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अंबा तक आ गया कोयल नहर का पानी

कल तक सदर प्रखंड क्षेत्र में पहुंचने की है उम्मीद

औरंगाबाद/कुटुंबा. कोयल नदी के जल अधिग्रहण क्षेत्र में अच्छी बारिश से होने से मोहम्मदगंज का भीम बराज पानी से भर गया है. वर्तमान में राइट साईड कैनाल को संचालन करने के लिए बराज में पर्याप्त पानी है. हालांकि, इसके पहले उक्त बराज में मात्र 60 सेंटीमीटर पानी ही था. अधिकारियों की मानें तो रेगुलर नहर को संचालन करने के लिए बराज का वाटर पौंड लेबल 2.3 मीटर होना चाहिए. रविवार की सुबह में बराज फुल हो गया था. इसके पश्चात आरएमसी का गेट ऑन कर भूजल रिचार्ज व टेस्टिंग के लिए 497 क्यूसेक पानी छोड़ा गया. इस दौरान एकाएक टेक्निकल फॉल्ट होने से अधिकारियों व कर्मियों को काफी मशक्कत करनी पड़ी. सोमवार को डिस्चार्ज बढ़ा कर 700 क्यूसेक व तीसरे दिन 1021 क्यूसेक कर दिया गया है. इधर, मंगलवार को चीफ इंजीनियर जमील अख्तर के नेतृत्व में एसइ अर्जुन प्रसाद सिंह, अंबा डिवीजन के एग्जिक्यूटीव इंजीनियर कुमार आनंद वर्द्धन पूषण, एइ राजकुमार आदि ने अंबा डिवीजन क्षेत्र में नहर के साइट विजीट किया. उन्होंने बताया कि सबकुछ ठीक-ठाक चल रहा है. अंबा डिवीजन तक पानी पहुंच गया है. लाइनिंग व पुल- पुलिया रिमॉडलिंग के दौरान जहां-तहां नहर के बेड में डायवर्सन बनाया गया था, उसे जेसीबी लगाकर हटाया जा रहा है. बुधवार तक औरंगाबाद डिवीजन क्षेत्र में पानी पहुंच जाने की उम्मीद है. धान की रोपाई शुरू होने से पहले कोयल नहर में पानी आने से खेतिहरों में खासा उत्साह है. भीम बराज मोहम्मदगंज से कोयल नहर में पानी डिस्चार्ज हुए तीन दिन बीत गये, पर अब तक औरंगाबाद में पानी नहीं पहुंचा है. सदर प्रखंड क्षेत्र तक पानी पहुंचने का आसार समाप्त हो रहा है. यें बातें औरंगाबाद जिला पर्षद के पूर्व चेयरमैन राघवेंद्र प्रताप नारायण सिंह ने कही है. उन्होंने बताया निरीक्षण भवन में उनकी उपस्थिति व अधिकारियों की मौजूदगी में कोयल नहर से संबंधित चर्चा हुई. पूर्व चेयरमैन ने कहा कि झारखंड सरकार की मदद के कुटकू डैम में गेट लगाकर उसे कंप्लीट करने की संभावना नजर आ रही है. सांसद अभय कुशवाहा से वार्तालाप कर सब कुछ ठीक कराने का प्रयास किया जायेगा. डैम में गेट लगाये जाने से मगध प्रक्षेत्र के किसानों को सिंचाई करने में सहूलियत होगी. बराज के राईट साईड कैनाल का गेट ऑन कर एकाएक अंतिम छोर तक नहर में पानी पहुंचाना विभाग के लिए सहज प्रतीत नहीं होता है. नहर के अधिनस्थ क्षेत्रों के भौगोलिक स्थित कुछ अलग है. मौसम के तापमान बढ़ने तपिश के वजह से नहर के तटबंधों में बड़ी-बड़ी खतरनाक दरारें खुल जाती है. इसके लिए जल संसाधन विभाग को शुरुआती दौर में अनवरत रात-दिन पेट्रोलिंग करनी पड़ती है. हमेशा डर बना रहता है कि छिद्र से पानी लिक करने पर तटबंध क्षतिग्रस्त हो सकता है. जल संसाधन विभाग के चीफ इंजीनियर जमील अख्तर ने बताया कि किसानों के खेत तक पानी पहुंचाने के लिए जल संसाधन विभाग हर संभव प्रयास कर रही है. जहां पर पुल पुलिया का निर्माण कराया जा रहा था, वहां वैली ब्रिज बनाया जा रहा है. दो-तीन के अंदर क्षमता के अनुरूप नहर में पानी छोड़ा जायेगा. किसान धैर्य रखें, एकाएक पानी छोड़ने से तटबंध डैमेज होने की आशंका बनी रहती है.

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