litchi Of Muzaffarpur : मुजफ्फरपुर की चायना लीची का नाम सुनकर विदेशों में लोग खरीदारी से हिचक रहे हैं. चायना लीची के नाम से उन्हें यह महसूस हो रहा है कि यह लीची चीन से आयी है. वे चीन से आपूर्ति होने वाले खाद्य-पदार्थ के खाने से परहेज करते हैं. काेरोना के बाद से कई देशों ने चीन के खान-पान वाले प्रोडक्ट से दूरी बना ली है.
इस बार मुजफ्फरपुर की शाही लीची का उत्पादन बहुत कम होने के कारण करीब आठ टन चायना लीची प्रयोग के तौर पर खाड़ी देशों और यूरोप में भेजी गयी थी. इनमें से कई मॉल में लीची का बाजार अच्छा रहा, लेकिन कई जगह पर अच्छी बिक्री नहीं हुयी. प्रोडक्ट का नाम देख कर ही लोगों ने खरीदारी से इनकार कर दिया. इसके बाद लखनऊ के एक एक्सपोर्टर ने चायना लीची के पैकेट पर फ्रेश लीची का लेबल चिपका कर बाहर भेजा. एक्सपोर्टरों ने यहां के लीची उत्पादकों को अगले वर्ष से चायना लीची का नाम बदलने की सलाह दी है.
खाड़ी देशों में चायना नाम के कारण कम हुआ व्यापार
खाड़ी देशों में यहां से सप्लाई की गयी चायना लीची का व्यापार कम हुआ. एक्सपोर्टरों का कहना है कि वहां के बाजार से यह जानकारी मिली कि लोग चायना नाम के कारण लीची की खरीदारी नहीं कर रहे हैं. अब अगले वर्ष से हम लोग इसका दूसरा नाम देकर विदेशों में लीची सप्लाई करेंगे. लीची उत्पादक बबलू शाही ने कहा कि चायना लीची का नाम बदलने का एक्सपोर्टरों का सुझाव आया है. लीची उत्पादक संघ के साथ विचार-विमर्श करके इसे नया नाम दिया जायेगा. जिससे चायना के नाम पर लीची के व्यापार पर संकट नहीं आये. अगले वर्ष से हम लोग इस बात का ख्याल रखेंगे. लीची उत्पादक संघ के अध्यक्ष बच्चा प्रसाद सिंह ने कहा कि एक्सपोर्टर ने इस तरह की जानकारी दी है. इस पर हमलोग विचार कर रहे हैं.
चायना लीची का नाम बदलने की सलाह दी गयी. इस बार विदेशी बाजार से जो फीड बैक मिला है, उससे यह बात समझ में आयी है कि चायना नाम का प्रोडक्ट वह नहीं पसंद करते. लीची भले ही मुजफ्फरपुर की है, लेकिन नाम के कारण कारोबार पर असर पड़ा है. अगले साल से नये नाम से लीची विदेशों में भेजी जायेगी.
– दीपक मिश्रा, लीची एक्सपोर्टर