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बकरा नदी के पड़रिया घाट के ध्वस्त पुल की केंद्रीय टीम ने की जांच

प्रखंड क्षेत्र में बहने वाली बकरा नदी के पडरिया घाट पर पुल ध्वस्त होने के कारणों की पड़ताल के लिये मंगलवार को दिल्ली से केंद्रीय टीम घटनास्थल पर पहुंची

प्रतिनिधि, सिकटी. प्रखंड क्षेत्र में बहने वाली बकरा नदी के पडरिया घाट पर पुल ध्वस्त होने के कारणों की पड़ताल के लिये मंगलवार को दिल्ली से केंद्रीय टीम घटनास्थल पर पहुंची. टीम के सदस्यों ने ध्वस्त पुल का मलवा एकत्र किया. जांच टीम ने बताया कि पटना एनआईटी से भी जांच टीम का गठन किया गया है. जो बुधवार को ध्वस्त पुल की जांच करेगी. केंद्रीय जांच टीम के अधिकारियों ने बताया कि पुल की संरचना ही खराब है. जब नदी बराबर धारा बदलती थी तो पुल का निर्माण नहीं करना चाहिये. नदी का जहां से कमजोर तट था. वहां से नदी को बोल्डर पींचींग कर नदी को बांध देनी चाहिये थी. ये तो बहुत छोटी नदी है. इससे बड़ी नदियों को भी बांधा जाता है. जांच टीम ने बताया कि पुल के सभी जगहों के अवशेष को लिया गया है. जांच के बाद ही मुख्य रूप से पता चल पायेगा कि आखिर पुल ध्वस्त क्यों हुआ है. बकरा नदी के बारे में जांच टीम ने ग्रामीणों से पूरी जानकारी ली. जांच टीम ध्वस्त पुल के बचे शेष भाग के ऊपर चढ़कर भी सभी पिलरों का जांच की. जांच टीम ने बताया कि जांच रिपोर्ट विभाग को सौंपी जायेगी. केंद्रीय जांच टीम के अधिकारियों ने बताया कि पुल के सभी पिलरों की जांच की जा रही है कि पुल का अन्य पिलर जो है वह कारगर है या नहीं. इस पिलर पर पुल बनाया जा सकता है कि नहीं. इसीलिए सभी पिलरों की गुणवत्ता की जांच मशीन से की जा रही है. जो भी जांच रिपोर्ट होगा वह विभाग को सौंप दिया जायेगा. ग्रामीणों ने जब केंद्रीय जांच टीम के अधिकारियों से पूछा कि इसी पुल को जब बिहार पुल निर्माण निगम द्वारा बनाया गया तो उसका पाया का पाइलिंग 40 मीटर अंदर से किया गया. वहीं जब ग्रामीण कार्य विभाग द्वारा दूसरा पुल का निर्माण कार्य किया गया तो मात्र 20 मीटर अंदर से ही क्यों पाया का पाइलिंग किया गया. इस पर केंद्रीय जांच टीम के अधिकारियों ने बताया कि 20 मीटर अंदर से पाया का पाइलिंग सही ढंग से होने पर पुल ध्वस्त नहीं होना चाहिए. गिरने के कारणों का पता लगाया जा रहा है.

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