15.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

जीएसटी के सात साल

जीएसटी ने उपभोक्ताओं को लाभ पहुंचाया है, तो उत्पादकों और विक्रेताओं को भी इससे सहूलियत हुई है.

स्वतंत्र भारत के इतिहास में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था कराधान प्रणाली में एक महत्वपूर्ण सुधार है. इसका प्रारंभ एक जुलाई, 2017 को हुआ था. बीते सात वर्षों में कर स्तर में निरंतर बेहतरी आयी है, जिससे उपभोक्ताओं को उल्लेखनीय लाभ हुआ है. केंद्रीय वित्त मंत्रालय के एक अध्ययन में इंगित किया गया है कि इस प्रणाली के आने से पारिवारिक खर्च में कम से कम चार प्रतिशत की बचत हुई है. उल्लेखनीय है कि पिछले कुछ वर्षों में घरेलू आवश्यकताओं, विशेष रूप से खाने-पीने की वस्तुओं की मुद्रास्फीति चिंताजनक रही है. ऐसे में यदि जीएसटी व्यवस्था नहीं होती, तो परिवारों पर बहुत दबाव बढ़ जाता. पहले जो व्यवस्था थी, उसमें जटिलता थी, पारदर्शिता का अभाव था और राजस्व संग्रहण भी अपेक्षित स्तर तक नहीं हो पाता था.

केंद्र और राज्य अलग-अलग कर लगाते थे और करों के कई प्रकार भी थे. अब केंद्र और राज्य के जीएसटी होते हैं, जो जुड़ी हुई प्रणाली से संचालित होते हैं. समूचे देश में एक कराधान होने से इन समस्याओं का समाधान हुआ है. बीते वर्षों में जीएसटी चुकाने और रिटर्न की वापसी को तकनीक की मदद से अधिक पारदर्शी भी बनाया गया है तथा पूरी प्रक्रिया भी सरल हुई है. हालांकि कर चोरी की समस्या अभी भी बनी हुई है, जिसके लिए आधार संख्या आधारित रिटर्न भरने का प्रावधान किया जा रहा है, पर इसमें बहुत कमी आयी है. यह राजस्व बढ़ने का सबसे बड़ा कारण है. बीते माह 1.74 लाख करोड़ रुपये जीएसटी का संग्रहण हुआ है. यह आंकड़ा मई में 1.73 लाख करोड़ रुपया रहा था.

अप्रैल में तो यह दो लाख करोड़ रुपये से अधिक था. बाद के दो माह में कमी की मुख्य वजह अत्यधिक तापमान रहा, जिससे औद्योगिक एवं कारोबारी गतिविधियों पर नकारात्मक असर पड़ा. वर्तमान वित्त वर्ष (2024-25) की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में 5.57 लाख करोड़ रुपये संग्रहित हुए हैं. अब इसमें लगातार वृद्धि का अनुमान है क्योंकि मानसून के सामान्य रहने की आशा है तथा अर्थव्यवस्था का भी विस्तार हो रहा है. इस कर व्यवस्था के तहत दरों का निर्धारण जीएसटी काउंसिल द्वारा किया जाता है. इस काउंसिल की अध्यक्षता केंद्रीय वित्त मंत्री का उत्तरदायित्व है. सभी राज्यों के वित्त मंत्री और केंद्र शासित प्रदेशों के वित्त अधिकारी इसके सदस्य होते हैं. आम तौर पर निर्णय सर्वसम्मति से होते हैं. जीएसटी दरों को लेकर टकराव के उदाहरण न के बराबर हैं. जीएसटी ने उपभोक्ताओं को लाभ पहुंचाया है, तो उत्पादकों और विक्रेताओं को भी सहूलियत हुई है. आशा है कि अनुभव बढ़ने के साथ-साथ इस व्यवस्था में उत्तरोत्तर बेहतरी आयेगी.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें