कटिहार. संपूर्ण देशभर में आज से तीन नये आपराधिक कानून लागू हो जायेंगे. तीनों नये कानून के लागू हो जाने से भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली में व्यापक बदलाव आयेंगे और ब्रिटिश काल के कानूनों का अंत हो जायेगा. भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम ब्रिटिश काल के क्रमश: भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम का स्थान लेंगे. नये कानूनों के लागू हो जाने से आधुनिक न्याय प्रणाली स्थापित होगी. जिसमें जीरो एफआइआर, पुलिस में ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराना, एसएमएस (मोबाइल फोन पर संदेश) के जरिये समन भेजने जैसे इलेक्ट्रॉनिक माध्यम और सभी जघन्य अपराधों के वारदात स्थल की अनिवार्य वीडियोग्राफी जैसे इलेक्ट्रॉनिक माध्यम और सभी जगह में अपराधों के घटनास्थल के वीडियोग्राफी अनिवार्य होगा. समान तमिल का सबूत दस्तावेजी सामान के लिए इलेक्ट्रॉनिक सूचना माध्यम का प्रयोग एवं साक्ष्य केवल लिखित नहीं बल्कि इलेक्ट्रॉनिक साधनों जैसे ऑडियो वीडियो रिकॉर्डिंग कर रखा जा सकेगा. तलाशी या जब्ती की प्रक्रिया में ऑडियो वीडियो संसाधनों का भी इस्तेमाल किया जा सकेगा. नये कानूनी प्रावधानों में बालक को परिभाषित किया गया है. जो पुराने भारतीय दंड संहिता में नहीं था. महिला एवं बालकों के विरुद्ध अपराध को लिंग प्रकाष्ठ बना दिया गया है. इसमें ट्रांसजेंडर को भी सम्मिलित किया गया. अब महिला से विवाह करने के झूठे वचन देकर शारीरिक संबंध बनाने के दोषी के लिए अब 10 वर्ष की तक की सजा है. दुष्कर्म पीड़ित का मेडिकल रिपोर्ट अब चिकित्सक को 7 दिन के भीतर देने होंगे. 18 साल से कम आयु की महिला के साथ सामूहिक दुष्कर्म के अपराधियों को मृत्युदंड भी दिया जा सकता है. जबकि 18 साल से अधिक आयु की महिला के साथ सामूहिक दुष्कर्म के अपराधियों को 20 साल से आजीवन कारावास तक की सजा दी जा सकती है. संगठित अपराध और मॉब लिंचिंग को भी नए अपराध में शामिल किया गया है.
जीरो एफआइआर के तहत होगा प्राथमिक दर्ज
नये आपराधिक कानून के लागू हो जाने के पश्चात कोई भी व्यक्ति किसी भी थाने में प्राथमिक दर्ज कर सकते हैं. चाहे घटना उसे थाना क्षेत्र के अंतर्गत नहीं भी हुआ हो प्राथमिक दर्ज कर कानूनी कार्रवाई तुरंत प्रारंभ की जायेगी.अब होगी मात्र 358 धाराएं नये आपराधिक कानून में
भारतीय न्याय संहिता में 358 धाराएं होंगे. जबकि पुराने भारतीय दंड संहिता में 511 धाराएं थी. दरअसल पुराने ओवरलैप धाराओं को आपस में विलय कर दिया गया है और उसे सरल बनाया गया है.
अधिवक्ताओं ने तीन नये कानून को बताया पहले से बेहतर
तीन नये आपराधिक कानून के लागू हो जाने से व्यवहार न्यायालय कटिहार के ज्यादातर सीनियर अधिवक्ताओं ने सकारात्मक विचार व्यक्त किया है. अधिवक्ता कुलदीप नारायण सिन्हा ने कहा कि नये आपराधिक कानून आज की जरूरत है. क्योंकि ब्रिटिश जमाने के पुराने भारतीय दंड संहिता में बदलाव की काफी जरूरत थी. पुराने कानून की कई धाराएं आज के परिवेश में अनौपचारिक हो चुके थे. अधिवक्ता रमेश प्रसाद जायसवाल ने कहा कि आज से लागू हो रहे तीन नये आपराधिक कानून से लोगों को कई प्रकार की कानूनी कठिनाइयों से मुक्ति मिलेगी. पुलिस को इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों का ज्यादा प्रयोग करना होगा. ताकि पारदर्शिता हमेशा न्याय के लिए समर्पित हो. अधिवक्ता प्रदीप कुमार दत्ता ने कहा कि नए कानून में महिलाओं तथा बच्चों के खिलाफ अपराधों पर नया अध्याय जोड़ा गया है. अब किसी बच्चों को खरीदना और बेचना जघन्य अपराध बनाया गया है. किसी नाबालिग के साथ सामूहिक दुष्कर्म के लिए मृत्युदंड अथवा उम्र कैद की सजा का प्रावधान किया गया है. अधिवक्ता रूपेश कुमार ने बताया कि नये आपराधिक कानून में तारीख पर तारीख देने की प्रथा अब समाप्त हो जायेगी. अब अदालत न्याय देने के लिए मामले की सुनवाई में अनावश्यक विलंब से बचने के लिए अधिकतम दो बार सुनवाही स्थगित कर सकती है. अधिवक्ता नितेश ने बताया कि अब पीड़ित पक्ष इलेक्ट्रॉनिक संचार माध्यमों से भी अपनी शिकायतें दर्ज कर सकती है. इससे मामला दर्ज करना और तेज हो जायेगा. पुलिस द्वारा त्वरित कार्रवाई करना आसान हो जायेगा. कई अन्य अधिवक्ताओं ने नये आपराधिक कानून के लागू हो जाने पर अपने-अपने तरह से सकारात्मक विचार व्यक्त किए हैं. कई अधिवक्ताओं ने नए अपराधी कानून में छोटे अपराधों के लिए सीधे जेल की जगह आरोपित से सामाजिक अथवा सामुदायिक सेवा करने का भी दंड देने के प्रावधान को सकारात्मक बताया है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है