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बिजली विभाग की लचर व्यवस्था से त्रस्त हैं उपभोक्ता, आपूर्ति के नाम पर की जा रही खानापूर्ति

प्रखंड क्षेत्र में हल्की बारिश होने के बाद भी बिजली आपूर्ति पूरी तरह चरमा गयी है. बिजली आपूर्ति के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है.

मंसूरचक. प्रखंड क्षेत्र में हल्की बारिश होने के बाद भी बिजली आपूर्ति पूरी तरह चरमा गयी है. बिजली आपूर्ति के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है. जिसके कारण शाम ढलते ही हर घर अंधेरा में तब्दील हो जाता है. दिन में बिजली तो दर्शन तीन चार बार जरूर देती है. फिर गुम हो जाती है. ठीक से दो से चार घंटा तक भी बिजली नही रह पाती है. रात में भी कमोवेश वही हालात बनी हुई है. उपभोक्ता गणेश शंकर दत इश्वर, संजय कुमार इश्वर, नित्यानंद सिंह बादल, उमेश सिंह, रामचंद्र झा, अमित कुमार गुप्ता, नितेश बिहारी सहित अन्य ने बताया कि शाम के समय छात्र-छात्रा को पढ़ने का वक्त होता हैं उसी समय बिजली करीब एक सप्ताह से अपनी कारगुजारी को दिखाने से बाज नही आती हैं जो अत्यंत ही दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण हैं. उन्होने कहा स्कूली बच्चे सही ढंग से बिजली के अभाव में पढ़ाई नहीं कर पाते हैं. इतना ही नहीं, बल्कि जब कोई भी उपभोक्ता बिजली विभाग के जेइ, एसडीओ या बिजली हेल्प लाइन, पावर हाउस के मोबाईल फोन नंबर पर कॉल कर बिजली आपूर्ति की स्थिति जानने का प्रयास करते हैं, तो उक्त सभी पदाधिकारी एवं कर्मी मोबाइल फोन उठाना अपने आप को उचित नहीं समझते हैं. बिहार प्रदेश युवा कांग्रेस के अध्यक्ष शिवप्रकाश गरीब दास ने उक्त समस्या पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि बछवारा विघानसभा क्षेत्र में मेरे पिता तत्कालीन विधायक रामदेव राय ने बिजली हर जगह पहुंचाने लगवाने में महत्वपूर्ण योगदान देते हुए हर प्रखंड में पावर हाउस स्थापित करवाने का काम किया है. इसके बाद बिजली विभाग के अधिकारियों द्वारा बिजली पोल तार सहित अन्य उपकरणों का सही ढंग से रखरखाव नहीं किया जा रहा है जिसका खामियाजा बिजली उपभोक्ता को हल्की बारीस में भी भुगतना पड़ रहा हैं. उन्होने बिहार सरकार के ऊर्जा मंत्री को पत्र प्रेषित कर बिजली आपूर्ति की समस्या से शीघ्र निजायत दिलवाने की बात कही है. उन्होंने कहा कि बिजली आपूर्ति सही ढंग से नहीं होने के कारण उपभोक्ताओं के साथ सरकारी विद्यालय, गैर सरकारी विद्यालय सहित जनमानस के बीच आक्रोश व्याप्त हो चुका है. बिजली के अभाव में स्कूल में लगी पानी टंकी, समरसेबल सिर्फ शोभा की वस्तु बनी हुई हैं. स्कूली बच्चों को पानी के भारी किल्लत की परेशानी उठानी पड़ रही है.

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