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मौसम के आगे मजबूर हैं धान लगाने वाले किसान

प्रखंड के टाल क्षेत्र के गोपालपुर, पश्चिमी सलेमपुर, कवादपुर, पूर्वी सलेमपुर, किरणपुर, रामपुर, अरमा आदि मौजे के हजारों एकड़ जमीन में किसान प्रत्येक साल धान रोपाई का लक्ष्य लेकर खेती करते हैं.

मेदनीचौकी. प्रखंड के टाल क्षेत्र के गोपालपुर, पश्चिमी सलेमपुर, कवादपुर, पूर्वी सलेमपुर, किरणपुर, रामपुर, अरमा आदि मौजे के हजारों एकड़ जमीन में किसान प्रत्येक साल धान रोपाई का लक्ष्य लेकर खेती करते हैं. नगदी फसल के रूप में यहां के किसान धान की फसल को देखते हैं. धान की उपज अच्छी होने के कारण अब यहां के मुख्य फसल की जगह ले ली है. हालांकि इस फसल के प्रबंधन में नगद लागत एक मुस्त लग जाता है. किसानों ने बताया कि लगभग एक बीघा पर धान रोपाई में कम से कम 10 हजार रुपये पूंजी लग जाती है. धान की उपज अच्छी हुई तो कम से कम दो मन इकट्ठा होता है. जिससे एक बीघा में 16 क्विंटल उपज होता है, जिसका मूल्य 32 से 34 हजार रुपये होता है जो लागत पूंजी से तिगुना है. इसलिए टाल क्षेत्र के किसान धान की फसल को मुख्य फसल के रूप में अपना लिया है, लेकिन धान लगाने के समय में मौसम हर साल किसानों को दगा दे जाता है. जिससे मौसम के आगे धान लगाने वाले किसान मजबूर हो जाते हैं. आसमान से आग उगलने वाली चिलचिलाती धूप में बोरिंग से सिंचाई भी दम तोड़ देता है. किसानों का कहना है कि जब तक प्रकृति के बारिश का साथ नहीं मिलेगा. किसान बोरिंग के भरोसे धान की अच्छी उपज नहीं ले पायेंगे. किसान अजय शर्मा ने बताया कि टाल क्षेत्र में सरकार द्वारा भी सिंचाई के लिए बिछाया गया बिजली खंभों का जाल अबतक बरदान साबित नहीं हो पाया है. सब जगह सिंचाई के लिए लगाया गया बिजली का खंभा आधा-अधूरा ही पड़ा है. सरकार के सिंचाई के लक्ष्य के अनुरूप अबतक किसानों को धान की फसल में सिंचाई का लाभ नहीं मिल रहा है.

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