दरभंगा. संस्कृत विश्वविद्यालय में कर्मचारियों के लिए आयोजित दस दिवसीय संस्कृत प्रशिक्षण सह संभाषण शिविर का शुक्रवार को समापन हो गया. इस अवसर पर दरबार हॉल में आयोजित समारोह की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. लक्ष्मी निवास पांडेय ने कहा कि सिर्फ कुछ दिनों के प्रशिक्षण से काम चलने वाला नहीं है. इसे हमेशा व्यवहार में लाने का प्रयास होना चाहिए. निरन्तर बोल चाल से संस्कृत आसान लगने लगेगी. इसके अलावा रोज संस्कृत में लिखने व पढ़ने की आदत डालनी होगी. कुछ ही दिन ऐसा करने से देखेंगे कि इस भाषा से बहुत ही आत्मीयता बढ़ जाएगी और इसके बाद दूसरों को भी आप संस्कृत बोलने व लिखने के लिए प्रेरित करने लगेंगे. पीआरओ निशिकांत ने बताया कि कर्मचारियों के लिए दूसरे सत्र का प्रशिक्षण कार्यक्रम 25 जून को दरबार हॉल में शुरु किया गया था. प्रशिक्षण प्रभारी स्नातकोत्तर धर्मशास्त्र विभाग के अध्यक्ष प्रो. दिलीप कुमार झा ने स्वागत भाषण देते हुए कहा कि मिथिला मंडन मिश्र की धरती है. उनका तोता भी संस्कृत में बोलता था. ऐसे में हम लोगों पर जिम्मेदारी अधिक है कि संस्कृत कैसे पले व बढ़े, इस पर हमेशा फोकस रहना चाहिए. डॉ अमित कुमार ने कर्मचारियों को संस्कृत सिखाई. धन्यवाद ज्ञापन डॉ दयानाथ झा ने किया. कुलसचिव प्रो0. ब्रजेशपति त्रिपाठी ने कहा कि इस तरह का प्रशिक्षण शिविर समय समय पर आयोजित होते रहना चाहिए. इससे छात्र व कर्मी लाभान्वित होते रहेंगे, शिविर की व्यवस्था डॉ रवींद्र कुमार मिश्र एवं कुंदन कुमार भारद्वाज ने की.
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