सरोज कुमार, कटिहार. 45 वार्डों में विभक्त नगर निगम वासियों को शुद्ध पेयजल के प्रति नगर निगम प्रशासन शिथिलता बरत रहा है. पूर्व में नगर निगम ने वार्डवासियों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराये जाने को प्लानिंग बनायी गयी थी. उसके बाद पीएचईडी से शुद्ध पेयजल डोर टू डोर पहुंचाने की कवायद में शामिल किया गया. पुन: 2018 के करीब बुडकों द्वारा नल जल के तहत डोर टू डोर शुद्ध पेयजल मुहैया कराने के लिए योजना में लेकर मोटी राशि खर्च किया गया. बावजूद निगम के सभी वार्ड के घरों में शुद्ध पेयजल मुहैया नहीं हो पाने से वार्डवासी जहां-तहां, जैसे-तैसे शुद्ध पेयजल मुहैया कर पानी पी रहे हैं. मध्यम वर्गीय घरों में आज भी शुद्ध पेयजल को लेकर समस्या बरकरार है. सस्ते दरों पर इन घरों में डब्बा बंद पानी का इस्तेमाल हो रहा है. यही वजह है कि नियम व मानकों को ताक पर रखकर पानी प्लांट लगाकर इस क्षेत्र के छोटे व्यवसायी जहां मालामाल हो रहे हैं. दूसरी ओर निगम से ट्रेडिंग लाइसेंस, स्वास्थ्य विभाग से पानी की शुद्धता की एनओसी लिये बगैर निगम के हर वार्ड के मोहल्लों में धड़ल्ले से प्लांट लगाया जा रहा है. निगम प्रशासन द्वारा इस ओर शिथिलता बरते जाने के कारण लोग जहां शुद्ध पेयजल के नाम पर अतिरिक्त राशि खर्च कर प्यास बुझा रहे हैं. दूसरी ओर इन व्यवसायियों द्वारा निगम के राजस्व को चूना लगाया जा रहा है. बिना मानकों को पूरा किये वार्ड के मोहल्लों में जहां-तहां, जैसे- तैसे प्लांट लगाये जाने व साफ सफाई के अभाव में लोगों के घरों तक पहुंचने वाले बोतल बंद डब्बे के पानी से कीड़े मकोड़े निकलने से आये दिन प्लांट के संचालकों के साथ तू-तू, मैं-मैं की समस्याए आ रही है. निगम प्रशासन को इस ओर गंभीरता से ध्यान दिये जाने की मांग अब वार्ड के लोगों द्वारा की जा रही है. कई वार्डवासियों का कहना है कि केवल नगर निगम के 45 वार्डों में करीब दो से ढाई सौ पानी प्लांट लगाया गया है. उनलोगों की माने तो इस तरह के छोटे उद्योग धंधे करने वाले का सर्वे कराकर ट्रेडिंग लाईसेंस निर्गत करने से निगम के राजस्व की वृद्धि होगी. साथ ही नगर प्रशासन के अंडर में चलने से इनलोगों के बीच मानक को पूरा करने को लेकर डर बना रहेगा.
मानकों की हो रही अनदेखी, आये दिन लगाये जा रहे प्लांट
वार्ड के लोगों की माने तो पानी प्लांट छोटा उद्योग है. निगम प्रशासन की शिथिल रवैये के कारण आये दिन लगाये जा रहे पानी प्लांट के लिए मानकों की अनदेखी की जा रही है. जानकारों की मानें तो इस प्लांट को लगाने के लिए कम से कम एक कठ्ठा जमीन की आवश्यकता होती है. मोटर, रिफाइन सिलेंडर दो, कोलिन, ट्रीट करने के लिए अलग से टंकी जरूरी है. स्वास्थ्य विभाग से पानी की पीएच मानक की जांच और निगम से ट्रेडिंग लाईसेंस भी जरूरी है. इन सभी मानकों को कुछेक को छोड़ दिया जाये तो शेष जैसे तैसे जहां तहां प्लांट लगाकर जैसे तैसे पानी पहुंचाने का कार्य किया जा रहा है. वार्डवासियों ने अपने अपने वार्ड के पार्षदों को इसके विरूद्ध सर्वे कराकर ट्रेड लाइसेंस व मानकों को पूरा कर प्लांट चलाने की अपील की है. ताकि वार्ड के लोगों के घर पहुंच रहे डब्बा बंद शुद्ध पेयजल पहुंचाया जा सकें. मामले में कई पार्षदों ने निगम प्रशासन से सर्वे कराकर ट्रेडिंग लाइसेंस निर्गत कराने की मांग करने की बात कही.
अलग-अलग कीमतों पर बेची जा रही डब्बा बंद पानी
वार्ड के लोगों की माने तो अलग-अलग कीमतों पर डब्बा बंद पानी प्लांट से बेची जा रही है. कहीं 10 रुपये तो कहीं 20 रुपये में एक डब्बा पानी घरों तक पहुंचाये जा रहे हैं. सफाई के अभाव में कभी कभी बंद डब्बों से भी कीड़ा-मकोड़े निकलना आम बात हो गयी है. पानी प्लांट के लिए उपयोग होने वाले पाइप की सफाई, टंकी की सफाई आदि की भी समय समय पर जांच होनी चाहिए. घरों तक डब्बा बंद पानी पहुंचाने वाले वाहन भी मानकों को पूरा करती है या नहीं इस पर भी जांच होने से कई तरह के गड़बड़झाला सामने आ सकता है. इतना ही नहीं इन वाहनों को चलाने वाले चालक अधिकांश कम उम्र के ही होते हैं. इन चालकों के पास लाइसेंस आदि की भी जांच जरूरी है.
कहते हैं नगर आयुक्त
नगर निगम अंतर्गत छोटा हो या बड़ा सभी तरह के व्यवसाय के लिए ट्रेडिंग लाइसेंस लेना होगा. अगर सभी वार्ड में पानी प्लांट लगाकर व्यवसाय किया जा रहा है, तो इसके प्रति गंभीरता से सर्वे कराया जायेगा. सर्वे के बाद सभी को ट्रेडिंग लाइसेंस निर्गत करने की प्रक्रिया अपनायी जायेगी.
कुमार मंगलम, नगर आयुक्तडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है