मुजफ्फरपुर स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के नाम पर शहर में अब तक 800 करोड़ रुपये से अधिक खर्च हो चुके हैं. शहर के प्रमुख चौराहें के सौंदर्यीकरण से लेकर अंडरग्राउंड सीवरेज की पाइपलाइन बिछा कई प्रमुख सड़कों का निर्माण कराया गया है. कुछ सड़कें बची है, जिसका निर्माण कार्य अंतिम चरण में है. लेकिन, सड़कों के गड्ढे व सीवरेज के मेनहोल (चैंबरों) का निर्माण सड़क से ऊंचे-नीचे कर दिया गया है, जो सरपट सड़कों पर दौड़ने वाले वाहनों के लिए हादसों का बड़ा कारण बन रहा है.
ऊंचे-नीचे मेनहोल शहर में किसी एक जगह नहीं है. बल्कि, स्मार्ट सिटी से जहां-जहां सीवरेज की पाइपलाइन बिछा सड़क का निर्माण कराया गया है. उन सभी सड़कों का यही हाल है. गली-मोहल्ले के साथ जितने प्रमुख रोड इस्लामपुर, तिलक मैदान रोड, लक्ष्मी चौक-ब्रह्मपुरा, जूरन छपरा, इमलीचट्टी के अलावा सरैयागंज -सिकंदरपुर, कंपनीबाग एवं जवाहरलाल रोड तक में बने इस तरह से ऊंचे-नीचे मेनहोल दुर्घटना का बड़ा कारण बन गया है.
सरपट चिकनी सड़क के बीच अचानक से छह से आठ इंच गहराई तक गोलाकार गड्ढे में बाइक, स्कूटी व ई-रिक्शा का पहिया पड़ते पलट जा रहा है. इसमें अब तक कई राहगीर जख्मी हो चुके हैं. बारिश के दौरान सड़क पर जमा होने वाले पानी के बीच इन गड्ढों में गाड़ियों की पहिया के पड़ने के बाद सबसे ज्यादा सड़क दुर्घटना की आशंका है. ऐसे में शहरवासी को जलजमाव के बीच इन सड़कों पर निकलना मुश्किल हो जायेगा.
स्मार्ट सिटी के अधिकारियों के आश्वासन से खुश हो जाते हैं प्रशासनिक अधिकारी
आश्चर्य तो तब होगा जब इन ऊंचे-नीचे मेनहोल को लेकर नगर निगम व जिला प्रशासन के अधिकारियों को शिकायत मिलती है. तब स्मार्ट सिटी के अधिकारियों को इसे ठीक कराने का निर्देश जरूर ये लोग देते हैं. लेकिन, आश्वासन में माहिर स्मार्ट सिटी के अधिकारियों व प्रोजेक्ट इंचार्ज के सामने प्रशासनिक अधिकारी भी कुछ नहीं बोल पाते हैं. इसका नतीजा है कि लगातार शिकायत मिल रही है. पब्लिक से लेकर जनप्रतिनिधि तक आवाज उठा रहे हैं. लेकिन, जिन-जिन सड़कों में मेनहोल ऊंचा-नीचा है. अब तक एक भी मेनहोल को सड़क के लेवल में उठा समतल नहीं किया गया है.
हटाये गये टेलीफोन व बिजली के पोल का भी जगह-जगह निशान
स्मार्ट सिटी से बने सीवरेज के मेनहोल के साथ बिजली विभाग, बीएसएनएल व आरसीडी की तरफ से शहर के अलग-अलग हिस्सों में बेकार टेलीफोन व बिजली के पोल को ऊपर से ही काट कर हटाया गया है. लेकिन, इसका निशान ऐसे ही छोड़ दिया गया है, जो सड़क से चार से छह इंच ऊपर तक दिखता है. बिजली व टेलीफोन पोल के खंभे का निकला निशान भी शहर में सड़क दुर्घटना का बड़ा कारण बरसात के दिनों में बनेगा.