रांची. नामकुम स्थित संस्थान ””””बगईचा”””” में शुक्रवार को मानवाधिकार कार्यकर्ता फादर स्टेन स्वामी की पुण्यतिथि मनायी गयी. इस अवसर पर उपस्थित लोगों ने फादर स्टेन स्वामी को श्रद्धांजलि दी. फादर सेबेस्तियन कुजूर ने कहा कि फादर स्टेन स्वामी दलितों आदिवासियों और हाशिये पर खड़े लोगों के करीबी थे. उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी इसी काम में लगा दी. आज हम उन्हें उनकी पुण्यतिथि पर याद कर रहे हैं. इसके बाद प्रवीण मुखर्जी ने पाश की कविता ””””सपनों का मर जाना”””” पर लघु नाटिका की प्रस्तुति दी. अधिवक्ता शिव ने नये कानूनों के बारे में विस्तार से चर्चा की. उन्होंने विचाराधीन कैदियों के मामले को भी उठाया. प्रफुल्ल लिंडा ने कहा कि यूएपीए जैसे कानूनों के तहत बड़ी संख्या में आदिवासियों और दलितों को मुकदमे का सामना करना पड़ रहा है. इस तरह के मामले सबसे ज्यादा संथालपरगना और खूंटी में देखने को मिल रहे हैं. सामाजिक कार्यकर्ता आलोका ने कहा कि स्टेन होना आसान नहीं है. फादर स्टेन ने न्याय के लिए, समानता के लिए, मानवता के लिए और असहमति के अधिकारों के लिए संघर्ष किया. आज फिर से तीन नये कानून बहस का विषय हैं. ये कानून फासीवादी ताकतों को बढ़ावा देने के लिए है. हमें संगठित होकर इन कानूनों का विरोध करना होगा. रतन तिर्की, फादर टोनी सहित अन्य लोगों ने भी विचार रखे.
डब्ल्यूपीए कार्यालय में भी दी गयी श्रद्धांजलि
पुरूलिया रोड स्थित वर्किंग पीपुल्स एलायंस (डब्ल्यूपीए कार्यालय) में भी फादर स्टेन स्वामी को याद किया गया. मौके पर टीएसी के पूर्व सदस्य रतन तिर्की ने कहा कि स्टेन स्वामी ने जीवन के अंतिम समय तक आदिवासियों, दलितों और पिछड़ों के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष किया. फादर का असमय चला जाना दुखद है. मौके पर डब्ल्यूपीए के संचालक फादर महेंद्र पीटर तिग्गा, अधिवक्ता सिलवंती कुजूर, अधिवक्ता मोनालिसा सोरेंग, निर्मला एवं अन्य लोगों ने भी विचार रखे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है