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कोर्ट ने दिया था 30 अप्रैल तक 44 मजदूरों की पुनर्बहाली का आदेश, सीसीएल की जांच प्रक्रिया अभी तक पूरी नहीं

कोर्ट ने दिया था 30 अप्रैल तक 44 मजदूरों की पुनर्बहाली का आदेश, सीसीएल की जांच प्रक्रिया अभी तक पूरी नहीं

राकेश वर्मा, बेरमो : सीसीएल कथारा एरिया अंतर्गत स्वांग कोल वाशरी के बर्खास्त किये गये 44 मजदूरों की पुनर्बहाली हाई कोर्ट के आदेश के बाद भी अभी तक नहीं हो पायी है. अभी तक जांच प्रक्रिया पूरी नहीं हो पायी है. हाई कोर्ट ने 14 सितंबर 2023 को स्वांग कोल वाशरी में कार्यरत बाबू राम सहित 44 स्थाई मजदूरों को हटाये जाने के आदेश को रद्द कर दिया था. यह आदेश सीसीएल प्रबंधन एवं लेबर कोर्ट धनबाद द्वारा वर्ष 2017 में दिया गया था. हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति एस चंद्रशेखर की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने इन मजदूरों की पुनर्बहाली करने का आदेश सीसीएल को दिया था. कोर्ट ने कहा था कि लेबर कोर्ट द्वारा किसी को बर्खास्त करने का आदेश देना, उसके क्षेत्राधिकार के बाहर का है. अगर कोई विवाद है तो लेबर कोर्ट उसका समाधान कर सकता है. इस आदेश के तहत छह माह में 30 अप्रैल 2024 तक सीसीएल प्रबंधन को जांच कर पुनर्बहाली प्रक्रिया को पूरा कर लेना था. लेकिन अभी तक मामला अधर में है. जानकारी के अनुसार अब मजदूर प्रबंधन के खिलाफ न्यायालय के अवमानना का मामला हाइकोर्ट में दायर करने की तैयारी कर रहे हैं.

क्या है मामला :

स्वांग कोल वाशरी में स्थायी प्रकृति के कार्य में लगे 356 मजदूरों के स्थायीकरण की मांग को लेकर ठेका मजदूर यूनियन (एटक) ने वर्ष 1992 में इंडस्टि्रयल लेबर ट्रिब्यूनल कोर्ट धनबाद में केस किया था. तीन अक्टूबर 1996 को कोर्ट ने सभी मजदूरों को स्थायी करने का आदेश दिया. लेबर कोर्ट के फैसले के खिलाफ सीसीएल ने वर्ष 1999 में हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. हाई कोर्ट की एकल पीठ ने यह याचिका खारिज कर दी. इसके बाद हाईकोर्ट की खंडपीठ और सुप्रीम कोर्ट में भी सीसीएल की याचिका खारिज हो गयी. सीसीएल की रिव्यू याचिका भी सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी थी. इसके बाद भी सीसीएल द्वारा इन मजदूरों को स्थायी नहीं करने पर ठेका मजदूर यूनियन ने वर्ष 2002 में झारखंड हाईकोर्ट में सीसीएल प्रबंधन के खिलाफ कोर्ट ऑफ कंटेप्म्ट दाखिल किया. वर्ष 2008 में हाई कोर्ट की एकल पीठ ने आदेश दिया कि चुकी लेबर कोर्ट ने इन मजदूरों को नियमित करने का आदेश दिया है और सुप्रीम कोर्ट ने भी बात को कंफर्म किया है, इसलिए इन्हें स्थाई मजदूर के रूप में नियुक्त किया जाये. इसके बाद वर्ष 2010 में सीसीएल मैनेजमेंट एवं ठेका मजदूर यूनियन के बीच सेटलमेंट के बाद 134 मजदूरों की बहाली नियमित की गयी थी. सीसीएल प्रबंधन ने कोर्ट के आदेश के बाद मजदूरों से आवेदन लेना शुरू किया. कुल 324 आवेदन मिले. प्रबंधन ने सभी 324 मजदूरों को सीसीएल के स्वांग वाशरी, कथारा वाशरी, करगली वाशरी, गिद्दी वाशरी, रजरप्पा कोल वाशरी में समायोजित करने का निर्णय लिया. 71 मजदूरों ने स्वांग कोल वाशरी में तथा 71 मजदूरों को करगली कोल वाशरी (दोनों बेरमो कोयलांचल) में ज्वाइनिंग देने का पत्र आया. कहीं बाहर काम कर रहे चार मजदूरों ने इसकी जानकारी नहीं मिलने के कारण ज्वाइन नहीं किया. तीन मजदूरों को मेडिकल अनफिट के कारण ज्वाइनिंग नहीं दी गयी. 134 मजदूरों ने ज्वाइनिंग की.

कुछ लोगों ने फर्जी बहाली का लगाया था आरोप :

कुछ लोगों ने वर्ष 2012 में सीसीएल प्रबंधन को आवेदन दिया और कहा कि इन सभी मजदूरों के स्थान पर दूसरे लोगों की फर्जी तरीके से बहाली की गयी है. इसके बाद प्रबंधन ने 2012 से उम्र के आधार पर बहाल किये गये मजदूरों को चार्जशिट देना शुरू किया. प्रबंधन के इस निर्णय के खिलाफ बहाल किये गये मजदूरों ने वर्ष 2013 में लेबर कोर्ट धनबाद में केस किया. वर्ष 2017 में लेबर कोर्ट ने कहा कि चुकी उन पर दूसरों के नाम पर नौकरी लेने का आरोप है, इसलिए उन्हें नौकरी से निकाल दिया जाये. इसके बाद सीसीएल ने विभागीय कार्रवाई बंद करते हुए इन 134 मजदूरों को हटाने का आदेश दिया. इसमें से 31 मजदूरों को इंक्वायरी के बाद नौकरी से बैठा दिया. शेष मजदूरों की इंक्वायरी चल ही रह थी कि लेबर कोर्ट ने सभी की बहाली को वापस लेने का आदेश दे दिया. इसके बाद 54 स्थायी मजदूरों ने लेबर कोर्ट और सीसीएल के द्वारा हटाने के इस आदेश के खिलाफ हाई कोर्ट में 2017 में याचिका दाखिल की. हाई कोर्ट की एकल पीठ ने लेबर कोर्ट, धनबाद के आदेश में किसी तरह का हस्तक्षेप नहीं करने की बात करते हुए इन मजदूरों की याचिका खारिज कर दी थी. इसके बाद सीसीएल के 44 मजदूरों ने हाई कोर्ट की एकल पीठ के आदेश को 2022 में खंडपीठ में चुनौती दी थी. खंडपीठ ने लेबर कोर्ट, धनबाद और सीसीएल के द्वारा इन कर्मियों को हटाने के आदेश को गलत बताते हुए 44 स्थाई मजदूर को पुनर्बहाल करने का आदेश दिया.

क्या कहना है यूनियन नेताओं का :

एटक के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष लखनलाल महतो ने कहा कि सीसीएल प्रबंधन हाईकोर्ट के आदेश की अवेहलना कर रहा है. यह सरासर कोर्ट की अवमानना है. कुछ मजदूर इसको लेकर पुन: हाईकोर्ट गये हैं. यूसीडब्ल्यूयू के क्षेत्रीय अध्यक्ष सुरेश प्रसाद शर्मा का कहना है कि स्वांग वाशरी में तो संभवत: जांच पूरी हो गयी है, लेकिन करगली वाशरी में जांच अभी बाकी है. जल्द ही कोर्ट का अवमानना को लेकर मजदूर उच्च न्यायालय में रिट दायर करेंगे.

पीओ ने कहा :

सीसीएल स्वांंग वाशरी के पीओ उमेश कुमार ने कहा कि हाई कोर्ट के आदेश के बाद अधिकतर कंडीडेट की जांच इनक्वायरी ऑफिसर द्वारा पूरी कर ली गयी है. कुछ जांच करना बाकी है. जल्द ही फाइनल जांच रिपोर्ट सीसीएल मुख्यालय को सौंपी जायेगी.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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