रांची. डीएसपीएमयू के पीजी हिंदी विभाग और राष्ट्रकवि दिनकर प्रतिष्ठान के संयुक्त तत्वावधान में शनिवार को रश्मिरथी संवाद का आयोजन किया गया. यह आयोजन रामधारी सिंह दिनकर की 50वीं पुण्यस्मृति पर किया गया. अध्यक्षता करते हुए कुलपति डॉ तपन कुमार शांडिल्य ने दिनकर की प्रसिद्ध पंक्तियों से शुरुआत की-जब नाश मनुज पर छाता है, पहले विवेक मर जाता है. उन्होंने कहा कि ये पंक्तियां और उनकी कविताएं हमें जीवन में अनुशासन और संस्कार सिखाती हैं. हमें प्रेरित करती हैं. दिनकर एक कुशल राजनीतिज्ञ, प्रशासक, कवि और साहित्यकार के रूप में बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे. मुख्य अतिथि दिनकर के पौत्र ऋत्विक उदयन ने कहा कि रश्मिरथी संवाद के जरिये हम दिनकर साहित्य को समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाना चाहते हैं. इस शृंखला के तहत पूरे भारत वर्ष के विभिन्न संस्थानों में 50वीं पुण्य स्मृति पर 50 कार्यक्रम आयोजित होंगे. डॉ जंग बहादुर पांडेय ने दिनकर की आग और राग के कवि के रूप में व्याख्या की. मौके पर पीजी हिंदी विभाग के अध्यक्ष डॉ जिंदर सिंह मुंडा, संगीता कुमारी, संजय और रेखा सहित अन्य मौजूद थे. विवि के पीआरओ प्रो राजेश कुमार सिंह ने बताया कि इस आयोजन में हिंदी विभाग के विद्यार्थियों की सराहनीय भूमिका रही.
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