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खुद का जीवन खतरे में डाल सांपों व इंसानों की जान बचाते हैं हरिओम नारायण

बरसात का मौसम आते ही सर्प दंश का खतरा बढ़ गया है. आलम यह है कि पानी से बचने के लिए सांपों की प्रजातियां सुरक्षित स्थान की तलाश में रिहायशी इलाके में प्रवेश कर रही हैं और घरों में भी पहुंच जा रहे हैं

बक्सर. बरसात का मौसम आते ही सर्प दंश का खतरा बढ़ गया है. आलम यह है कि पानी से बचने के लिए सांपों की प्रजातियां सुरक्षित स्थान की तलाश में रिहायशी इलाके में प्रवेश कर रही हैं और घरों में भी पहुंच जा रहे हैं. लिहाजा उन बेजुबान व निरीह सांपों को काल समझकर उनसे बचने के लिए लोग या तो मार देते हैं अथवा मारने का प्रयास करने के दौरान उनकी चपेट में आकर असमय काल के गाल में समा जाते हैं. इस बीच सदर प्रखंड के दलसागर निवासी हरिओम नारायण बतौर सर्प मित्र न केवल सर्पों को पकड़कर उन्हें मुसीबत से बचा रहे हैं, बल्कि इंसानों के खतरा भी कम रहे हैं. इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि हरि ओम पिछले तीन दिनों में विभिन्न घरों से 17 सांपों को बचाकर सुरक्षित स्थानों पर छोड़ चुके हैं. जिनमें 7 किंग कोबरा, 5 करैत व तीन धामिन समेत सांपों की अन्य प्रजातियां शामिल हैं. औसतन दो सौ लोग बनते हैं सांपों के निवाला हरि ओम बताते हैं कि हर साल बारिश के मौसम में बक्सर जिला में 200 से अधिक लोगों की जान जाती है. आने वाले 4 से 5 महीना में सर्प दंश से कई लोगों की जान जाएगी. क्योंकि बारिश की पानी के चलते खेत एवं निचले इलाकों में पानी भर जाता है. जिससे सांप सुरक्षित जगह की तलाश में घर में पहुंच जाते हैं और लोगों को डंस लेते हैं. जिले में जहरीेले सांपों की प्रजातियां सर्प मित्र हरि ओम का कहना है कि भारत में 300 सांपों की प्रजातियां पाई जाती हैं. जिनमें सिर्फ 15 सांप जहरीले हैं, लेकिन जिले में सिर्फ दो ही जहरीले सांप पाए जाते हैं. शेष बिना जहर वाले हैं. बिना जहर वाले सांप के डंसने से लोग अंधविश्वास में झाड़-फूंक से तो बच जाते हैं, जबकि विर्षले सर्प के डंसने से उसी चक्कर में उनकी जान चली जाती है. ऐसे में सर्प दंश के 3 घंटे के अंदर इंसान को तुरंत अस्पताल जाने से उनकी जान बचना संभव है. बक्सर में दो जहरीले सांपों में कोबरा और करैत है. स्थानीय भाषा में कोबरा को नाग अथवा गेहूंअन के नाम से जाना जाता है. सबसे खतरनाक होता है करैत जिले में पाए जाने वाली सांपों की दो विषैली प्रजातियों में सबसे खतरनाक करैत है. यह रात को 10 बजे के बाद अपनी मांद से बाहर निकलता है और सुबह 4 बजे से पहले सोए हुए मनुष्य के संपर्क में आता है. उनके दंश पर चींटी या मच्छर जैसा दर्द महसूस होता है. इनके डंसने के बाद ठीक 1 से 2 घंटे के उपरांत पेट दर्द, उल्टी और चक्कर महसूस होने लगता है और सही जानकारी न होने के कारण इंसान की जान चली जाती है. उपचार के लिए पहुंचे अस्पताल रात में कभी भी पेट दर्द, उल्टी व चक्कर महसूस होने पर उस व्यक्ति को तुरंत सदर अस्पताल या प्रताप सागर स्थित मेथोडिस्ट अस्पताल पहुंचाना चाहिए. वहीं किसी के घर में सांप निकलता है या किसी को सांप डंस लेता है तो हरिओम नारायण के मोबाइल नंबर 8789042874 पर संपर्क किया जा सकता है. हरिओम बताते हैं कि उन्हें कोबरा ने दो बार डंसा है. लिहाजा मुझे काफी अच्छे से पता है कि सर्प दंश की स्थिति में क्या करना चाहिए.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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