अररियादेशभर में गत एक जुलाई 2024 से नये आपराधिक कानून लागू हो गये हैं. नये आपराधिक कानून लागू होते ही एसपी अमित रंजन ने इसकी जानकारी नगर थाना में भरी सभा में जनता दरबार का आयोजन कर दी. साथ ही जनप्रतिनिधियों के सभी सवालों का जवाब उन्होंने दिया. इधर अररिया आरएस थाना में थानाध्यक्ष राकेश कुमार की अध्यक्षता में सभा का आयोजन किया गया. जिसमें यातायात डीएसपी दीवान एकराम खान के नेतृत्व में प्रबुद्ध लोगों के बीच सभा का आयोजन कर नये आपराधिक कानून के बारे जानकारी दी गयी. डीएसपी ने कहा कि नये कानून में राजद्रोह की जगह देशद्रोह लगेगा. नाबालिग से रेप व मॉब लिंचिंग में दोषी को मृत्यु दंड की सजा मिलेगी. संगठित अपराध की भी पहली बार व्याख्या की गयी है. इसमें साइबर क्राइम, लोगों की तस्करी, आर्थिक अपराधों का भी जिक्र है. गैर इरादतन हत्या को दो हिस्सों में बांटा गया है. यातायात से जुड़े कानून को भी उन्होंने बताते हुए कहा कि यदि गाड़ी चलाते वक्त हादसा होता है. इसके बाद आरोपित यदि घायल को पुलिस स्टेशन या अस्पताल ले जाता है तो उसे कम सजा दी जायेगी. हिट एंड केस में 10 साल की सजा मिलेगी. डॉक्टरों की लापरवाही से होने वाली हत्याओं को गैर इरादतन हत्या में रखा गया है. इसकी भी सजा बढ़ गयी है. आरएस थानाध्यक्ष राकेश कुमार ने बताया कि स्नैचिंग के लिए पहले कानून नहीं था, अब कानून बन गया है. नये कानून में अब पुलिस की भी जवाबदेही तय होगी. पहले किसी की गिरफ्तारी होती थी तो उसके परिवार के लोगों को जानकारी ही नहीं होती थी. अब कोई गिरफ्तार होगी, तो पुलिस पहले उसके परिवार को जानकारी देगी. किसी भी केस में 90 दिनों में क्या हुआ, इसकी जानकारी पुलिस पीड़ित को देगी. मालूम हो कि पहले साधारण चोरी व वाहन चोरी जैसे अपराधों के लिए आइपीसी की धारा 379 में की जाती थी. इसमें 03 साल तक की सजा का प्रावधान है. वहीं अब हत्या, लूट व दुष्कर्म जैसे गंभीर अपराधों के लिए भी इ-एफआइआर हो सकेगी. साथ ही वॉइस रिकॉर्डिंग से भी आप पुलिस को सूचना दे सकेंगे. इ-एफआइआर करने के बाद फरियादी को तीन दिनों के भीतर थाने पहुंचकर इ-एफआइआर की कॉपी पर साइन करने होंगे.
जीरो एफआइआर भी तुरंत दर्ज होगी
एसपी अमित रंजन ने बताया कि नये कानूनों के तहत किसी भी जिले की घटना की शिकायत, दूसरे जिले के थाने में जीरो एफआइआर दर्ज करवा सकते हैं. पहले फरियादी को दूसरे थाना क्षेत्र का हवाला देकर लौटा दिया जाता था. लेकिन नये बदलाव के तहत अब जीरो एफआइआर को कानूनी तौर पर अनिवार्य कर दिया गया है. अपना क्षेत्र नहीं होने का हवाला देकर फरियादी को पहले घुमाया जाता था. लेकिन अब ऐसा करने पर पुलिसकर्मी पर निलंबन जैसी विभागीय कार्रवाई भी हो सकती है.महिलाएं व बच्चों के लिए
महिलाओं व बच्चों के साथ होने वाले अपराध से निबटने के लिए नये आपराधिक कानूनों में 37 धाराओं को शामिल किया गया है. पीड़ित व अपराधी दोनों के संदर्भ में महिलाओं व बच्चों के खिलाफ अपराधों को जेंडर न्यूट्रल बनाया गया है. 18 वर्ष से कम उम्र की लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार करने पर दोषी को आजीवन कारावास या मृत्युदंड की सजा मिलेगी. झूठे वादे या नकली पहचान के आधार पर यौनशोषण करना अब आपराधिक कृत्य माना जायेगा. चिकित्सकों के लिए सात दिनों के अंदर बलात्कार पीड़िता की मेडिकल रिपोर्ट जांच अधिकारी के पास भेजना अनिवार्य है. छीना-झपटी (स्नैचिंग) एक गंभीर व नॉन-वेलेबल (गैरजमानती) अपराध है.सीआरपीसी की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता लागू
ब्रिटिशकाल से चली आ रही भारतीय दंड संहिता क्रिमिनल प्रोसीजर कोड सीआरपीसी की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता व एविडेंस एक्ट की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम लागू हो गये हैं. उसी प्रकार से आइपीसी को भारतीय न्याय संहिता कहा जायेगा. नये कानून के लागू होने के बाद जो धाराएं अपराध की पहचान बन चुकी थी. उनमें भी बदलाव हो गया है. जैसे हत्या के लिए लगायी जाने वाली आइपीसी की धारा 300, 301 व 302 अब धारा 101, 102 व 103 कहलायेगी. इसके अलावा धारा 420 अब 318 व धारा 144 अब 187 धारा में बदल गयीं.अब कोर्ट में नहीं मुकर पायेंगे गवाह
लालच, दबाव व डर की वजह से गवाहों का मुकरना आम बात रही है. नये कानूनों में उनकी सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम किया गया है. साथ ही तकनीक के जरिये जिस तरह परिस्थितिजन्य साक्ष्य पर जोर दिया गया है. उससे गवाह मुकर भी नहीं पायेंगे. इससे पुलिस भी पूरी प्रक्रिया के दौरान जवाबदेह बनेगी. वह अपने अधिकारों का बेजा इस्तेमाल नहीं कर सकेगी.कौन-सी धाराएं बदली
अपराध पहले अब धाराहत्या धारा 302 103धोखाधड़ी धारा 420 318भीड़भाड़-हंगामा 144 187देश के खिलाफ षड्यंत्र 121 145देश के खिलाफ गतिविधियां 121ए 146मानहानि 499 व 500 354रेप-गैंगरेप 376 63, 64, 70राजद्रोह कानून 124ए 150
—————————————–नागरिक केंद्रित कानून को समझें
—————————————–– नागरिक घटनास्थल या उससे परे कहीं से भी एफआइआर दर्ज करा सकते हैं.– पीड़ित एफआइआर की एक निःशुल्क प्रति प्राप्त करने के हकदार हैं. – पुलिस द्वारा पीड़ित को 90 दिनों के अंदर जांच की प्रगति के बारे में सूचित करना अनिवार्य है.
– महिला अपराध की स्थिति में 24 घंटे के अंदर पीड़िता की सहमति से उसकी मेडिकल जांच की जायेगी. साथ ही 07 दिनों के अंदर चिकित्सक उसकी मेडिकल रिपोर्ट भेजेंगे.
– अभियोजन पक्ष की मदद के लिए नागरिकों को खुद का कानूनी प्रतिनिधित्व करने का अधिकार है.– बीएनएस की धारा 396 व 397 में पीड़ित को मुआवजे व मुफ्त इलाज का अधिकार दिया गया है.
– बीएनएस की धारा 398 के अंतर्गत गवाह संरक्षण योजना का प्रावधान है.– केस वापसी के पहले न्यायालयों को पीड़ित की बात सुनने का अधिकार दिया गया है.
– कोर्ट में आवेदन करने पर पीड़ितों को ऑर्डर की निःशुल्क कॉपी प्राप्त करने का अधिकार मिला है. – कानूनी जांच, पूछताछ व मुकदमे की कार्यवाही को इलेक्ट्रॉनिक रूप से आयोजित करने का प्रावधान है.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है