10 साल पूर्व अपहरण व हत्या का मामले में पांच आरोपियों में एक आरोपी की हो चुकी मृत्यु, चार आरोपी जमानत पर
मुख्य संवाददाता, जमशेदपुर
एडीजे-7 वैशाली श्रीवास्तव के कोर्ट में गुरुवार को मानगो थाना अंतर्गत 10 साल पूर्व 2014 में हुए भगवान दास गुप्ता के अपहरण और हत्याकांड में शामिल चार आरोपियों (इमरान अंसारी, राजो उर्फ शमशुद्दीन, मोहम्मद युनूस उर्फ बबलू, फिरोजा परवीन) का सीआरपीसी 313 का बयान दर्ज किया. इसमें आरोपियों ने खुद को निर्दोष बताते हुए खुद पर लगे केस को झूठा बताया. कोर्ट में बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता आलोक कुमार, श्रीकांत चौरसिया व प्रिया शर्मा मौजूद थीं. मालूम हो कि 10 साल पूर्व 2014 में मानगो में भगवान दास गुप्ता के अपहरण और हत्याकांड की घटना हुई थी. पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक मानगो के व्यवसायी भगवान दास गुप्ता 29 दिसंबर 2014 से फरार था. दो दिन बाद 31 दिसंबर 2014 को परिजन ने मानगो थाना में अपहरण का केस किया था. बाद में पुलिस ने भगवान दास गुप्ता का क्षत-विक्षत शव हजारीबाग के इचाक थाना क्षेत्र के एक जंगल से बरामद किया था.
सुंदरनगर : धोखाधड़ी के केस में तीन आरोपियों की अग्रिम जमानत मंजूर
जमशेदपुर.
जिला प्रधान एवं सत्र न्यायाधीश के कोर्ट ने गुरुवार को जमीन खरीद-बिक्री में धोखाधड़ी के केस में सुंदरनगर के विष्णु कर्मकार, काला कर्मकार, आनंद कर्मकार को अग्रिम जमानत प्रदान किया. कोर्ट में बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता अजय राठौर ने पैरवी की थी. वर्ष 2021 में यूसीएल कर्मी उपेंद्र सिंह को जमीन खरीदने के लिए विष्णु कर्मकार, काला कर्मकार व आनंद कर्मकार के बीच समझौता हुआ, लेकिन जमीन खरीदने के लिए तय साढ़े 11 लाख राशि में से आधा से कम राशि देने, बाद में दिखाये गये जमीन को सरकारी बताने का मामला हो गया था. इस कारण राशि लौटने के विवाद में मारपीट होने व सोने की चेन की चोरी करने की धारा तीनों आरोपियों पर लगाकर सुंदरनगर थाना में केस दर्ज किया था.उलीडीह : दहेज प्रताड़ना व घरेलू हिंसा में सजायाफ्ता जिला कोर्ट ने बरी किया
जमशेदपुर.
एडीजे-6 नमिता चंद्रा के कोर्ट ने गुरुवार को उलीडीह थाना में दर्ज दहेज प्रताड़ना व घरेलू हिंसा में दो साल के सजायाफ्ता राजीव रंजन सिंह के केस में निचली अदालत के फैसले को खारिज करते हुए केस से बरी कर दिया. मालूम हो कि 10 साल पूर्व उलीडीह थाना में दहेज प्रताड़ना व घरेलू हिंसा का केस राजीव रंजन सिंह के खिलाफ दर्ज हुआ था. इसमें तीन मई 2024 को प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी आलोक कुमार के कोर्ट ने दो साल की सजा सुनायी गयी थी. हालांकि कोर्ट से आरोपी को प्रोविजनल बेल मिल गया था. इधर निचली कोर्ट के फैसले के खिलाफ जिला कोर्ट में अपील किया गया, गुरुवार को निचली कोर्ट के फैसले को खारिज करते हुए आरोपी को आरोप मुक्त किया. केस में अनुसंधान पदाधिकारी की गवाही नहीं होने, मिडियेशन में समझौता का अनुपालन नहीं करने का लाभ आरोपी को मिला.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है