सरकारी विभागों में पैठ बनाने में हुआ कामयाब, छोटे-बड़े पदाधिकारियों का बन गया चहेता वरीय संवाददाता, देवघर नीट पेपर लीक मामले में आरोपितों को संरक्षण देने वाले देवघर के रहने वाले दीनानाथ सिंह उर्फ झुन्नी सिंह को बिहार की अपराध इकाई (इओयू) और अब सीबीआइ तलाश रही है. झुन्नी की कारगुजारियों का सफर देवघर में ही शुरू हुआ, पहले छोटे-मोटे काम करने वाला झुन्नी वर्ष 2003-04 में बीएसएनएल के सिम कार्ड की खरीद-बिक्री कर विभाग में अपनी पैठ बनायी. देखते ही देखते कम समय में ही झुन्नी बीएसएनएल के तत्कालीन पदाधिकारियों का चहेता बन गया. फिर ब्राॅडबैंड का बाजार आते ही झुन्नी की किस्मत अचानक से बुलंदियों पर पहुंच गयी. सरकारी विभागों, सरकारी व निजी बैंकों के अलावा बड़े व्यावसायिक घरानों तक झुन्नी की पहुंच बन गयी. इस अवसर का उसने जबरदस्त फायदा उठाया. निजी टेलीकॉम कंपनियों के ब्राडबैंड सेवा धरातल पर आने से पहले तक सरकारी विभाग के पदाधिकारियों के चेंबर व उनके आवास तक जबरदस्त पैठ बना ली. शुरू-शुरू में झुन्नी ने अपनी पहुंच का लाभ सरकारी कार्यालयों में स्टेशनरी आइटम सप्लाइ शुरू कर लिया. फिर, विभागों में लगने वाले लकड़ी के आइटम की सप्लाइ करने लगा. धीरे-धीरे सरकारी आयोजनों पर होने वाले भोजन का अरेंजमेंट और कंप्यूटर व लैपटॉप की सप्लाई में भी उसने अपनी भूमिका निभायी. इस तरह वह राज्य के कई वरिष्ठ प्रशासनिक व तकनीकी पदाधिकारियों का चहेता बन बैठा. अब उसे जिले से लेकर राज्य स्तर पर भी कई तरह के सरकारी विभागों में सप्लाइ का रास्ता मिल गया. खासकर चुनावी प्रक्रिया के दौरान कई सारे मेटेरियल व सरकारी स्थलों पर सिस्टम के अरेंजमेंट में झुन्नी व उसकी टीम की भूमिका अहम होती थी. इस पूरे कारोबार से उसने अकूत संपत्ति जमा की, जिसके जरिये देवघर ही नहीं झारखंड की कई शहरों व बिहार के कई शहरों में प्लॉट की खरीदारी की. जानकार तो यह भी बताते हैं कि झुन्नी ने इन पैसों से चारपहिया वाहनों की लंबी कतार खड़ी की है. सरकारी पदाधिकारियों व बाबुओं को रात-दिन आने-जाने में कहीं समस्या हुई तो कॉल आते ही झुन्नी उनके लिए तुरंत व्यवस्था कर देता था.
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