इशाकचक थाना क्षेत्र के बौंसी पुल के समीप एनजीओ संचालित नशा मुक्ति केंद्र में मधेपुरा के ग्वालपाड़ा निवासी अमरेश की मौत के मामले में हत्या की पुष्टि हो गयी है. मामले में मेडिकल कॉलेज के पोस्टमार्टम विभाग ने रिपोर्ट इशाकचक पुलिस को सौंप दी है. इसमें भारी और भोतरे वस्तु से सीने पर किये गये वार की वजह से मौत होने की बात कही गयी है. हत्या के कारणों को स्पष्ट करते हुए पोस्टमार्टम रिपोर्ट में कहा गया है कि चेस्ट हैमरेज और स्ट्रोक की वजह से अमरेश की मौत हुई थी. इधर पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद वरीय अधिकारियों के निर्देश पर एक विशेष टीम का गठन किया गया है. सुरक्षित रखे गये बिसरा को एफएसल लैब को भेजने का अनुसंधानकर्ता को निर्देश दिया गया. कांड के नामजद अभियुक्त केंद्र संचालक पूर्णिया निवासी सुमित कुमार झा सहित केंद्र के कथित चिकित्सक ज्ञानरंजन कुमार, सीके सिंह और मो अफरोज की तलाश में दूसरे जिला व राज्यों में छापेमारी के लिए जायेगी. इधर बुधवार को जगदीशपुर सीओ ने घटनास्थल पर पहुंच कर उस घर को सील कर दिया. की गयी जांच में इस बात का खुलासा हुआ है कि जिस घर में नशा मुक्ति केंद्र संचालित किया जा रहा था वह किसी कोर्ट कर्मी का है. मामले को लेकर मकान मालिक से भी पूछताछ किये जाने की बात कही गयी. अमरेश की मौत के बाद केंद्र में हुई थी तोड़फोड़, 10 मरीज हुए थे फरार नई दिशा फाउंडेशन नामक एनजीओ के नाम से संचालित नशा मुक्ति केंद्र में जैसे ही इस बात की जानकारी मिली कि अमरेश की मौत हो चुकी है, वहां भर्ती मरीजों ने हंगामा शुरू कर दिया था. इस बात की जानकारी केंद्र में भर्ती अन्य मरीजों ने पुलिस को दिये बयान में किया है. जब एफएसएल टीम मौके पर जांच को पहुंची तो उसने पाया कि केंद्र के भीतर के कई सामान अस्त-व्यस्त और तोड़ कर बिखेरे गये हैं. इस बात का भी खुलासा हुआ है कि घटना के बाद केंद्र से करीब 10 मरीज फरार हुए हैं. जबकि बचे हुए मरीजों को पुलिस ने उनके परिजनों को बुला कर सौंप दिया था. मरीजों ने लगाये थे गंभीर आरोप, संबंधित विभाग ने भी शुरू की जांच इशाकचक स्थित नशा मुक्ति केंद्र के मरीजों का कुछ वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें उनके द्वारा इस बात का खुलासा किया गया था कि किस तरह से अनाधिकृत रूप से संचालित नशा मुक्ति केंद्र के संचालक सुमित कुमार झा व उसके सहयोगियों द्वारा मरीजों के साथ अमानवीय व्यवहार किया जाता था. इसमें मल खिलाने, बाथरूम साफ कराने, खाना बनवाने और कपड़ा धुलवाने का काम कराया जाता था. इस बात का भी खुलासा हुआ था कि केंद्र के संचालकों द्वारा पहले लोगों को नशा करा कर उन्हें आदि बनाया जाता था. इसके बाद उनके परिजनों से मोटी रकम लेकर उन्हें केंद्र में भर्ती कराया जाता था.
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