संवाददाता,पटना
बिहार में वैध फार्मासिस्टों की कमी के कारण दवा दुकानों का कारोबार संचालित किया जा रहा है. जानकारों का कहना है कि राज्य में चार-पांच हजार लोगों ने फर्जी तरीके से फार्मासिस्ट की डिग्री लेकर अपना निबंधन काउंसिल में करा लिया है. लंबे समय के बाद बिहार फार्मेसी काउंसिल के गठन हो चुका है. काउंसिल के सामने अभी दोहरी चुनौती है कि कैसे फर्जी फार्मिस्टों का रजिस्ट्रेशन को हटाया जाये. साथ ही काउंसिल के पास 12000 नये फार्मेसी उत्तीर्ण छात्रों का आवेदन पत्र लंबित पड़ा है. इन सभी आवेदन करने वाले फार्मासिस्टों की डिग्री की जांच कराने के बाद उनका निबंधन किया जाये. साथ ही राज्य में बढ़ी संख्या में फार्मासिस्टों के रजिस्ट्रेशन का रिन्युअल नहीं हुआ है. उनका रिन्युअल कराया जाये. फार्मेसी काउंसिल के नवनिर्वाचित अध्यक्ष डाॅ प्रकाश कुमार ने बताया कि जुलाई से काउंसिल द्वारा आवेदन करने वाले फार्मासिस्टों का निबंधन की प्रक्रिया आरंभ हो जायेगी. साथ ही फार्मासिस्टों के निबंधन का रिन्युअल भी आरंभ हो जायेगा. फार्मेसी काउंसिल कार्यकारिणी के सदस्य अर्जेश राज श्रीवास्तव ने बताया कि फार्मेसी काउंसिल का पिछले दो साल से सुचारू ढंग से संचालन नहीं हो रहा था. इसके कारण फार्मासिस्टों को परेशानी हुई है. फार्मेसी पास छात्रों को निबंधन को प्राथमिकता निर्धारित की गयी है जिससे छात्रों की रोजगार और नौकरी मिल सके.
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