Saharsa news : मौसम पूर्वानुमान की सभी संभावनाएं निराधार साबित हो रही हैं. न मॉनसून समय से पूर्व आया और न ही मॉनसून की अब तक अच्छी बारिश ही दिखी. पूर्वानुमान में मॉनसून का इस वर्ष निर्धारित समय 15 जून से पूर्व आने की संभावना व्यक्त की गयी थी, लेकिन मॉनसून का प्रवेश पांच दिन बाद 20 जून को हुआ. प्रवेश के समय लगभग 50 एमएम बारिश हुई. उसके बाद बारिश की सभी संभावनाओं को दरकिनार कर रोज तापमान में वृद्धि दर्ज की जा रही है.
जारी किया गया था अलर्ट
किसान बारिश के लिए आज भी टकटकी लगाए हैं. मौसम विभाग ने मंगलवार व बुधवार को झमाझम बारिश की संभावना जताते हुए अलर्ट भी जारी किया था, लेकिन सभी संभावनाएं बेकार साबित हुईं. हालांकि मंगलवार की सुबह तेज गर्मी के बाद पुरवा हवा चलने एवं आसमान में हल्के बादल छाये रहने से लोगों को तेज गर्मी से थोड़ी राहत अवश्य मिली, लेकिन बारिश दिन भर नहीं हुई. इधर मौसम विभाग ने एक बार फिर अगले 28 जून तक सहरसा में मध्यम से तेज बारिश की संभावना व्यक्त की है. रिपोर्ट में कहा गया है कि बुधवार को 30 एमएम, गुरुवार को 25 एमएम, शुक्रवार को 30 एमएम, शनिवार को 35 एमएम व रविवार को 30 एमएम बारिश हो सकती है. साथ ही आसमान में बादल छाये रहेंगे व तेज गर्मी से राहत मिलेगी. अगवानपुर कृषि विज्ञान केंद्र के मौसम विभाग के तकनीकी पदाधिकारी जितेंद्र कुमार ने बताया कि अगले 30 जून तक जिले में मध्यम से तेज बारिश की संभावना है. सब्जियों के खेत से पानी निकासी का किसान उचित प्रबंधन करें.
मध्यम से कम अवधि वाले धान की नर्सरी लगाएं
तकनीकी पदाधिकारी जितेंद्र कुमार ने कहा कि किसान इस समय तक धान की नर्सरी नहीं लगाये हैं, तो जल्द से जल्द मध्यम से कम अवधि वाले धान की नर्सरी लगाएं. नर्सरी लगाने के लिए खेत की तैयारी करें. बीज को उपचारित करके नर्सरी में डालें. जितने भाग में धान की रोपाई करनी हो, उसके दसवें भाग में नर्सरी डालें. नर्सरी के लिए हमेशा 10 साल से अंदर की विकसित की हुई उच्च उपज वाली किस्मों के प्रमाणित बीज का प्रयोग करें. रबी फसल में अच्छा उत्पादन लेना है, तो मध्यम या कम अवधि के बीजों का चयन कर संतुलित उर्वरकों का प्रयोग करें. किसानों को धान की सीधी बुआई करनी है, तो जून के अंतिम सप्ताह तक कर देनी चाहिए.
बहुत जरूरी न हो तो तेज धूप में न करें सिंचाई
अच्छी उपज लेने के लिए बारिश आरंभ होने से 15 से 20 दिन पूर्व बुआई करना उचित है. इस विधि में मशीन द्वारा बुआई करने के लिए 20 से 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर बीज को उपचारित करके बुआई में प्रयोग करें. हमेशा बीज को दो से तीन सेंटीमीटर की गहराई में डालें. नर्सरी वाले फील्ड में हमेशा शाम के समय सिंचाई करें. तेज धूप में सिचाई बहुत जरूरी न हो तो नहीं करें. दोपहर के समय पानी गर्म होने लगता है, जिससे छोटे पौधे प्रभावित होते हैं. धान की नर्सरी में जिंक की कमी नहीं होने दें. इसकी कमी से खैरा रोग लगता है. इस रोग में पत्तियां पीली पड़ जाती हैं. जिस पर बाद में भूरे रंग के धब्बे बन जाते हैं. रोग के नियंत्रण के लिए पांच ग्राम जिंक सल्फेट, दो प्रतिशत यूरिया घोल के साथ या 2.5 ग्राम कास्टिक चूना प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़कावकरें. किसानों को यह कार्य लोकल मौसम को देखते हुए व क्षेत्र की जानकारी के अनुसार करनी चाहिए.