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वर्ष 1954 में शुरू हुई बेरमो चार नंबर रथ मंदिर से रथयात्रा

वर्ष 1954 में शुरू हुई बेरमो चार नंबर रथ मंदिर से रथयात्रा

बेरमो. बेरमो चार नंबर रथ मंदिर में वर्ष 1954 में रथयात्रा की शुरुआत हुई. कोरोना संक्रमण के कारण दो साल रथ यात्रा नहीं निकाली गयी थी. कोरोना समाप्त होने के बाद भी यहां से संडे बाजार मौसी बाड़ी तक रथयात्रा नहीं निकालने का निर्णय मंदिर कमेटी ने लिया. इसके बाद चार नंबर के ही लाल मैदान से सटे उत्कल समाज के लोगों ने अलग से बैठक कर गत वर्ष इसी स्थान से रथयात्रा निकालने का निर्णय लिया था. इस बार दूसरी बार यहां से रथ यात्रा निकलेगी. मालूम हो कि सीसीएल बीएंडके एरिया के 100 साल से ज्यादा पुरानी बोकारो कोलियरी के आसपास में पहले हजारों की संख्या में छत्तीसगढ़िया, उत्कल समाज (उडिया) के अलावा चक्रधारी समाज के लोग रहा करते थे. उत्कल समाज के कई लोग वर्ष 1939 के आसपास में ओडिशा से टाटा होते हुए यहां आकर बसे. ऐसे लोगों में बृज मोहन दास, बरजो सेनापति, ओके टांडी, नारायण बारिक, घुतुम तांती, जगदीश तांती, वनमाली भोई, दुर्गा दास, महावीर गोप, पीतरो सेनापति, त्रिवृक्ष नाग, सुरलीधर कलपाली, विशेश्वर जाल, ढिबरु लाल शर्मा, सिरबच तांती. रामचंद्र तांती,रामजी तातंती, जगदीश तांती, मुन्नु तांती सहित कई लोग थे. इन लोगों ने ही चार नंबर रथ मंदिर में पूजा शुरु करायी थी. 40 के दशक में ओडिशा के बंलागीर, तालपाली, बरपाली, बडग़ड, संबलपुर आदि क्षेत्रों से लोग आकर चार नंबर इलाके में बसे. बृज मोहन दास अपने साथ ओडिशा के पुरी से भगवान जगन्नाथ की मूर्ति लेकर आये थे तथा चार नंबर स्थित अपने आवास में इसकी विधिवत पूजा शुरु की थी. बाद में पुरी से ही भगवान बलभद्र और सुभद्रा की प्रतिमा लायी गयी. मंदिर कमेटी से जुडे़ लोग बताते है कि हमारी संस्कृति,भाषा व सामाजिक समरसता का तानाबाना इस मंदिर से शुरू से जुड़ा रहा है. इस मंदिर की स्थापना से पहले उत्कल समाज के लोग हर साल अपने पैतृक गांव जामकर पूजा करते थे. पहले धुमधाम से तीन किमी दूर संडे बाजार दुर्गा मंदिर स्थित मौसीबाडी तक रथ यात्रा निकाली जाती रही. रथयात्रा में हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती थी तथा रथ खीचने के लिए आपाधापी मचती थी. तीन किमी की रथ यात्रा में 10 घंटे से भी अधिक का समय लग जाता था.रथ यात्रा में उड़िया समाज की कीर्तन मंडली रहती थी. इसके संचालक ढिबरु लाल शर्मा के अलावा अमिलो तांती, भवानी शंकर तांती,साधु तांती, रंजीत भोई आदि रहते थे.तीन नंबर, गांधीनगर, जारंगडीह, कथारा आदि क्षेत्रों से भी कीर्तन मंडलियां पहुंचती थी. मंदिर से सटे चार नंबर लोधरबेडा के मोहन महतो, हीरालाल महतो, बिसाही महतो आदि का इस मंदिर में काफी सहयोग रहा. इस मंदिर के प्रथम पुजारी केशोनाथ दुबे थे. इसके बाद उनके पुत्र भानु पंडित यहां हर साल पूजा कराते थे.यजमान की भूमिका चर्तुभुज राय, गोकूल तांती, कुंवर तांती, भंवर तांती, नारायण बारिक, रामेश्वर जाल आदि निभाते थे. सीसीएल के वेलफेयर मद से बना नया रथ रथ मंदिर कमेटी वर्षो से नये रथ के लिए प्रयासरत थी. दो वर्ष पूर्व सीसीएल बीएंडके एरिया के सेवानिवृत महाप्रबंधक एम कोटेश्वर राव की पहल पर सीसीएल वेलफेयर मद से दो लाख की लागत से नया रथ बनाकर गत वर्ष कमेटी को सुपुर्द किया गया था. दस दिनों तक क्षेत्र में बंद रहता है मांसाहार रथ पूजा के समय चार नंबर इलाके में सभी लोग दस दिनों तक मांस,मछली व शराब का सेवन नही करते है.उत्कल समाज के लोग पूजा के दौरान सात्विक भोजन में मूंग की दाल और अरवा चावल खाते है.रथ पूजा के दिन उत्कल समाज से जुडे़ हर घर में अडसन पीठा तथा चावल व गुड का खीर जरुर बनता है.रथ द्वितिया के दिन पूजा के बाद रथ मंदिर में जबतक भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा का भोग नही लग जाता है तब तक लोग उपवास रखते है. आज होगा नेत्र बंधन व वेदी पूजन चार नंबर रथ मंदिर पूजा समिति द्वारा श्री श्री जगन्नाथ महाप्रभु रथ यात्रा मेला एवं पूजन महोत्सव को लेकर 22 जून को कलश यात्रा निकाली गई थी.पुजारी केशव चरण दास एवं संतोष पांडे ने विधि विधान पूर्वक पूजन अर्चन कराया था.इसके बाद विधि पूजन और देव स्नान अनुष्ठान हुए और संध्या आरती के बाद जगन्नाथ महाप्रभु ,भाई बलभद्र एवं बहन सुभद्रा के साथ 15 दिनों तक के अज्ञातवास पर चले गये थे. 6 जुलाई को नेत्र बंधन संध्या में बेदी पूजन होगा. 7 जुलाई को सुबह हवन, कीर्तन, आरती के साथ प्रभु जगन्नाथ, भाई बलभद्र एवं बहन सुभद्रा के साथ रथ पर विराजमान होंगे. रथ को पांच कदम खींचकर मंदिर परिसर में ही खड़ा किया जाएयेगा. 8 जुलाई को संध्या को प्रभु जगन्नाथ भाई बलभद्र एवं बहन सुभद्रा के साथ रथ यात्रा द्वारा मंदिर परिसर में ही बनाये गये अपने मौसीबाड़ी के लिए प्रस्थान करेंगे. 15 जुलाई को भगवान पुन: अपने चार नंबर रथ मंदिर में विराजमान होंगे. पूजा कमेटी के अध्यक्ष भगत बारिक, सचिन चमन ताती, उपाध्यक्ष जगदीश तांती, कोषाध्यक्ष बलराम तांती, पंसस दीपक कुमार गोप, परमानंद तांती, सुनील कुमार शर्मा, बलराम तांती, मिथुन तांती, अभय बारिक, अजय कुमार, आकाश कुमार, घनश्याम बागरा, चंद्रशेखर, गजेंद्र शर्मा, दीपक सेनापति, मधुसुदन कनर, दिलीप नाग, प्रताप तांती, निमत्ति नाग, महेंद्र, सारत कुमार ,सुशांत ,भगत बारीक, चमन भोई, विगन तांती सहित कई लोग पूजा को सफल बनाने में सक्रिय रुप से लगे हुए है. उत्कल समाज पूजा कमेटी दूसरी बार कर रहा है आयोजन इधर चार नंबर लाल ग्राउंड के समीप उत्कल समाज पूजा समिति द्वारा दूसरी बार रथ यात्रा मेला एवं पूजन महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है. यहां भी 22 जून को कलश यात्रा निकाली गई थी.पुजारी भानु प्रताप दुबे ने पूजा कराया.विधि विधान से आरती संध्या में पूजा के बाद भगवान 15 दिनों के अज्ञातवास में चले गए. यहां भी शनिवार को प्रातः हनुमान गरुड़ पूजा सहित कई अनुष्ठान के बाद रथ का पूजा होगा.7 जुलाई को हवन, भोग, आरती कर भगवान जगन्नाथ महाप्रभु भाई बलराम बहन सुभद्रा के साथ रथ पर विराजमान होंगे और 8 जुलाई को रथयात्रा संडे बाजार मौसी बाड़ी के लिए प्रस्थान करेगी. यहां पूजा को सफल बनाने में अध्यक्ष वरुण तांती, हेमंत ताती, दीप्ति राय, कुलेश्वर तांती, वासुदेव सेनापति, मनोज सेनापति, मुकेश सेनापति, तीजा सेनापति सहित कई लोग लगे हुए है.

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