सरिया.
जैन मुनि आचार्य विराग सागर महाराज की समाधि मृत्यु को लेकर दिगंबर जैन मंदिर सरिया में गुरुवार को विनयांजलि सभा आयोजित की गयी. मौके पर विराग सागर जी महाराज के शिष्य परम पूज्य तीर्थ रक्षक शिरोमणि वात्सल्य मूर्ति राष्ट्र संत विहर्ष सागर महामुनिराज उपस्थित थे. समाज लोगों ने दूरदर्शन पर आचार्य विराट सागर महाराज के अंत्येष्टि कार्यक्रम का अवलोकन किया.इस साल जैन समाज के दो स्तंभों का वियोग हुआ
सभा को संबोधित करते हुए आचार्य विहर्ष सागर महाराज ने कहा कि विराग सागर जैन समाज की अमूल्य निधि थे. महाराज ने बुधवार की रात 2.46 बजे महाराष्ट्र के औरंगाबाद स्थित जालना में समाधि ली. इन्होंने अपने जीवन काल में 350 से अधिक शिष्य बनाये. उनके सान्निध्य में आकर कई ब्रह्मचारी भी बने. बताया कि वर्ष 2024 में जैन समाज के दो बड़े-बड़े स्तंभों ने इस धराधाम को छोड़ा. इनके अलावे 17 फरवरी 2024 को आचार्य श्री विद्यासागर महाराज का परलोक गमन हुआ. कहा कि जन्म लेना तो आसान है, पर समाधि मृत्यु कठिन है. समाधि पूर्वक मरण मोक्ष प्राप्ति की गारंटी है. मौके पर आचार्य विहर्ष सागर महाराज के अलावा तीन जैन मुनि, दीदी सहित सरिया के सकल दिगंबर जैन समाज के महिला पुरुष उपस्थित थे.
विराग सागर महाराज के समाधि मरण को लेकर उपवास में रहे संत
जैन मुनि आचार्य विराग सागर महाराज के समाधि मरण की खबर से दिगंबर जैन मंदिर सरिया में पधारे जैन मुनि की टोली सहित सकल दिगंबर समाज हथप्रभ हो गया. उनकी मोक्ष प्राप्ति के लिए परम पूज्य तीर्थ रक्षक शिरोमणि वात्सल्य मूर्ति जैन मुनि आचार्य विहर्ष सागर महाराज, विजयेश सागर महाराज, विश्वहर्ष सागर महाराज, सुयश सागर महाराज एक छुल्लक मुनि तथा पांच दीदियों ने उपवास रखा.
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