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एक जुलाई से देश में लागू हो जायेंगे तीन नये कानून

सोमवार यानि एक जुलाई से देश की न्याय प्रणाली में कई बदलाव देखने को मिलेंगे. ब्रिटिश काल से देश में लागू तीन आपराधिक कानून 30 जून की आधी रात से इतिहास बन जायेगी.

लखीसराय. सोमवार यानि एक जुलाई से देश की न्याय प्रणाली में कई बदलाव देखने को मिलेंगे. ब्रिटिश काल से देश में लागू तीन आपराधिक कानून 30 जून की आधी रात से इतिहास बन जायेगी. एक जुलाई से देश में नये मुकदमे और प्रक्रिया भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) लागू होंगे. बता दें कि उपरोक्त तीनों कानूनों को विगत वर्ष 21 दिसंबर को संसद की मंजूरी मिलने के बाद राष्ट्रपति के द्वारा 25 दिसंबर को अपनी सहमति दे दी गयी थी. नये कानून लागू हो जाने से पुलिस की भी जवाबदेही बढ़ जायेगी. बताया जा रहा है कि नये कानून में पुलिस की जवाबदेही भी बढ़ा दी गयी है. हर राज्य सरकार को अब हर जिले के हर पुलिस थाने में एक ऐसे पुलिस अफसर की नियुक्ति करनी होगी, जिसके ऊपर किसी व्यक्ति की गिरफ्तारी से जुड़ी हर जानकारी रखने की जिम्मेदारी होगी. पुलिस को अब पीड़ित को 90 दिन के भीतर उसके मामले से जुड़ी जांच की प्रोग्रेस रिपोर्ट भी देनी होगी. पुलिस को 90 दिन में चार्जशीट दाखिल करनी होगी. परिस्थिति के आधार पर अदालत 90 दिन का समय और दे सकती है. 180 दिन यानि छह महीने में जांच पूरी कर ट्रायल शुरू करना होगा. अदालत को 60 दिन के भीतर आरोप तय करने होंगे. सुनवाई पूरी होने के बाद 30 दिन के अंदर फैसला सुनाना होगा. फैसला सुनाने और सजा का ऐलान करने में सात दिन का ही समय मिलेगा. इन्हीं सभी बातों को लेकर व्यवहार न्यायालय के अधिवक्ताओं से इस संबंध में प्रतिक्रिया लेने पर उन्होंने इस पर खुलकर अपनी बात रखी.

कानून में बदलाव को लेकर अधिवक्ताओं ने रखे अपने विचार

बहुत लोगों द्वारा भारतीय दंड संहिता की बहुत सारी धारा को आम बोल चाल की भाषा में अपना लिया गया. जिसके बदलने से अब सामान्य लोग असमंजस की स्थिति में पड़ सकते हैं. भारतीय न्याय संहिता दिनांक एक जुलाई 2024 से लागू होकर हत्या को अब 302 की जगह 103, हाफ मर्डर से प्रचलित 307 को 109, महिलाओं के साथ छेड़छाड़ 354 ए, बी, सी, डी को 74,75,76,77 और 78, नाबालिग लड़की का अपहरण 363 को 139, दुष्कर्म 376 को 64, दहेज हत्या 304बी को 80 और आत्महत्या जैसे संज्ञेय अपराध को 108 भारतीय न्याय संहिता के रूप में जाना जायेगा. जिला स्तर पर अधिवक्ताओं और आम जनों को जागरूक करने के लिए कार्यशाला का आयोजन किया जाना चाहिये, जिससे सभी को नये कानूनों के बारे में में उनकी बारीकियों के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी मिल सके.

रजनीश कुमार, अधिवक्ता, जिला विधिज्ञ संघ, लखीसराय

कानून के प्रति हम महिलाओं को जागरूक होना समाज हित में है. चूंकि जानकारी के अभाव में महिला स्वयं मानसिक रूप से प्रताड़ित हो जाती हैं. उन्होंने कहा कि महिलाओं के लिए आईपीसी में धारा 375 में दुष्कर्म को परिभाषित किया गया है, जबकि 376 में इसके लिए सजा का प्रावधान है, जबकि, भारतीय न्याय संहिता में धारा 63 में दुष्कर्म की परिभाषा दी गयी है और 64 से 70 में सजा का प्रावधान किया गया है. आईपीसी की धारा 376 के तहत रेप का दोषी पाये जाने पर 10 साल तक की जेल की सजा का प्रावधान है. बीएनएस की धारा 64 में भी यही सजा रखी गयी है. बीएनएस में नाबालिगों से दुष्कर्म में सख्त सजा कर दी गयी है. 16 साल से कम उम्र की लड़की के साथ दुष्कर्म का दोषी पाये जाने पर कम से कम 20 साल की सजा का प्रावधान किया गया है. इस सजा को आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है. आजीवन कारावास की सजा होने पर दोषी की सारी जिंदगी जेल में ही गुजरेगी. बीएनएस की धारा 65 में ही प्रावधान है कि अगर कोई व्यक्ति 12 साल से कम उम्र की बच्ची के साथ दुष्कर्म का दोषी पाया जाता है तो उसे 20 साल की जेल से लेकर उम्रकैद तक की सजा हो सकती है. इसमें भी उम्रकैद की सजा तब तक रहेगी, जब तक दोषी जिंदा रहेगा. ऐसे मामलों में दोषी पाये जाने पर मौत की सजा का प्रावधान भी है, इसके अलावा जुर्माने का भी प्रावधान किया गया है.

राखी कुमारी, अधिवक्ताB

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