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सरकारी चिकित्सा का अभाव, बरसात में परेशानी

एक मात्र प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के होने से ग्रामीणों को काफी परेशानियों को सामना करना पड़ता है.

प्रतिनिधि, मैक्लुस्कीगंज

मैक्लुस्कीगंज में चिकित्सा व्यवस्था बेहतर नहीं है. एक मात्र प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के होने से ग्रामीणों को काफी परेशानियों को सामना करना पड़ता है. क्षेत्र के दो पंचायतों के लगभग 10 गांव की बड़ी आबादी झोला छाप डॉक्टरों के भरोसे है. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र चिकित्सकों के साथ ऑपरेशन थियेटर, एनेस्थीसिया के डाॅक्टर, पैथाेलाजिस्ट और टेक्नीशियन नहीं है. गांवों के स्वास्थ्य केंद्रों पर तैनात स्वास्थ्य कर्मियों का आवास और जरूरी फर्नीचर भी नहीं हैं. टेलीमेडिसिन की व्यवस्था भी नहीं है. एंग्लो इंडियन गांव में एंटी वेनम, एंटी रेबीज़ की कोई व्यवस्था नहीं है. बरसात के दिनों में स्थिति और भी बदतर है. लोग बेहतर इलाज के अभाव में असमय दम तोड़ देते हैं. सुदूर गांव से आये गर्भवती महिलाओं का डिलीवरी क्षेत्र में तैनात एएनएम द्वारा उप स्वास्थ्य केंद्रों या फिर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मैक्लुस्कीगंज में कराया जाता है. मामला सीरियस होने पर एंबुलेंस से रांची ले जाया जाता है. व्यवस्था के नाम पर एक एंबुलेंस (108) व सप्ताह में एक डॉ रवींद्र कुमार सेवा देने आते हैं. ज्ञात हो कि मैक्लुस्कीगंज पर्यटन गांव के साथ एजुकेशन हब के नाम से भी जाना जाता है. पर्यटकों का आना-जाना और कई राज्यों से विद्यार्थी यहां रहकर शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. ग्रामीणों, पर्यटकों व विद्यार्थियों का भी चिकित्सा व्यवस्था प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के भरोसे टिकी है. मैक्लुस्कीगंज वासियों की बेहतर स्वास्थ्य चिकित्सा व्यवस्था को लेकर स्थानीय समाजसेवी व जनप्रतिनिधियों ने कांके विधायक समरीलाल, रांची सांसद सह रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ सहित अन्य को कई बार आग्रह किया है. लेकिन सुननेवाला कोई नहीं है.

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