समस्तीपुर : देश में तीन नये आपराधिक कानून ( भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम) आज से प्रभावी है. अब जिले की पुलिस भी नये आपराधिक कानून में वर्णित प्रावधान के अनुरूप मुकदमा, कांडों के अनुसंधान, पर्यवेक्षण या अन्य कोई कार्रवाई करेगी. पुलिस मुख्यालय के आदेश पर जिले के पुलिस पदाधिकारी और कर्मियों को नये आपराधिक कानून का पहले प्रशिक्षण दिया गया है. उक्त बातें ट्रैफिक डीएसपी आशीष राज ने कही. वे रविवार को मुख्यालय डीएसपी कृष्णा प्रसाद दिवाकर के साथ कार्यालय में प्रेसवार्ता को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने बताया कि तीन नये आपराधिक कानून न्यायिक नागरिक के लिए केंद्रीय कानून है. इसमें नागरिक सुविधाओं का जहां विशेष ख्याल रखा गया है. वहीं पुलिस की जवाबदेही और जिम्मेवारी भी सुनिश्चित की गई है. नये आपराधिक कानून को साइंटिफिक और डिजिटल तकनीक से जोड़ा गया है. ताकी पारदर्शिता बनी रहे. पहले सीआरपीसी में ऑडियो वीडियो कम्यूनिकेशन नहीं था. अब इसे कानूनी मान्यता प्रदान की गई है. अब पुलिस डिजिटल मोड पर काम करेगी. इसके लिए सरकार पुलिस अनुसंधानक को लैपटॉप और स्मार्ट मोबाइल प्रदान करेगी. घटनाओं के साक्ष्य संकलन, जब्ती सूची, गवाहों के बयान का आडियो- वीडियो रिकाॅर्ड कर उसे न्यायालय में सुबूत के तौर पर पेश किया जायेगा. अब कोर्ट में गवाहों का बयान भी मोबाइल पर वीडियो काॅलिंग के माध्यम से हो सकता है. इसके लिए कोर्ट की अनुमति होगी. पुलिस थानों में गिरफ्तार व्यक्तियों का नफीस के माध्यम से फिंगर प्रिंट लिया जायेगा. इसके अलावा पुलिस डायरी भी डिजिटल मोड पर होगी. अब कोई भी व्यक्ति सशरीर पुलिस स्टेशन में उपस्थित हुए बगैर भी इलेक्ट्राॅनिक माध्यमों से घटना की रिपोर्ट कर सकता है. जीरो एफआइआर की शुरुआत की गई है. पीड़ित किसी भी थाने क्षेत्र में अपनी एफआइआर दर्ज करा सकता है. अब वाट्सएप के माध्यम से भी पुलिस तामिला भेज सकती है. पुलिस थानों में ऑनलाइन एफआईआर होगी. इसके अलावे लोग एप के माध्यम से भी पुलिस को छोटी शिकायत दर्ज करा सकते हैं. नये आपराधिक कानून में कई धाराएं भी बदल गई है.
पुलिस थाना में डिजिगेनेटेड पुलिस पदाधिकारी की प्रतिनियुक्ति
जिले के प्रत्येक पुलिस थाना में एक एक और जिलास्तर पर एक डिजिगेनेटेड पुलिस पदाधिकारी को प्रतिनियुक्त किया जायेगा, जो आरोपितों की गिरफ्तारी का लेखा तैयार करेंगे. दूसरे जिले से आने वाले पुलिस टीम को छापेमारी और गिरफ्तारी से पूर्व स्थानीय पुलिस से आदेश प्राप्त करना होगा. एएसपी संजय पाण्डेय ने बताया कि नये आपराधिक कानून को ऑडियो, वीडियो कम्यूनिकेशन को साक्ष्य अधिनियम से जोड़ा गया है. अनुसंधान और साक्ष्य संकलन की विधि टेक्नोलॉजी पर आधारित होगी. नये आपराधिक कानून में पुलिस को समय सीमा के साथ अनुसंधान की जिम्मेवारी दी गई है और न्यायालय से त्वरित कार्रवाई हो, इसका भी प्रावधान किया गया है. उन्होंने बताया कि हत्या, डकैती जैसे संगीन अपराध जिसमें सात साल से अधिक सजा का प्रावधान है. उन घटनाओं में पुलिस की एफएसएल टीम घटनास्थल की जांच करेगी. जिला मुख्यालय में भी एफएसएल की टीम गठित की जायेगी. पुलिस पदाधिकारियों को साठ से नब्बे दिन के अंदर केस का अनुसंधान पूरा करना है. नये आपराधिक कानून में मेडिकल ऑफिसर को दुष्कर्म की घटनाओं का मेडिकल रिपोर्ट सात दिन में संबंधित पुलिस पदाधिकारी को सुपुर्द करना है. महिला और साठ साल से अधिक बुजुर्ग वीडियो भेजकर भी शिकायत दर्ज करा सकते हैं या सूचना देकर पुलिस को घर बुला सकते हैं. असंज्ञेय अपराध के छोटी घटनाओं में पुलिस जांच के लिए बाध्य नहीं है. बशर्ते इसकी सूचना थानाध्यक्ष डीएसपी को 14 दिन के अंदर डीएसपी को भेजना अनिवार्य है. बताया कि नये आपराधिक कानून न्यायिक नागरिक के लिए केंद्रीय कानून है. इधर नगर थानाध्यक्ष आशुतोष कुमार ने भी पुलिस कर्मियों व आमलोगों को बुलाकर नये आपराधिक कानून की जानकारी दी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है