कोलकाता. स्कूल ऑफ कल्चरल टेक्स्ट्स एंड रिकॉर्ड्स, जादवपुर विश्वविद्यालय (जेयू) ने दक्षिण कोलकाता में जदुनाथ भवन संग्रहालय और संसाधन केंद्र में हूल और संताली भाषा संस्कृति और दस्तावेजों पर प्रदर्शनी का आयोजन किया. संताल राष्ट्र के 170 साल के इतिहास में संताली भाषा से संबंधित विभिन्न पांडुलिपियों, दस्तावेजों के साथ-साथ खेल और सांस्कृतिक प्रथाओं का विवरण भी सामने आया है. ब्रिटिश लाइब्रेरी के वित्तीय सहयोग के साथ-साथ, एक्जीबिशन में नॉर्वे की राजधानी ओस्लो की राष्ट्रीय लाइब्रेरी से एकत्र की गयीं संताली भाषा की पांडुलिपियां और दस्तावेज भी प्रदर्शित किये गये हैं. ये तथ्य जेयू के स्कूल ऑफ कल्चरल टेक्स्ट्स एंड रिकॉर्ड्स के चार शोधकर्ताओं अमृतेश विश्वास, राही सारेन, सीताराम बास्के और श्रुतकृति दत्ता के शोध में सामने आये हैं. लगभग 20 साल पहले विश्वविद्यालय में स्कूल ऑफ कल्चरल टेक्स्ट्स एंड रिकॉर्ड्स की स्थापना की गयी थी. वर्तमान में इस विभाग के निदेशक प्रो अभिजीत गुप्ता हैं. हालांकि संबंधित विभाग ने विभिन्न ऑडियो डेटा पर शोध किया है, लेकिन पांडुलिपियों और दस्तावेजों पर शोध आयोजित करने का यह पहला मौका है. शोधकर्ताओं ने तीन वर्षों से शोध कार्य शुरू किया. करीब डेढ़ साल तक बिहार, झारखंड, ओडिशा और बंगाल के विभिन्न स्थानों पर अनुसंधान किये गये. चारों शोधकर्ताओं ने उन सैकड़ों लोगों से बातचीत की, जो संताली भाषा-संस्कृति और हूल आंदोलन से संबंधित दस्तावेज या इतिहास को संरक्षित कर रहे हैं. प्रमुख शोधकर्ता राही सारेन ने बताया : सिर्फ प्रदर्शन ही नहीं, इन पांडुलिपियों या दस्तावेजों को भी डिजिटल कर दिया गया है. क्यूआर कोड को स्कैन करके इस डिजिटल दस्तावेज को पढ़ा जा सकता है. इस प्रक्रिया में 5,000 से अधिक दस्तावेज एकत्र किये गये हैं. प्रदर्शनी में 1931 से 1978 तक पाये गये विभिन्न दस्तावेज और पांडुलिपियां शामिल की गयी हैं.
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