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मलय ने दिया समस्याओं को जल्द हल करने का आश्वासन

भारतीय जूट मिल्स एसोसिएशन (आइजेएमए) के प्रतिनिधिमंडल ने जूट उद्योग में चल रहे संकट का समाधान करने के लिए गुरुवार को श्रम मंत्री मलय घटक और श्रम विभाग के अधिकारियों के साथ मुलाकात की.

चर्चा. आइजेएमए के प्रतिनिधियों ने जूट उद्योग की समस्या पर मंत्री से की बातआइजेएमए ने जूट मिलों में अतिरिक्त श्रमिकों को विभिन्न व्यवसायों, विशेष रूप से आधुनिक करघों में स्थानांतरित करने का मुद्दा भी उठाया

संवाददाता, कोलकाताभारतीय जूट मिल्स एसोसिएशन (आइजेएमए) के प्रतिनिधिमंडल ने जूट उद्योग में चल रहे संकट का समाधान करने के लिए गुरुवार को श्रम मंत्री मलय घटक और श्रम विभाग के अधिकारियों के साथ मुलाकात की. आइजेएमए के प्रतिनिधिमंडल ने जूट क्षेत्र को प्रभावित करने वाले महत्वपूर्ण मुद्दों को श्रम मंत्री के समक्ष रखा, जिसमें सरकार समर्थित (जीबीटी) की कमी भी शामिल है. मिल मालिकों ने श्रम मंत्री से कहा कि सरकार द्वारा बोरों की खपत व ऑर्डर में कमी आने के बाद जूट उद्योग संकट के दौर से गुजर रहा है. इसने हमें मिलों में शिफ्ट कम करने के लिए मजबूर किया है, जिससे बड़ी संख्या में लोगों की रोजीरोटी प्रभावित हो रही है. इन विषयों पर हुई चर्चा : बताया गया है कि बैठक में आइजेएमए के प्रतिनिधिमंडल ने जीबीटी ऑर्डर की कमी का मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा कि इसकी वजह से मिलों के उत्पादन में कमी आ रही है और मिलों को पूरी क्षमता से कम पर काम करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. बैठक में मिल मालिकों ने श्रम मंत्री से कहा कि कुछ मिलें जिन्होंने राज्य के त्रिपक्षीय समझौतों का पालन नहीं किया है, उन्हें अभी भी जूट आयुक्त कार्यालय (जेसीओ) से जीबीटी आदेश मिल रहे हैं. इसके साथ ही आइजेएमए ने जूट मिलों में अतिरिक्त श्रमिकों को विभिन्न व्यवसायों, विशेष रूप से आधुनिक करघों में स्थानांतरित करने का मुद्दा भी उठाया गया.

मिल मालिकों ने जूट बैग की मांग में आयी कमी पर भी जतायी चिंता

मिल मालिकों ने जूट बैग की मांग में कमी पर चिंता जाहिर की है. आईजेएमए के सदस्यों ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा खाद्यान्न खरीद करने में असमर्थता के कारण मिलों में कम शिफ्ट पर काम होने का सिलसिला जारी रहने की उम्मीद है. मिल प्रबंधन ने राज्य सरकार के माध्यम से यूनियनों और कामगारों को इस स्थिति से अवगत कराने की मंशा व्यक्त की है, तथा सभी हितधारकों से सहयोग की मांग की है. मिल मालिकों का कहना है कि पिछले ऑर्डर की तुलना में जूट की बोरियों की मांग में भारी गिरावट आयी है, इसलिए मिल मालिक असहाय हो गये हैं.

दिल्ली जाकर केंद्रीय मंत्री से मुलाकात करेगा ट्रेड यूनियनों का प्रतिनिधिमंडल

श्रम मंत्री मलय घटक ने आइजेएमए प्रतिनिधिमंडल को आश्वस्त किया है कि इन महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करने के लिए ट्रेड यूनियनों का एक प्रतिनिधिमंडल नयी दिल्ली जायेगा और केंद्रीय मंत्री से मुलाकात करेगा. उनकी इस पहल को पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा समर्थन दिया जायेगा. इसके साथ ही राज्य का श्रम विभाग का कार्यालय जेसीओ को पत्र लिखकर उन मिलों की सूची बनायेगा, जिन्होंने 3.1.2024 के समझौते का अनुपालन नहीं किया है और जेसीओ से अनुरोध करेगा कि वे इन मिलों को जूट पैकेजिंग सामग्री अधिनियम (जेपीएमए) और जूट व कपड़ा नियंत्रण आदेश (जेटीसीओ) अधिसूचनाओं के अनुसार उत्पादन नियंत्रण सह आपूर्ति आदेश (पीसीएसओ) प्राप्त करने से रोकें. मंत्री ने जूट मिल श्रमिकों की दुर्दशा के बारे में यूनियनों की चिंताओं को स्वीकार किया और पश्चिम बंगाल सरकार से पूर्ण समर्थन का आश्वासन दिया. श्रम मंत्री ने कहा कि इस पूरे मुद्दे को मुख्यमंत्री के ध्यान में भी लाया गया है और मुख्यमंत्री स्वयं इस पर विचार कर रही हैं.

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