मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पीएम मोदी को लिखा पत्र, कहा- वार्ता में पश्चिम बंगाल सरकार को शामिल करना चाहिए था
संवाददाता, कोलकाता
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बांग्लादेश के साथ तीस्ता नदी जल बंटवारा और फरक्का संधि से संबंधित वार्ता में पश्चिम बंगाल सरकार को शामिल नहीं करने पर सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखकर ‘कड़ी आपत्ति’ जतायी है.
पत्र में अपनी नाखुशी का इजहार करते हुए सुश्री बनर्जी ने प्रधानमंत्री से पश्चिम बंगाल सरकार को शामिल किये बिना पड़ोसी देश के साथ ऐसी कोई चर्चा नहीं करने का भी आग्रह किया है. उन्होंने पीएम मोदी को लिखे तीन पृष्ठ के पत्र में कहा: मैं यह पत्र बांग्लादेश की प्रधानमंत्री की हालिया यात्रा के संदर्भ में लिख रही हूं. ऐसा लगता है कि बैठक के दौरान गंगा और तीस्ता नदियों से संबंधित जल बंटवारे के मुद्दों पर चर्चा हुई होगी. परामर्श और राज्य सरकार की राय के बिना इस तरह का एकतरफा विचार-विमर्श और वार्ता न तो स्वीकार्य है और न ही वांछनीय है.
उन्होंने कहा कि बंगाल का बांग्लादेश के साथ भौगोलिक, सांस्कृतिक और आर्थिक रूप से बहुत करीबी रिश्ता है. ममता बनर्जी ने कहा कि वह बांग्लादेश के लोगों से प्यार करती हैं और उनका सम्मान करती हैं और हमेशा उनकी भलाई की कामना करती हैं. लेकिन मुझे इस पर बात पर कड़ी आपत्ति है कि राज्य सरकार की भागीदारी के बिना बांग्लादेश के साथ तीस्ता जल बंटवारे और फरक्का संधि पर कोई चर्चा नहीं की जानी चाहिए, क्योंकि ये दोनों नदियां राज्य से होकर गुजरती हैं और इन दोनों नदियों पर राज्य के करोड़ों लोग आश्रित हैं. मुख्यमंत्री ने कहा है कि पश्चिम बंगाल में लोगों का हित सर्वोपरि है, जिससे किसी भी कीमत पर समझौता नहीं किया जाना चाहिए.
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके बांग्लादेश समकक्ष शेख हसीना के बीच हाल ही में संपन्न द्विपक्षीय बैठक के दौरान, दोनों नेताओं ने तीस्ता नदी के संरक्षण और प्रबंधन और 1996 की गंगा जल संधि के नवीनीकरण पर चर्चा की थी.
बैठक के बाद अपने मीडिया बयान में पीएम मोदी ने कहा कि बांग्लादेश में तीस्ता नदी के संरक्षण और प्रबंधन पर बातचीत के लिए एक तकनीकी टीम जल्द ही बांग्लादेश का दौरा करेगी. परियोजना के तहत, भारत में तीस्ता जल के प्रबंधन और संरक्षण के लिए बड़े जलाशयों और संबंधित बुनियादी ढांचे के निर्माण की परिकल्पना की गयी है. इस परियोजना पर यह कदम दोनों देशों के बीच तीस्ता जल बंटवारे पर एक समझौते के लंबे समय से लंबित प्रस्ताव के बीच उठाया गया है.
हालांकि, राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य में कटाव, गाद और बाढ़ के लिए फरक्का बैराज को दोषी ठहराते हुए लंबे समय से जल-बंटवारे समझौते का विरोध किया है. मुख्यमंत्री ने कहा है कि आप बांग्लादेश में जल भंडार पर निर्णय ले रहे हैं और वो भी पश्चिम बंगाल सरकार को सूचित किये बिना. क्या यही संघीय एकता का उदाहरण है?
उल्लेखनीय है कि सितंबर 2011 में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की ढाका यात्रा के दौरान जल-बंटवारे समझौते पर हस्ताक्षर किये जाने थे. लेकिन पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने यह कहते हुए समझौते को रोक दिया कि इससे उत्तर बंगाल में पानी की कमी आ जायेगी. गौरतलब है कि गंगा नदी के पानी के बंटवारे पर बांग्लादेश और भारत के बीच फरक्का समझौता 2026 में समाप्त हो रहा है. संधि के तहत, ऊपरी तटवर्ती भारत और निचले तटवर्ती बांग्लादेश फरक्का में इस नदी के पानी को साझा करने पर सहमत हुए, जो लगभग 10 किलोमीटर दूर भागीरथी नदी पर एक बांध है.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है