World Drug Day 2024: मुजफ्फरपुर शहर के लोगों में नशे की प्रवृत्ति बढ़ रही है. मानसिक रोग विशेषज्ञों और सरकारी अस्पतालों में आने वाले मरीजों के आंकड़े इसके गवाह हैं. नशे के कारण मानसिक हालत बिगड़ने पर अभिभावक उन मरीजों को लेकर डॉक्टर के यहां पहुंच रहे हैं. कुछ मरीज ऐसे भी हैं जो नशा छोड़ना चाहते हैं, लेकिन यह लत उनसे नहीं छूटती है तो वह इससे छुटकारा के लिये डॉक्टर के पास आते हैं. इनमें कुछ मरीजों का इलाज होता है तो कुछ की काउंसलिंग की जाती है. सिगरेट और तंबाकू के अलावा अब युवा ड्रग्स जैसे जहरीले पदार्थों के अलावा नशे के लिए व्हाइटनर और नेल पॉलिश का भी उपयोग कर रहे हैं. सरकारी स्तर पर इसकी रोकथाम के लिये कोई व्यवस्था नहीं है.
शराबबंदी के बाद सदर अस्पताल में खुले नशा मुक्ति केंद्र में 12 बेड का वार्ड बनाया गया था. उस वक्त यहां भर्ती होने वाले अधिकतर मरीजों ने स्वीकार किया कि वे ड्रग्स लेते थे. नशा छोड़ना चाहते थे, लेकिन नहीं छूट रहा था. उन मरीजों को इलाज कर उनका नशा छुड़वाया गया था. लेकिन नशा मुक्ति केंद्र वर्ष 2020 में बंद कर दिया गया. यहां निजी स्तर पर नशा मुक्ति केंद्र तो हैं, लेकिन उनकी फीस इतनी अधिक है कि निम्न वर्ग का परिवार अपने घर के नशे से पीड़ित लोगों को भर्ती नहीं करा पा रहा हे.
नशा के उपयोग के कारण कफ सिरप बैन
खांसी के कफ सिरप का नशे के रूप में उपयोग करने के कारण राज्य स्वास्थ्य समिति ने कफ सिरप बैन कर रखा है. सरकारी अस्पतालों में यह दवा फ्री मिलती थी और नशा करने वाले लोग इस दवा का नशे के रूप में उपयोग करते थे. इस कारण यह दवा अब सरकारी अस्पतालों में नहीं भेजी जाती. मरीजों को ठीक करने के लिये डॉक्टर एंटीबायोटिक दवा का ही सहारा लेते हें.
कैसर की दर्द निवारक दवा का भी नशे में उपयोग
कैंसर की दर्द निवारक दवा का भी नशे के रूप में उपयोग का मामला शहर के आया है. करीब डेढ़ वर्ष पहले अहियापुर की एक दवा दुकान से प्रतिबंधित दवा बरामद हुई थी. इससे पता चलता है कि इस दवा का भी नशा करने वाले लोग उपयोग करते हैं. नारकोटिक्स श्रेणी में आने वाली दवा दवा को डॉक्टर के पुर्जे पर बेचने का नियम है ओर उसकी खरीद और बिक्री का पूरा हिसाब रखना है.
नशे के दुष्परिणाम
- मादक पदार्थों के सेवन से सबसे बड़ी हानि स्वास्थ्य की होती है
- नशा करने वाला व्यक्ति हमेशा मानसिक तनाव में रहता है
- नशा करने वाला व्यक्ति हमेशा अपने ख्यालों में खोया रहता है
- इससे व्यक्ति आर्थिक, मानसिक और शारीरिक रूप से कमजोर हो जाता है
- व्यक्ति अपने परिवार और समाज से दूर हो जाता है
- उसे दुर्घटना के शिकार होने की आशंका अधिक होती है.