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जिले में परिवार नियोजन के लिए शुरू हुआ दंपती संपर्क पखवारा

वैशाली जिले में स्वास्थ्य विभाग के निर्देश पर जिले में परिवार नियोजन को लेकर जागरूकता अभियान शुरू किया गया. 27 जून से 31 जुलाई तक चलने वाले अभियान के तहत गुरुवार से दंपती संपर्क पखवारा की शुरुआत हुई.

वैशाली जिले में स्वास्थ्य विभाग के निर्देश पर जिले में परिवार नियोजन को लेकर जागरूकता अभियान शुरू किया गया. 27 जून से 31 जुलाई तक चलने वाले अभियान के तहत गुरुवार से दंपती संपर्क पखवारा की शुरुआत हुई. इस पखवारे में आशा अपने पोषक क्षेत्र में घर-घर जाकर दंपति से मिलेंगी और रजिस्ट्रेशन करेंगी. 11 जुलाई, विश्व जनसंख्या नियंत्रण दिवस से जिले के सदर अस्पताल समेत अन्य अस्पतालों में परिवार नियोजन शिविरों का आयोजन होगा. डीसीएम निभारानी सिन्हा ने बताया कि तेजी से बढ़ती आबादी और घटते संसाधनों के बीच लोगों को छोटा परिवार, सुखी परिवार जैसे नारे का निहितार्थ समझाना और इसके लिए उन्हें रजामंद करना अभियान का उद्देश्य है. तेजी से बढ़ती जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए सरकार कई योजनाएं चला रही हैं. महिलाओं में भी छोटा परिवार, सुखी परिवार को लेकर जागरूकता आयी है. इसी वजह से बंध्याकरण की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. हालांकि परिवार नियोजन को लेकर महिलाओं की तुलना में पुरुषों में जागरूकता का घोर अभाव है. पिछली बार चलाये गये परिवार नियोजन पखवाड़े के दौरान हुए बंध्याकरण के आंकड़ों पर नजर डालें तो 1173 महिलाओं ने बंध्याकरण कराया, जबकि मात्र तीन पुरुष ही नसबंदी के लिए अस्पताल पहुंचे. स्पष्ट है कि महिलाओं में तो जागरूकता आयी है, लेकिन पुरुषों में हिचक बरकरार है. हम दो हमारे दो, छोटा परिवार सुखी परिवार के नारों के बीच बीते कुछ दशकों में तेजी से बढ़ती आबादी के बोझ और घटते संसाधनों से बेरोजगारी जैसी कई गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो गयी हैं. आंकड़ों पर गौर करें तो सिर्फ वैशाली जिले की आबादी में पिछले दो दशक के दौरान लगभग डेढ़ गुनी वृद्धि हुई है. वर्ष 1991 की जनगणना में जिले की जनसंख्या 21 लाख 46 हजार 65 थी. वर्ष 2001 के सर्वे में यह आंकड़ा बढ़कर 27 लाख 12 हजार 389 पर पहुंच गया. वर्ष 2011 में यह संख्या 34 लाख 95 हजार 249 पर पहुंच गयी. आंकड़ों से जाहिर है कि आधुनिकता की दौर में भी लोगों के बीच छोटा परिवार सुखी परिवार का कांसेप्ट पूरी तरह विकसित नहीं हो पाया है. शायद यही वजह है कि सरकार को घर-घर जाकर लोगों को परिवार नियोजन के महत्व की जानकारी देनी पड़ रही है. बढ़ती जनसंख्या को नियंत्रित करने व महिला-पुरुष बंध्याकरण को बढ़ावा देने के लिए उच्च प्रजनन दर वाले सात राज्यों के 145 जिलों में 21 नवंबर 2016 से मिशन परिवार विकास योजना चलायी जा रही है. बिहार में सिर्फ पटना और अरवल को छोड़कर शेष सभी जिलों में इसे लागू किया गया है. इस योजना के तहत सरकारी अस्पतालों में बंध्याकरण कराने वाली महिलाओं को दो हजार तथा प्रसव बाद बंध्याकरण कराने वाली महिलाओं को तीन हजार रुपये प्रोत्साहन राशि दी जाती है. प्रत्यायित निजी अस्पतालों में महिलाओं को बंध्याकरण के 25 सौ एवं प्रसव बाद बंध्याकरण कराने वाली महिलाओं को तीन हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जानी है. वहीं नसबंदी कराने वाले पुरुषों को तीन हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जा रही है. परिवार विकास मिशन के तहत अभियान चलाकर दंपतियों को परिवार नियोजन के स्थायी व अस्थायी उपायों की जानकारी दी जा रही है. जनसंख्या नियंत्रण तथा परिवार नियोजन के स्थायी व अस्थायी संसाधनों के इस्तेमाल के प्रति पुरुषों को भी जागरूक होने की जरूरत है. मिशन को सफल बनाने के लिए सास-बहू सम्मेलन, डोर-टू-डोर कैंपेन आदि माध्यमों से लोगों को जागरूक किया जा रहा है.

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