उपमुख्य संवाददाता, मुजफ्फरपुर टीबी उन्मूलन की दिशा में केंद्रीय स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से टीबी मरीजों को गोद लेकर छह माह तक पोषण किट दिये जाने का अभियान सफल नहीं हो सका है. जिले में सरकारी कर्मचारियों के अलावा अन्य लोगों ने 250 टीबी मरीजों को गाेद लिया था. दो-तीन महीने तक लोगों ने मरीजों को 500 रुपये का फल, ड्राइ फ्रूट्स सहित अन्य पौष्टिक पदार्थों का पोषण किट हर महीने दिया, लेकिन इसके बाद मरीजों को किट नहीं मिला. सूबे के राज्यपाल राजेंद्र अर्लेकर ने भी पिछले दिनों होमी भाभा कैंसर अस्पताल में टीबी मरीजों को गोद लेने के लिए डॉक्टरों को प्रोत्साहित किया था. लेकिन दस फीसदी मरीजों को भी गोद नहीं लिया गया. जिन लोगों ने गोद लिया, वे भी इसे नियमित नहीं कर सके. टीबी मरीज इसको लेकर आशान्वित थे कि हर महीने अब उन्हें पौष्टिक पदार्थों मिल जाया करेंगे, लेकिन स्वेच्छा से शुरू किये गये इस अभियान को सफलता नहीं मिली. 5432 मरीजों का चल रहा इलाज, नये की भी खोज वर्ष 2025 तक टीबी उन्मूलन का लक्ष्य लेकर चल रहा स्वास्थ्य विभाग फिलहाल सरकारी स्तरपर 2026 मरीजों का इलाज कर रहा है. वहीं प्राइवेट अस्पतालों में 3406 मरीज इलाज करा रहे हैं. जिले में 5432 मरीज इलाजरत हैं. सरकारी स्तर पर इलाज करा रहे कई मरीजों को दवा सप्लाई नहीं होने के कारण परेशानी का सामना करना पड़ा. अब भी टीबी की सेकेंड लाइन की दवा पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं है. मरीजों को तीन-चार दिन की दवा दी जा रही है और उन्हें फिर चार दिन बाद बुलाया जा रहा है. वहीं नये मरीजों की भी खोज की जा रही है. अगर छह महीने के अंदर सभी मरीज स्वस्थ हो जाते हैं और नये मरीज कम संख्या में मिलते हैं, तभी टीबी उन्मूलन का लक्ष्य पूरा हो सकता है.
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