दरभंगा. संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. लक्ष्मी निवास पांडेय छात्रों, अध्यापकों, पदाधिकारियों एवं कर्मचारियों से कहा है कि शैक्षणिक सत्र (2024-25) में संस्कृत शिक्षण के क्षेत्र में गुणवत्ता लाना है. संस्कृत के साथ छात्रों को अंग्रेजी भाषा, कंप्यूटर का ज्ञान, सामान्य ज्ञान, योग एवं क्रीड़ा, विभिन्न कलाओं का अभ्यास, कौशल विकास कार्यक्रम, सांस्कृतिक गतिविधियों आदि का आयोजन किया जाना है. इसके लिए प्रतिदिन आखिरी घंटी में योजना बनायी जा सकती है. कुलपति ने कहा कि सत्रारंभ के प्रारंभिक दिनों में संस्कृत संभाषण का अभ्यास होना चाहिए. संस्कृत व्यवहार की आवश्यकता पर गहराई से नहीं सोंचना, भाषा व्यवहार की कल्पना नहीं रखना, संकोच तथा अभ्यास से दूर रहना आदि ऐसे कारण हैं, जिससे आम जन ही नहीं संस्कृतज्ञों में भी संस्कृत भाषा कठिन महसूस होने लगी है. कुलपति प्रो. पांडेय ने उपाय सुझाते हुए कहा है कि पढ़ाने के दौरान शुरू में 10- 20 प्रतिशत संस्कृत भाषा का उपयोग किया जा सकता है, जो धीरे धीरे बढ़कर 50-60 प्रतिशत या उससे अधिक का भी हो सकता है. इस तरह भी शास्त्र शिक्षण में गुणवत्ता लायी जा सकती है. कुलपति प्रो. पांडेय ने कहा कि सिर्फ किताबी ज्ञान काफी नहीं है. बच्चों को अपने इर्द गिर्द स्वच्छ रखना, आसपास स्वच्छता अभियान चलाना, पर्यावरण संरक्षण करना, पौधरोपण, आर्थिक शुचिता का व्यवहार, समय पालन के साथ सक्रियता से कर्तव्य पालन आदि पर भी फोकस दिलाना होगा. हम लोगों के भी नित्य व्यवहार में इन बिंदुओं पर ध्यान अपेक्षित है.
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