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नहीं रहे रमेश चन्द्र मिश्र, निधन से पूरा पूर्णिया मर्माहत

निधन से पूरा पूर्णिया मर्माहत

पूर्णिया. शिक्षा, उद्योग व व्यवसाय के क्षेत्र में शून्य से शिखर तक सफर कर कामयाबी का कीर्तिमान कायम करने वाले पूर्णिया की बड़ी शख्सियत रमेश चन्द्र मिश्र अब हमारे बीच नहीं रहे. वे बीमार चल रहे थे. गुरुवार को पटना स्थित मेदान्ता अस्पताल में उन्होंने आखिरी सांस ली. वे 73 वर्ष के थे. उद्योग, व्यवसाय और शिक्षा जगत की नामचीन हस्ती माने जाने वाले दिवंगत रमेश चंद्र मिश्र अपने पीछे राजेश चन्द्र मिश्र व व्रजेश चन्द्र मिश्र, पुत्रवधु पल्लवी मिश्र व कात्यायिनी मिश्र, पौत्र राघव, पिहू और माधव, पुत्री और नाती पोता समेत भरा-पूरा परिवार छोड़ गये हैं. उनके निधन से पूरा पूर्णिया मर्माहत है. वे विद्या विहार ग्रुप आफ इंस्टीटयूशन के चेयरमैन के साथ कई संस्थाओं के संस्थापक थे. यह खबर फैलते ही शहर में शोक की लहर फैल गई और शोक संतप्त परिवार को दिलासा देने के लिये उनके पूर्णिया स्थित आवास पर लोगों की भीड़ जमा होने लगी. उनके सभी संस्थानों व प्रतिष्ठानों में शोक सभा कर श्रद्धा सुमन अर्पित किए गये.

पूर्णिया में आधुनिक शिक्षा के अग्रदूत थे रमेश बाबू

पूर्णिया. स्वभाव से सरल और मृदुभाषी दिवंगत रमेश चन्द्र मिश्र शहर की ऐसी शख्सियत थे जिन्होंने नेतरहाट की पढ़ाई पूरी करने के बाद सरकारी सेवा की बजाय व्यवसाय में अपना कॅरियर बनाया. 1974 में वे बेगूसराय से पूर्णिया शिफ्ट कर गये और फिर क्रमवार रुप से छोटे से बड़े व्यवसाय तक बड़ी लकीर खींच दी. कामयाबी इस कदर बुलंदियां छूने लगीं कि फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा. रमेश बाबू ने पूर्व राज्यपाल डॉ. ए. आर. किदवई के कहने पर अपने नेतरहाट विद्यालय के सहपाठियों के साथ मिलकर नेतरहाट की तर्ज पर पूर्णिया में 1995 में विद्या विहार आवासीय विद्यालय की स्थापना की.

छात्रों को दिया हौसले की उड़ान भरने का मौका

उनके प्रयासों के बल पर ही नेतरहाट के अवकाश प्राप्त प्रिंसिपल, के एन वासुदेवन की सेवाएं विद्या विहार आवासीय विद्यालय को वर्षों तक मिली. नेतरहाट की तर्ज पर खुला यह बिहार का अकेला विद्यालय है. विहार आवासीय विद्यालय के बाद रमेश बाबू ने 2009 में विद्या विहार इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी की स्थापना की. इसमें विद्या विहार कैरियर प्लस, बीबीए एवं बीसीए कालेजों की थी उपलब्धता है. वीवीआइटी के जरिये उन्होंने न केवल बिहार में तकनीकी शिक्षा को एक नया आयाम दिया बल्कि इंजीनियरिंग करने वाले छात्रों को हौसले की उड़ान भरने का मौका भी दिया.

उपलब्धियों पर मिले कई अवार्ड

एक तरफ शिक्षा जगत और दूसरी तरफ व्यवसाय के क्षेत्र में रमेश बाबू ने बड़ी उपलब्धियां हासिल की. इसके लिए अलग-अलग कई जगह उन्हें सम्मान भी मिला. रमेश बाबू को महिन्द्रा व टायटन कंपनियों से कई दफे उपलब्धियों का अवार्ड मिला तो वाणिज्य कर विभाग से भामा साह का अवार्ड और सम्मान भी मिला. वे इस दौरान आयकर विभाग द्वारा भी कई दफे सम्मानित किए गये.

समाज में अहम योगदान

स्व. मिश्र कारोबार की कामयाबी के साथ-साथ समाज से जुड़कर सदैव अपनी सेवा देते रहे. इसके लिए कई संस्थाओं को माध्यम बनाया और समाज के नव निर्माण में अपनी भागीदारी निभाते रहे. भारतीय रेड क्रॉस सोसाइटी, कला भवन, पूर्णिया, लायंस क्लब, नेतरहाट ओल्ड ब्वाय एसोसिएशन, नेतरहाट अलुमनी एजुकेशनल ट्रस्ट आदि संस्थाओं के जरिये हमेशा सामाजिक सरोकार उन्होंने बनाए रखा. नेतरहाट अलुमनी एजुकेशनल ट्रस्ट के माध्यम से कोशी और पूर्णिया के बालिका विद्यालयों में सेनेटरीपेड का वितरण का अभियान लगातार जारी रहा. ‘सब हिमालयन रिसर्च इंस्टीट्यूट’उन्हीं के प्रयासों का परिणाम है. इतना ही नहीं, रमेश बाबू बिहार सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट- सिमुलतला आवासीय विद्यालय की स्थापना के लिए एक प्रमुख थिंक-टैंक भी थे. वे कई संस्थाओं के संरक्षक भी रहे और लोगों की मदद करते रहे.फोटो- 4 पूर्णिया 12,13-रमेश चन्द्र मिश्र फाइल फोटो

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