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जेनेटिक अस्पताल के डायरेक्टर व स्टाफ पर रंगदारी मांगने का केस

पीड़िता के पति की शिकायत पर सदर थाना में दर्ज किया गया केस

रांची (वरीय संवाददाता). जेनेटिक अस्पताल के डायरेक्टर मनोज अग्रवाल और स्टाफ राजा खान के खिलाफ रंगदारी मांगने, बंधक बनाने, गाली-गलौज करने, जातिसूचक गाली देने सहित अन्य धाराओं के तहत सदर थाना में प्राथमिकी दर्ज करायी गयी है. प्राथमिकी खूंटी के रनिया क्षेत्र के निवासी मंगलू सिंह की शिकायत पर हुई है. प्राथमिकी में इन्होंने कहा है कि इनकी पत्नी सुनीता कुमारी को प्रसव के लिए तोरपा रेफरल अस्पताल लाया गया था. वहां से उसे खूंटी सदर अस्पताल रेफर कर दिया गया. वहां पर इलाज में असमर्थता जताने के बाद उसे रिम्स रेफर कर दिया गया. खूंटी सदर अस्पताल से रांची पहुंचने के बाद एक अज्ञात ऑटो वाला रिम्स में सही इलाज नहीं होने का हवाला देते हुए पत्नी को जेनेटिक अस्पताल ले गया. जेनेटिक अस्पताल में पहुंचने के बाद मुझे बताया गया कि ऑपरेशन करना पड़ेगा. इसमें कुल एक लाख 20 हजार रुपये का खर्च आयेगा. इसके अलावा दवा का खर्च अलग से देना पड़ेगा. ऑपरेशन के बाद रहने का कोई खर्च नहीं लगेगा. इसके बाद ऑपरेशन से पहले मुझे अस्पताल में पैसा जमा करने को कहा गया. 28 मई को मैंने 90 हजार रुपये जमा किये. ऑपरेशन के बाद 31 मई को 30 हजार, तीन जून को 50 हजार जमा कराया. वहीं दवा के खर्च के रूप में 34 हजार रुपये अलग से दिये. इसके बाद अस्पताल से पत्नी व बच्चे को छोड़ने के लिए बोला, तो जेनेटिक अस्पताल के राजा खान व डायरेक्टर मनोज अग्रवाल ने मुझे जबरदस्ती धमकी देते हुए रंगदारी के तौर पर एक लाख 60 हजार रुपये देने की बात कही. यह भी कहा कि जब पैसे मिलेंगे, तभी पत्नी व बच्चा को छोड़ेंगे. जब मैं रोने लगा, तो बच्चे को घर ले जाने के लिए दे दिया. लेकिन पत्नी को बंधक बनाकर अस्पताल में रख लिया. जबकि जमीन और जानवर बेचकर पत्नी के इलाज के लिए मैंने अस्पताल में पैसा दिया था. जब भी अस्पताल पत्नी से मिलने जाता था, तो राजा खान द्वारा मुझे जातिसूचक गाली देते हुए भगा दिया जाता था. जब डायरेक्ट मनोज अग्रवाल के पास गया, तो पीछे से राजा खान भी वहां पहुंच गया. फिर गाली देते हुए कहा कि एक लाख 60 हजार रुपये नहीं दोगे, तो पत्नी को जाने नहीं देंगे. अस्पताल में तुम्हारी पत्नी से झाड़ू-पोछा करवाकर पैसे वसूल करेंगे. बाद में मेरी शिकायत पर सीआइडी की टीम अस्पताल आयी और बच्चे को छुड़वाया. हॉस्पिटल से मुक्त होने के बाद सुनीता ने बताया कि हमें जेनरल वार्ड में रखा गया था. वहीं पैसा मंगवाने के लिए गलत व्यवहार किया जाता था.

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