आनंद मोहन (रांची).
झारखंड की राजनीतिक फिजा में चुनावी रंग घुल रहा है. विधानसभा चुनाव के लिए मैदान सज रहे हैं. पार्टियों ने चुनावी तैयारी शुरू कर दी है. पक्ष-विपक्ष के नेताओं के भाषण और मिजाज चुनावी हैं. वहीं जमीनी स्तर पर चुनाव की तैयारी भी शुरू है. जेल से निकलने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन मोर्चा संभाल लिया है. उनके साथ उनकी विधायक पत्नी कल्पना सोरेन और मुख्यमंत्री चंपई सोरेन कैंपेन मास्टर होंगे. भोगनाडीह के कार्यक्रम से झामुमो ने भावी राजनीति के संकेत दिये हैं. हूल दिवस के दिन सिदो-कान्हो की जन्मस्थली भोगनाडीह में पक्ष-विपक्ष के नेता जुटे. भोगनाडीह से पार्टियों ने चुनावी उलगुलान किया. एक ओर हेमंत सोरेन ने आगामी विधानसभा चुनाव में जीत हासिल कर सरकार बनाने का दावा किया और भावी योजना बतायी. उन्होंने कहा : हमारी सरकार फिर से बनी, तो झारखंड के माइंस-मिनरल में यहां के लोगों का हक होगा. वहीं, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने सरकार को घेरा. उन्होंने कहा कि आदिवासी खतरे में हैं. संताल परगना में आदिवासियों की संख्या लगातार घट रही है. वहीं दूसरी ओर भाजपा ने विधानसभा चुनाव को देखते हुए तीन महीने का खाका तैयार किया है. इसमें विस्तारित कार्यसमिति से लेकर घोषणा पत्र व आरोप पत्र तैयार करने के लिए कमेटी बनायी गयी है. कांग्रेस आलाकमान ने भी प्रदेश के आला नेताओं के साथ विधानसभा चुनाव को लेकर बैठक की. इसमें प्रदेश के नेताओं को चुनावी टिप्स दिये गये और ब्लू प्रिंट बनाने को कहा गया है.झारखंड में समय से पहले विस चुनाव के कयास :
झारखंड में निर्धारित समय से पूर्व विधानसभा चुनाव होने की अटकलें लग रहीं हैं. वर्तमान विधानसभा का कार्यकाल पांच जनवरी तक है. राजनीतिक गलियारे में चर्चा है कि झारखंड में हरियाणा व महाराष्ट्र के साथ अक्तूबर में चुनाव हो जाये. चुनाव आयोग अक्तूबर को समय सीमा मानकर तैयारी में जुटा है. वर्ष 2019 में झारखंड में नवंबर-दिसंबर में चुनावी प्रक्रिया पूरी हुई थी. छह नवंबर को पहले फेज के लिए अधिसूचना निकाली गयी थी. वहीं 30 नवंबर से 20 दिसंबर तक पांच अलग-अलग चरणों में विधानसभा चुनाव हुए थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है