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रिसर्च में झंडे गाड़ रहे तकनीकी संस्थान, पांच साल में आइआइटी ने हासिल किया 35 और एकेयू ने एक पेटेंट

रिसर्च के मामले में पटना के टेक्निकल संस्थान सबसे आगे हैं. पिछले पांच साल के अंदर केवल आइआइटी ने 35 पेटेंट हासिल किया है.

अनुराग प्रधान@पटना
रिसर्च के मामले में टेक्निकल संस्थान सबसे आगे हैं. परंपरागत विवि रिसर्च और पेटेंट हासिल करने में काफी पीछे हैं. पिछले पांच साल के अंदर केवल आइआइटी ने 35 पेटेंट हासिल किया है. वहीं, आर्यभट्ट नॉलेज यूनिवर्सिटी ने पांच साल में एक पेटेंट हासिल किया है. इसके साथ अन्य संस्थान काफी पीछे हैं. पिछले दस सालों में आइआइटी पटना का 35, सीयूएसबी का नौ, महात्मा गांधी सेंट्रल यूनिवर्सिटी का तीन और पीयू का दो पेटेंट शामिल है. पिछले दस सालों में इन पांच संस्थानों को मिला कर कुल 27 पेटेंट हासिल किया गया था. वहीं, पिछले पांच सालों में आइआइटी पटना ने अकेले 35 पेटेंट व एकेयू ने एक पेटेंट हासिल किया और बाकी तीन संस्थानों ने एक भी पेटेंट हासिल नहीं किया. एकेयू में एक पेटेंट नैनो साइंस एंड टेक्नोलॉजी के डॉ राकेश कुमार की है.

आइआइटी पटना का सबसे अधिक जर्नल प्रकाशित
जर्नल पब्लिकेशन में भी आइआइटी भी सबसे आगे हैं. 2018 से 2022 तक आइआइटी का साइंस में 2074 व नन साइंस में 1039 जर्नल पब्लिश हुआ है. वहीं, सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ बिहार का 2018 से 2022 तक साइंस में 347 व नन साइंस में 112 जर्नल प्रकाशित हुआ है. महात्मा गांधी सेंट्रल यूनिवर्सिटी में 2018 से 2022 तक साइंस में 340 व नन साइंस में 13 जर्नल प्रकाशित हुआ है. वहीं, पटना यूनिवर्सिटी का 20218-2022 तक साइंस में 217 व नन साइंस में 29 जर्नल प्रकाशित हुआ है.

किस वर्ष किन संस्थानों में कितना हुआ शोध

आइआइटी पटना:
जर्नल : 2022: 2021: 2020: 2019: 2018 टोटल
साइंस : 695: 515: 465: 399: 301: 2074
नन साइंस: 206: 208: 211: 203: 211: 1039

महात्मा गांधी सेंट्रल यूनिवर्सिटी:
साइंस: 73: 74: 77: 55: 61: 340
नन साइंस: 4: 3: 2: 3: 1: 13

आर्यभट्ट नॉलेज यूनिवर्सिटी:
साइंस : 19: 29 : 15: 8: 10: 81
नन साइंस: 5: 5: 3: 4: 16: 33

सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ बिहार
साइंस: 93: 83: 87: 51: 33: 347
नन साइंस: 25: 19: 25: 21: 22: 112

पटना यूनिवर्सिटी:
साइंस: 59: 61: 44: 33: 20: 217
नन साइंस: 6: 4: 7: 7: 5: 29

शोध के लिए साथी केंद्र की होगी स्थापना
1. आइआइटी के साथ एकेयू, पीयू, सेंट्रल यूनिवर्सिटी गया और मोतिहारी करेगा शोध

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के उद्योगों, स्टार्टअप कंपनियों; सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों और अकादमिक संस्थानों की विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी आधारित आवश्यकता को पता करने और उनकी मदद के लिए साथी केंद्र स्थापित किये जायेंगे. प्रत्येक साथी केंद्र लगभग 125 करोड़ रुपये के निवेश से स्थापित किया जायेंगे. आइआइटी पटना इसे लीड करेगा. आइआइटी पटना के साथ पटना यूनिवर्सिटी, आर्यभट्ट नॉलेज यूनिवर्सिटी, सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ बिहार गया और महात्मा गांधी सेंट्रल यूनिवर्सिटी मोतिहारी को जोड़ा गया है. रिसर्च एंड इंफ्रास्ट्रक्चर क्रिएशन आइआइटी करेगा. डीएसटी ने चार वर्षों तक हर साल पांच ‘साथी’ केंद्रों की स्थापना की योजना बनायी है. इन केंद्रों द्वारा महंगे उपकरणों की पहुंच, उनके रखरखाव, संसाधनों के समुचित उपयोग को सुनिश्चित करने के साथ-साथ दोहराव जैसी समस्याओं का समाधान हो सकेगा. इसी के साथ-साथ सीमित अवसंरचना वाले संस्थानों तक प्रभावी संसाधनों की पहुंच को सुनिश्चित करने के प्रयासों को मजबूती भी मिल सकेगी. इसका उद्देश्य वैश्विक नेतृत्व के लक्ष्य से विज्ञान और प्रौद्योगिकी के अत्याधुनिक क्षेत्रों में क्षमता बढ़ाना है.

नवाचार को बढ़ावा देने के लिए सरकार की नयी पहल है ‘साथी’
देश में विज्ञान और प्रौद्योगिकी आधारित नवाचार को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार ने एक नयी पहल ‘साथी’ केंद्र की स्थापना की है. इस केंद्र के लिए आइआइटी पटना को नोडल केंद्र बनाया गया है. विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अधीन कार्यरत विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) द्वारा शुरू की गयी ‘सोफिस्टिकेटेड इलेक्ट्रिकल एंड टेक्निकल हेल्प इंस्टीट्यूट’ (साथी) योजना इस पहल में शामिल है. इस योजना के अंतर्गत देश के अलग-अलग हिस्सों में शुरू होने वाले विभिन्न साथी केंद्रों में हाइ-ऐंड एनालिटिकल टेस्टिंग उपकरण स्थापित किये जायेंगे. साथी केंद्र उद्योगों, मैन्युफैक्चरिंग इकाइयों, शोध एवं विकास प्रयोगशालाओं, स्टार्टअप, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों और अकादमिक संस्थानों को उत्कृष्ट ढांचा उपलब्ध कराने के लिए स्थापित किये जायेंगे.

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