पूसा : डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर प्लांट पैथोलॉजी विभाग अध्यक्ष डॉ. एसके सिंह ने कहा कि केला में लगने वाले एन्थ्रेक्नोज कॉम्प्लेक्स नामक रोग विनाशकारी रोग है. इससे किसानों को बचाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि यह रोग केला के उत्पादन क्षमता को प्रभावित करता है. जिसके कारण किसानों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है. कहा कि यह रोग कोलेटोट्राइकम मुसे ,कोलेटोट्राइकम ग्लियोस्पोरियोइड्स फ्यूजरियम तथा लेसिडिपलोडिया प्रजाति के कवक के करण उत्पन्न होता है. जो आर्द एवं गर्म वातावरण में पनप कर केला के पत्ता फल एवं तना को प्रभावित करता है. जिसका लक्षण पौधे के अलग-अलग भाग के आधार पर दिखाईं देता है. जिसे फलों के शुरुआती दौड़ में छोटे से घाव के रूप में देखा जा सकता है, जो बढ़कर काले और कॉरकी के रूप में दिखाई देता है. उन्होंने रोग से बचाव के लिए रोगरोधी सिल्क समूह के केला को लगाने की सलाह किसानों को दी, वहीं केला के बंच को निकालने के तुरंत बाद, किसान को नैटिवो की 01 ग्राम दो लीटर पानी में घोलकर या फफूंदी नाशक एज़ोक्सीस्ट्रोबिन , क्लोरोथालोनिल, मैन्कोज़ेब, साफ़ ,कार्बेन्डाजिम में से किसी एक की 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करने से रोग के उग्रता को नियंत्रण किया जा सकता है. साथ ही केले के खेत को समय-समय पर साफ-सफाई के साथ पौधे की दूरी को बनाये रखना आवश्यक बताया है.
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