कोलकाता. लोकसभा चुनाव से पहले राज्य सरकार द्वारा ईंधन पर घोषित जेब-अनुकूल छूट और संपत्ति पंजीकरण पर स्टांप ड्यूटी की राहत वापस ले ली गयी है. विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने कटाक्ष करते हुए कहा कि तथाकथित जन-हितैषी सरकार अब राज्य के लोगों की जेब से अपना खजाना भरना चाहती है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने चुनाव के पहले पेट्रोल और डीजल पर एक रुपये की छूट की घोषणा की थी. पेट्रोल और डीजल पर छूट अचानक समाप्त हो गयी है और छूट का नवीनीकरण नहीं किया गया है.
परिणामस्वरूप पश्चिम बंगाल में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में क्रमशः 1.01 रुपये प्रति लीटर और एक रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी हुई है. श्री अधिकारी ने बुधवार को बताया कि देश के अन्य शहरों की तुलना में यहां पेट्रोल व डीजल की कीमत सबसे अधिक है. इससे पहले, राज्य सरकार ने स्टांप ड्यूटी पर दो प्रतिशत और सर्किल रेट पर 10 प्रतिशत की छूट को पश्चिम बंगाल सरकार ने पहले वापस ले लिया है. इस फैसले से राज्य में प्रॉपर्टी के रजिस्ट्रेशन की लागत कम से कम दो प्रतिशत बढ़ गयी है. इसलिए अब से एक करोड़ तक की कीमत वाली किसी भी प्रॉपर्टी पर शहरी इलाकों में छह प्रतिशत और ग्रामीण इलाकों में पांच प्रतिशत स्टांप ड्यूटी लगेगी. एक करोड़ से ज्यादा कीमत वाली प्रॉपर्टी पर हर जगह एक प्रतिशत अतिरिक्त स्टांप ड्यूटी लगेगी. शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि चुनाव नतीजों की घोषणा के बाद से ममता बनर्जी सरकार द्वारा लिया गया यह तीसरा ऐसा “यू-टर्न ” है. पहला यू-टर्न इस साल बंगाल ग्लोबल बिजनेस समिट का आयोजन न करना था. दूसरा स्टांप ड्यूटी व सर्किल रेट में छूट के फैसले को वापस लेना और तीसरा पेट्रोल-डीजल पर से सेस को वापस लेना है.धरना-प्रदर्शन के लिए विस अध्यक्ष की अनुमति की आवश्यकता नहीं
विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने विधानसभा अध्यक्ष पर कटाक्ष करते हुए कहा कि अगर स्पीकर ने तृणमूल के दो नवनिर्वाचित विधायकों को विधानसभा में धरना देने की अनुमति दी है, तो कूचबिहार और चोपड़ा के मुद्दे पर भाजपा की महिला विधायकों को क्यों नहीं अनुमति दी जानी चाहिए? शुभेंदु अधिकारी ने मीडिया से कहा : हमें किसी अनुमति की जरूरत नहीं है. यह आंदोलन और तेज होगा. इसके अलावा श्री अधिकारी ने यह भी कहा कि भले ही भाजपा अध्यक्ष ने धरने पर बैठने की इजाजत मांगी थी, लेकिन विस अध्यक्ष ने अनुमति नहीं दी. हालांकि, स्पीकर ने तृणमूल विधायकों को धरने की अनुमति दे दी है. क्या विधानसभा तृणमूल का पार्टी कार्यालय है या विधानसभा अध्यक्ष की अपनी संपत्ति है? विपक्ष के नेता दोनों विधायकों को विधानसभा में धरने पर बैठने को लेकर कहा कि चूंकि उनकी मुख्य शिकायत राज्यपाल के खिलाफ है, तो विधानसभा में क्यों. अगर आप में हिम्मत है, तो राजभवन गेट के सामने धरना दें.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है