बिहार में शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ एस सिद्धार्थ का अंदाज भी पूर्व अपर मुख्य सचिव के के पाठक जैसा ही दिख रहा है. एसीएस सिद्धार्थ इन दिनों सरकारी स्कूलों में औचक निरीक्षण कर रहे हैं. वह आफिस के साथ-साथ स्कूलों में अधिक घूम रहे हैं. जहां भी उन्हें बच्चे दिखते हैं, वह रोक कर उनकी पढ़ाई की जानकारी जरूर लेते हैं. स्कूली शिक्षा की नब्ज थामने की कोशिश कर रहे शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव गुरुवार को ट्रेन से करीब 61 किलोमीटर दूरी तय कर भोजपुर जिले के बिहियां जा पहुंचे. इसके बाद उन्होंने स्कूल का निरीक्षण किया.
स्टेशन से पैदल स्कूल गए…
बिहिया कस्बे में कुछ देर पहले ही बारिश थमी ही थी कि स्टेशन पर शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ एस सिद्धार्थ उतरे. उमस भरी गर्मी में वे पसीने से लथपथ थे. वहां के कन्या मध्य विद्यालय की तरफ पैदल ही बढ़ रहे थे. तभी उन्हें कुछ स्कूली बच्चियां दिखीं. उन्हें रोका. पूछा आप कहां से आ रही हो? उनमें एक बच्ची बोली लंच में घर खाना खाने गये थे. स्कूल लौट रहे हैं. सिद्धार्थ ने सवाल दागा- टीचर आपको आने देते हैं? बच्ची बोली लंच था न . सिद्धार्थ मुस्कराए अच्छा, गेट खुला रहता होगा. बच्ची बोली हां. एसीएस बोले, चलिए आपके स्कूल चलना है. बच्चियां राह दिखाती हुई उनके पीछे-पीछे चल रही थीं.
जब बच्ची से पूछा मास्टर जी को लेकर सवाल
अपर मुख्य सचिव ने बच्ची से पूछा कि मास्टर जी समय पर स्कूल आते हैं ? बच्ची को अंदाजा नहीं था कि यह सवाल भी आयेगा. बोली नहीं , फिर सकपकाते हुए बोली नहीं , फिर बोली …आ जाते हैं. तब तक अपर मुख्य सचिव स्कूल में प्रवेश कर गये.
प्रधानाध्यापक की कुर्सी पर नहीं बैठे
पसीने से लथपथ वे स्कूल में चले जा रहे थे. मध्य विद्यालय की बच्चियां खेल रही थीं. कुछ भाग-दौड़ रही थींं. कुछ चिल्ला रही थीं. बच्चों की धमा-चौकड़ी में वे बचते-बचाते प्रधान अध्यापक के दफ्तर में पहुंचे. केवल एक शिक्षक ही दिखे. तब तक प्रधानाध्यापक आ गये. सिद्धार्थ प्रधानाध्यापक की बड़ी सी कुर्सी की जगह दूसरी तरफ रखी सामान्य कुर्सी पर बैठे. प्रधानाध्यापक अपनी सीट की तरफ इशारा करके कह रहे थे कि आप यहां बैठिए. सिद्धार्थ ने कहा, वहां आप बैठिए. अंत में इशारा पाकर अचकचाते हुए प्रधानाध्यापक अपनी कुर्सी पर बैठ गये.
आपको पढ़ाने की ट्रेनिंग दी जाएगी…जब बोले एसीएस
स्कूल में सबसे पहले एसीएस ने हाजिरी रजिस्टर देखा. इसके बाद वह सीधे पास में फिर उन्होंने क्लास रूम भी देखे. कक्षाओं में गये. बच्चोें से पूछा. उनकी नोट बुक कोरी होने पर शिक्षक से नाराज दिखाई दिये. कहा, ऐसा नहीं होना चाहिए. शिक्षक से पूछा कि आपने क्या-क्या पढ़ाया? शिक्षक संतोषजनक जवाब नहीं दे सके. कहा कि आपको पढ़ाने की एक सप्ताह की ट्रेनिंग करायी जायेगी.
ट्रेन में खड़े होकर दानापुर से बिहियां पहुंचे
एसीएस सिद्धार्थ दानापुर में एक एक्सप्रेस ट्रेन के स्लीपर क्लास में घुस गये. अपडाउन करने वालों की उसमें अच्छी खासी संख्या थी. इनमें कुछ शिक्षक भी थे, जो उन्हें पहचान गये और दूसरी बोगी में भाग लिये. बड़ी सहजता से वह कोच में खड़े रहे. चाय और दूसरी चीजें बेचने वाले उन्हें रगड़ते हुए आगे बढ़ते रहे. बड़ी सहजता से मुस्करा कर वह उन्हें निकलने का रास्ता दे रहे थे. एक युवक से पूछा कि आप शिक्षक हाे. वह बोला, नहीं मैं विद्यार्थी हूं. सिद्धार्थ ने पूछा कि अच्छा , कोचिंग पढ़ने पटना आये थे. दरअसल उसे पता चल गया था कि यह कोई बड़ा आदमी है. बॉडीगार्ड दूर से अपने साहब के आसपास घट रही हर घटना पर नजर रखे था.