, समस्तीपुर एवं कृषि विज्ञान केन्द्र, बक्सर के तकनीकी सहयोग से लगभग दो हजार वर्ग मीटर क्षेत्रफल में झोपड़ी नुमा घर में उत्पादन का कार्य सावित्री देवी कर रही हैं.राजेन्द्र दूधिया मशरूम-1 के लिए औसत तापक्रम 30 से 38 डिग्री सेल्सियस में इसकी खेती की जा सकती है. इससे अप्रैल से सितंबर तक तीन-चार चक्रों में उत्पादन ले सकते हैं. औसत उत्पादन क्षमता 70- 80 किलोग्राम दूधिया मशरूम प्रति 100 किलोग्राम, भूसा या कम्पोस्ट से प्राप्त किया जा सकता है. औसतन लागत 1,000 से 1,200 और औसत आमदनी 6,000 से 7,000 तक प्राप्त किया जा सकता है.डॉ राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि महाविद्यालय, पूसा की परियोजना फसल अवशेष आधारित नैनो उद्योग व बिहार की उत्पादन प्रौद्योगिकी मशरूम का प्रसार से सहायतार्थ निर्मित मशरूम हट समेत परियोजना गतिविधि व तकनीकी सहयोग हेतु मुख्य तकनीकी परामर्शदाता डॉ दयाराम, पूर्व प्रोफेसर, डॉ आरपी प्रसाद,सह-प्रधान अन्वेषक तथा केविके, बक्सर के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ देवकरन ने संयुक्त रूप से मशरूम उत्पादन स्थल का विगत दिनों भ्रमण कर जायजा लिया था. उन्होंने कहा कि मशरूम एवं इसके उत्पाद बनाकर राज्य के बाहर भेजें जाएंगे.घर के किसी हिस्से में एक कमरा जहां धूल, धूप धुआं न जाता हो, प्लास्टिक बैग, फफूंद नाशक दवा, फार्मोलीन, चुना, धान या गेंहू का भूषा की आवश्यकता पड़ती है.मशरूम में प्रोटीन,कम फैट,कम कार्बोहाइड्रेट,कम शुगर और मिनरल की मात्रा पाई जाती है. डायविटिज और हृदय रोगी के लिए बहुत उपयुक्त खाद्य पदार्थ है. महिलाओं को केवल आर्थिक लाभ ही नहीं प्राप्त हो रहा बल्कि गर्भवती महिलाओं एवं कुपोषित बच्चों को पोषण भी मिल रहा है. उनकी सामाजिक और आर्थिक स्थिति में दिन दुगना और रात चौगुनी विकास की ओर अग्रसर हो रही है.
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