धनबाद मंडल के 25 किलोमीटर लंबे टनकुप्पा-पहाड़पुर-गुरपा रेलखंड पर दो जुलाई से ऑटोमेटिक ब्लॉक सिग्नलिंग सिस्टम ने काम करना शुरू कर दिया है. यह प्रधानखंटा से मानपुर तक 204 किमी प्रोजेक्ट का एक भाग है. इस प्रोजेक्ट पर लगभग 202 करोड़ रुपये लागत आने का अनुमान है. अभी एब्सल्यूट ब्लाक सिस्टम (परंपरागत) चल रहा है, जिसमें एक ब्लाक सेक्शन में ट्रेन के अगले स्टेशन पर पहुंच जाने के बाद ही पीछे वाली ट्रेन को आगे बढ़ने के लिए ग्रीन सिग्नल मिलता है. ऐसे में खाली रेल लाइनों का पूरा उपयोग नहीं हो पाता है.
कैसे काम करेगा सिस्टम :
ऑटोमेटिक ब्लॉक सिग्नलिंग सिस्टम में दो स्टेशनों के बीच लगभग हर एक किलोमीटर की दूरी पर सिग्नल लगाए जाते हैं. सिग्नल के सहारे ट्रेनें एक-दूसरे के पीछे चलती रहेंगी. अगर आगे वाले सिग्नल में तकनीकी खामी आती है तो पीछे चल रही ट्रेनों को भी सूचना मिल जाएगी, जो ट्रेन जहां रहेगी, वहीं रुक जायेगी.एक किलोमीटर के अंतराल पर चलेंगी ट्रेनें :
ऑटोमेटिक ब्लॉक सिग्नल सिस्टम के लागू हो जाने से एक ही रूट पर लगभग एक किमी के अंतर पर एक के पीछे एक ट्रेनें चल सकेंगी. इससे रेल लाइनों पर ट्रेनों की रफ्तार के साथ संख्या भी बढ़ सकेगी. स्टेशन यार्ड से ट्रेन के आगे बढ़ते ही ग्रीन सिग्नल मिल जाएगा. यानी एक ब्लॉक सेक्शन में एक के पीछे दूसरी ट्रेन आसानी से चल सकेगी. साथ ही ट्रेनों के लोकेशन की जानकारी मिलती रहेगी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है