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लोकसभा चुनाव 2024 में टेंट पंडाल के किराये दर पर उठ रहे कई सवाल

लोकसभा चुनाव 2024 में उपयोग में लायी गयी टेंट सामग्रियों की दर में कई गुणा की बढ़ोतरी कर निविदा ली गयी है. पांच वर्षों में कई सामान की दर में साढ़े तीन सौ से साढ़े चार सौ फीसदी की वृद्धि हो गयी.

समस्तीपुर : लोकसभा चुनाव 2024 में उपयोग में लायी गयी टेंट सामग्रियों की दर में कई गुणा की बढ़ोतरी कर निविदा ली गयी है. पांच वर्षों में कई सामान की दर में साढ़े तीन सौ से साढ़े चार सौ फीसदी की वृद्धि हो गयी. पांच वर्ष में निविदा के दौरान सामान की दर में हुई वृद्धि चौकानेवाले हैं. हर तरफ इसकी चर्चा जोर-शोर से चल रही है. कहा जाता है कि किराये पर उपयोग में लाये गये सामग्रियों की दर महंगाई के हिसाब से कई गुणा अधिक है. लोकसभा चुनाव 20219 की तुलना में अगर सामग्रियों के दर पर गौर करें, तो कई चीजों की दरों में चौंकाने वाली वृद्धि देखी जा सकती है. सबसे अधिक उपयोग में लाये गये वाटर फ्रूफ पंडाल की दर में 357 गुणा की वृद्धि हुई है. लोकसभा चुनाव 2019 में इस वाटर फ्रूफ पंडाल का दर मात्र 1.90 रुपये प्रति वर्ग फीट था. वहीं, लोकसभा चुनाव में इसका दर 6.80 रुपये प्रति वर्ग फीट रहा. इसी तरह घेरा के दर भी 436 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में इसका दर मात्र 55 पैसे वर्ग फीट था, जबकि लोकसभा चुनाव 2024 में इसका दर बढ़कर 2.40 रुपये प्रति वर्ग फीट कर दिया गया. इसी तरह टेबुल क्लॉथ के साथ की दर में भी 1293 प्रतिशत वृद्धि हुई है. वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में इसका दर 5.80 रुपये पीस था, जबकि लोकसभा चुनाव 2024 में इसका दर बढ़ाकर 75 रुपये कर दिया गया. कॉरपेट का दर वर्ष 2019 के चुनाव में मात्र 70 पैसे प्रति वर्ग फीट था, वहीं, वर्ष 2024 के चुनाव में इसका दर बढ़ाकर 2.80 रुपये पैसे वर्ग फीट कर दिया गया. पंखा का दर वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में 45 रुपये प्रति पंखा था, वहीं, वर्ष 2024 के चुनाव में इसका दर बढ़ाकर 75 रुपये कर दिया गया. ट्यूब लाइट की दर वर्ष 2019 में छह रुपये प्रति पीस था, जबकि वर्ष 2024 के चुनाव में इसका दर 20 रुपये प्रति पीस रखा गया. हाॅर्न माइक एक सेट का किराया वर्ष 2019 के चुनाव में 287.50 रुपये था, इसका दर वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में बढ़ाकर 750 रुपये कर दिया गया. बिजली तार 2 गुणा 2 एमएम पीवीसी का दर वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में 70 पैसे प्रति मीटर के हिसाब से रखा गया था, जबकि वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में इसका दर 3.70 रुपये प्रति मीटर रहा. बिजली तार 2 गुणा 25 एमएम का दर वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में 2.10 रुपये प्रति मीटर था, वहीं वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में इसका दर 4.55 रुपये वर्ग मीटर रहा. बैरिकेडिंग बनाने में भी कुछ ऐसा ही हुआ है. बैरिकेडिंग की ऊंचाई छह फीट होनी थी, यह बैरिकेडिंग बल्ला की बनी होनी चाहिए तथा यह पांच लेयर में होना चाहिए था. यह पैमाने पर कितना खड़ा बना था, ये तो देखने वाले ही जानेंगे. वर्ष 2019 के चुनाव में बैरिकेडिंग की दर 1.80 रुपये प्रति वर्ग फीट में था, वहीं लोकसभा चुनाव 2024 में इसकी दर बढ़ाकर 18.70 रुपये किया गया. गद्दा का दर वर्ष 2019 के चुनाव प्रति पीस प्रति दिन 2.90 रुपये था, वहीं, वर्ष 2024 में इसकी दर अप्रत्याशित बढ़ोतरी हुई. यह बढ़कर 20 रुपये प्रति पीस प्रति दिन रहा. प्लास्टिक की कुर्सी वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में 2.20 रुपये प्रति पीस प्रति दिन था, वहीं वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में इसकी दर आठ रुपये प्रति पीस प्रति दिन के हिसाब से निविदा हुई. हैलोजन लाइट 1000 वॉट का दर वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में 56.25 पैसे प्रति पीस प्रति दिन था, जबकि लोकसभा चुनाव 2024 में इसकी दर 140 रुपये प्रति पीस प्रति दिन रहा. सीएफएल की दर वर्ष 2019 के चुनाव में पांच रुपये प्रति पीस प्रति दिन के दर से था, जबकि लोकसभा चुनाव 2024 में इसकी दर बढ़ाकर 20 रुपये प्रति पीस प्रति दिन की गयी. महज पांच वर्ष में ही निविदा में इस तरह की दर पर सामान किराये पर लिये जाने से कई सवाल खड़े हो रहे है. इससे कई सवाल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर उठ रहे है. सूत्रों की माने, तो इस बार चुनाव में पहली बार टेंट पंडाल की निविदा में बाहर के लोगों का टेंडर मंजूर किया गया. हंगामा हाेने के बाद फिर से किन परिस्थितियों में दोबारा निविदा हुई. बताया जाता है कि टेंट पंडाल की निविदा से पहले एक होटल में टेंट व्यवसायियों की एक गुप्त बैठक हुई. उसके बाद एक ही दिन सारे प्रतिभागियों ने मिलकर टेंडर गिराया. सूत्र बताते है कि सब कुछ एक अधिकारी की निगरानी में हुआ. आपराधिक मामले दर्ज रहने वाले से भी टेंडर लिये गये. उनका चरित्र प्रमाणपत्र निर्गत होना भी सवालों के घेरे में है.

दूसरी ओर कई नियमों की भी अनदेखी हुई. टेंडर लेने के लिए जिले में उस टेंट पंडाल संचालक का अपना गोदाम होना भी जरूरी है. लेकिन, टेंडर लेने वाले व्यवसायी पटना, सहरसा, दरभंगा आदि जगहों के थे. जिनका यहां कोई गोदाम भी सवालों के घेरे में है. इसकी अगर जांच हो तो कई तथ्य उजागर हो सकते हैं. वहीं, टेंडर लेने वालों के टर्न ओवर की भी अगर जांच हो, तो कई तथ्य सामने आ सकते हैं.

प्रावधान के मुताबिक चुनाव कार्य में उपयोग में लाये जाने वाले सामानों के किराये की दर पूर्व तय नहीं किया जाता है. गिराये गये निविदाओं में से सबसे कम दर वाले निविदा का चयन किया जाता है.

विनोद कुमार, उप जिला निर्वाचन पदाधिकारी, समस्तीपुर

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