कोसी नदी का जलस्तर बढ़ने से कोसी नदी के किनारे बसे गांवों पर कटाव का खतरा मंडराने लगा है. नवगछिया अनुमंडल अंतर्गत खरीक प्रखंड के सिंहकुंड गांव के कोसी के किनारे बसे लोगों के पिछले कुछ दिनों में दर्जनों घर कटाव की भेंट चढ़ गये हैं. जो गांव नदी किनारे बसे हैं वह अपने घरों को खुद तोड़ने में जुट गये हैं. ऐसे परिवारों को डर है कि आने वाले दिनों में उनका घर भी नदी में समा जायेगा. पीड़ित परिवारों का कहना है कि अगर वह अपना घर नहीं तोड़ेंगे, तो उनका घर नदी की भेंट चढ़ जायेगा. वह खुद अपने घर को तोड़ कुछ ईंट और पत्थर बचाने में लगे हैं, ताकि भविष्य में फिर से अपना आशियाना बना सकें. पीड़ित परिवारों का कहना है कि अगर उन लोगों ने अपने घरों को तोड़ने में देरी की, तो कोसी नदी उनके आशियाने को अपने आगोश में ले लेगी.
कुदरत के कोप से बचने के लिए गिरा रहे घर
कटाव पीड़ित बताते हैं कि साहब हमने मेहनत मजदूरी कर के यह मकान बनवाया था. अब कुदरत के कोप से बचने के लिए इसे खुद तोड़ रहे हैं. यहां का मंजर ऐसा है कि हमलोग खुद ही अपने घरों पर हथौड़ा चला रहे हैं.कहते हैं ग्रामीण
बांस काट कर देते हैं, लेकिन बह जाता है.कटाव निरोधी कार्य पहले किया जाता, तो गांव और हमारा घर बच जाता. अभी घर तोड़ रहे हैं. पिछले वर्ष ही घर बनाये थे. आठ लाख घर बनाने में खर्च हुआ था. अब कहां जायेंगे, कुछ पता नहीं, खाने पर भी आफत है. माया देवी, कटावपीड़ित
कितना बार घर बनायेंगे. सरकार से मांग है कि हमें जमीन देकर बसाये. कड़ी मेहनत से मकान बनाये थे, अब अपने हाथों से तोड़ रहे हैं. सरकार गांव में बसने के लिए हमें जमीन न दें, कहीं और दे. नेता सिर्फ वोट के समय आते हैं, चुनाव के बाद विलुप्त हो जाते हैं.
वीणा देवी, कटाव पीड़ितघर तोड़ने के बाद कहां जायेंगे, पता नहीं. 1984 से गांव में कटाव हो रहा है, लेकिन सरकार का इस ओर ध्यान नहीं है. 10 लाख रुपये खर्च कर घर बनाये थे. गांव की स्थिति बहुत खराब है. बहुत ज्यादा कटाव है. कोई विधायक और सांसद देखने नहीं आता है.
दयानंद राय कटाव पीड़ितडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है