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जिले की सोयबा नदी के अस्तित्व पर मंडरा रहा खतरा

जिले की नदियां कई वर्षों से प्यासी है. इन नदियों में करीब 10 वर्षों से पानी की पर्याप्त मात्रा नहीं आयी है. वर्षों से नदियों में पानी नहीं आने से उसके अस्तित्व पर संकट मंडरा रहा है.

बिहारशरीफ. जिले की नदियां कई वर्षों से प्यासी है. इन नदियों में करीब 10 वर्षों से पानी की पर्याप्त मात्रा नहीं आयी है. वर्षों से नदियों में पानी नहीं आने से उसके अस्तित्व पर संकट मंडरा रहा है. पानी का एक प्रमुख श्रोत है. नदी में पानी आने पर इस नदी के आसपास के गांवों का भू-गर्भीय जलस्तर बेहतर हो जाता था. नदी के पानी का इस्तेमाल सभी प्रकार के जीव-जंतु करते हैं. नदी किसानों के खेतों की सिंचाई का एक प्रमुख साधन भी है. अतिक्रमण से नदी के अस्तित्व पर संकट मंडरा रहा है. भू-गर्भीय जलस्तर लगातार खिसकता जा रहा है , ऐसी स्थिति में नदी का अस्तित्व समाप्त होने पर लोगों को पानी मिलना मुश्किल हो जाएगा. इससे बेपरवाह लोग निजी फायदे को लेकर नदियों की जमीन का लगातार अतिक्रमण कर रहे हैं . लोग नदी किनारे की जमीन का उपयोग विभिन्न कार्यों में कर रहे हैं. कहीं नदी की जमीन पर फसल लगाया जा रहा है तो कहीं नदी की जमीन को भर कर निजी उपयोग में किया जा रहा है. जिले की सोया नदी भी इससे अछूती नहीं है. गिरियक प्रखंड से पंचाने नदी से ही सोयबा नदी का उद्गम हुआ है. गिरियक प्रखंड से निकलकर अस्थावां प्रखंड के ढाई पिपर खंधा में सोया नदी जाकर जिरायन नदी से मिल गई है और सरमेरा प्रखंड से होते हुए धरोहर नदी में जाकर मिल गयी है. करीब 35 से 40 किलोमीटर लंबी सोयबा नदी की स्थिति काफी दयनीय है. इस नदी के उद्गम स्थल गिरियक वहां नदी के मुहाने पर बांध होने के कारण इस नदी में पानी न के बराबर आता है. नदी में भरा हुआ है गाद : सोया नदी में पहले काफी पानी आता था, लेकिन पिछले कई वर्षों से यह नदी सूखी पड़ी हुई है. कभी-कभार पानी आता है तो वह काफी कम मात्रा में ही आता है. नदी में जहां -तहां काफी मात्रा में गाद भरा हुआ है. गाद की उड़ाही न होने से नदी काफी छिछली हो गई है. बालू निकासी में सक्रिय हैं माफिया: नदी में जहां -तहां बालू है जिस पर बालू माफियाओं की नजर गड़ाए हुए हैं. नदी के लगातार सूखी रहने का लाभ उठाकर बालू का अवैध तरीके से उठाव कर बेचने के धंधे में लगे हैं. अचेतन गांव के पास व अंदी गांव के पास नदी से अवैध तरीके से बालू का उठाव का धंधा चल रहा है. क्या कहते हैं अधिकारी: एक्जीक्यूटिव इंजीनियर बाढ़ प्रमंडल नालंदा के कार्यपालक अभियंता ने बताया कि नदी के अतिक्रमण पर लगातार नजर रखी जा रही है. समय-समय पर जिला प्रशासन के द्वारा कार्रवाई की जाती है और नदी की भूमि से अतिक्रमण हटाया जाता है. सोया नदी की उड़ाही के लिए फिलहाल कोई योजना नहीं है. पंचाने नदी में सैनिक स्कूल के पास उड़ाही के लिए प्रस्ताव विभाग के पास भेजा गया है, जिसकी स्वीकृति अभी नहीं मिली है.

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